नीतीश को फर्श से अर्श पर पहुंचाया, ऐसे ही नहीं लालकृष्ण आडवाणी के फैन हैं बिहार के सीएम
Nitish Kumar Meets LK Advani: बिहार के सीएम नीतीश कुमार ने गुरुवार को बीजेपी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी से मुलाकात की और उन्हें भारत रत्न के लिए बधाई दी. इस मुलाकात के बाद नीतीश कुमार ने कहा, “मेरा लालकृष्ण आडवाणी से पुराना रिश्ता है. जब इसकी (भारत रत्न) घोषणा की गई थी तो मैंने उन्हें बधाई दी थी. आज उनसे मिलकर मुझे खुशी हुई है.” दरअसल, हाल ही में नीतीश कुमार ने एक और यू-टर्न लेकर बिहार में NDA की सरकार बनाई. इस बार उन्होंने कहा कि अब कभी भी बीजेपी का साथ नहीं छोड़ेंगे.
जनता दल यूनाइटेड के अध्यक्ष ने 2013 के बाद से कई बार बीजेपी के साथ अपने संबंधों में दरार के बावजूद लालकृष्ण आडवाणी को हमेशा उच्च सम्मान दिया है. नीतीश कुमार ने सार्वजनिक कार्यक्रमों के दौरान अटल-आडवाणी के साथ अपने संबंधों को याद किया है. हालांकि, नीतीश ऐसे ही नहीं बीजेपी के कद्दावर नेता को याद करते हैं या सम्मान देते हैं, इसके पीछे लालकृष्ण आडवाणी और अटल बिहारी वाजपेयी की कृपा दृष्टि रही है.
दिल्ली : बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी को 'भारत रत्न' मिलने पर आज मुलाकात कर दी बधाई. @NitishKumar #NitishKumar #NitishKumarDelhiVisit #NitishKumarMeetLKAdvani #LKAdvani #BharatRatna #VistaarNews pic.twitter.com/ex85nAeBRu
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90 के दशक में लालकृष्ण आडवाणी नीतीश कुमार को पुश करने के लिए उनके इर्द-गिर्द भाजपा का समर्थन जुटाने और तत्कालीन सर्वशक्तिमान राजद नेता लालू प्रसाद का मुकाबला करने के लिए अपने गठबंधन का चेहरा बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते थे. उन्होंने नीतीश को एनडीए चेहरा के रूप में पेश किया. बाद में नीतीश ने ‘लालू राज’ को खत्म किया और बिहार के सिरमौर बनकर उभरे. नीतीश सिर्फ बिहार के ही नेता नहीं रहे, गुजरते वक्त के साथ उन्होंने राष्ट्रीय राजनीति में भी अलग पहचान बनाई.
विपक्षी भी आडवाणी के कायल
सोशल मीडिया के दौर में जन्मे लोगों के जेहन में सवाल उठना लाजिमी है कि 96 वर्षीय लालकृष्ण आडवाणी ने ऐसा क्या किया है कि उन्हें भारत सरकार के सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किया जा रहा है. आडवाणी भारत के उन चुनिंदा राजनेताओं में रहे जिनकी संगठन क्षमता की विपक्षी भी कायल रहे हैं. ये तो ज्यादातर लोग जानते हैं कि दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी होने का दावा करने वाली बीजेपी को बनाने में लालकृष्ण आडवाणी का अहम रोल रहा है. लालकृष्ण आडवाणी ने न केवल बीजेपी को तैयार करने में अहम रोल निभाया, बल्कि दूसरे दलों के अच्छे नेताओं को भी तैयार करने में उन्होंने खास रोल निभाया. इसका सबसे अच्छा उदाहरण बिहार के सीएम नीतीश कुमार ही हैं. नीतीश कुमार खुद स्वीकारते हैं कि उन्हें राष्ट्रीय राजनीति में पहचान दिलाने में लालकृष्ण आडवाणी का अहम रोल रहा.
जब ‘फर्श’ पर थे नीतीश
इस कहानी को ऐसे समझिए… साल था 1995. बिहार में विधानसभा चुनाव की बात हो रही थी. लेकिन लालू यादव और उनकी नीतियों के खिलाफ जाकर नीतीश कुमार ने जनता दल से किनारा कर लिया. बाद में उन्होंने जॉर्ज फर्नांडिस के साथ मिलकर समता पार्टी बनाई. नीतीश को उम्मीद थी कि उनकी पार्टी को चुनाव में सफलता मिलेगी, लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं हुआ. समता पार्टी की बिहार विधानसभा चुनाव में कारारी हार हुई. राजनीति के जानकारों का कहना है कि चुनाव में भारी हार के बाद समता पार्टी के तमाम नेता बेहद मायूस होने लगे थे. संगठन स्तर पर भी बिखराव होने लगा था. पार्टी की आर्थिक हालत इतनी अच्छी नहीं थी कि वह एक बार फिर से मजबूती के साथ चुनाव में उतर सके.
जब ‘अर्श’ पर पहुंचे नीतीश
नीतीश भी पस्त हो गए थे. इस बीच नीतीश कुमार की समाजवादी राजनीति के गुरु जॉर्ज फर्नांडिस की तबीयत बिगड़ गई. उन्हें मुंबई के किसी अस्पताल में भर्ती कराया गया था. नीतीश भी हाल चाल जानने मुंबई पहुंचे थे. हालांकि, नीतीश से पहले अटल बिहारी वाजपेयी और लालकृष्ण आडवाणी भी वहां मौजूद थे. बाद में जब बीजेपी के दोनों कद्दावर नेता जाने लगे तो नीतीश भी उनके पीछे-पीछे नीचे तक आए. एक उभरते हुए नेता और दो कद्दावर नेताओं के बीच बातचीत हुई. तभी आडवाणी ने नीतीश को अगले दिन मुंबई में होने वाली बीजेपी की रैली में आने का न्योता दे दिया.
इसके बाद बीजेपी के साथ नीतीश की बनती गई. नीतीश बीजेपी के हर छोटे-बड़े मंच पर दिखने लगे. अटल-आडवाणी ने नीतीश कुमार को खूब प्रमोट किया. बीजेपी के मंच पर अब नीतीश बोलने लगे थे. माना जाता है कि आडवाणी की ओर से दिए गए इस मौके के बाद नीतीश कुमार में गजब का कॉन्फिडेंस आया और उन्होंने दोबारा से हिम्मत जुटाकर जनता दल यूनाइटेड बनाई.