“किसी भी PM ने पहले ऐसी असंसदीय भाषा का इस्तेमाल नहीं किया”, मनमोहन सिंह ने मोदी पर बोला हमला

मनमोहन सिंह ने यह टिप्पणी पीएम मोदी की अप्रैल में राजस्थान में एक रैली में दिए गए उस बयान के बाद की, जिसमें उन्होंने कहा था कि अगर कांग्रेस सत्ता में आई तो वह देश की संपत्ति "उन लोगों को बांट देगी जिनके पास अधिक बच्चे हैं".
Manmohan Singh On PM Modi

Manmohan Singh On PM Modi

Manmohan Singh On PM Modi: पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने पीएम मोदी पर हमला बोला है. उन्होंने कहा कि आज तक किसी भी प्रधानमंत्री ने ऐसी असंसदीय भाषा का इस्तेमाल नहीं किया है. मनमोहन सिंह ने पीएम मोदी पर एक खास समुदाय या विपक्ष को निशाना बनाने के लिए ‘घृणास्पद और असंसदीय’ भाषण देकर प्रधानमंत्री कार्यालय की गरिमा को कम करने का आरोप लगाया है.

पीएम मोदी के ‘अधिक बच्चे’ वाले बयान पर मनमोहन सिंह का पलटवार

मनमोहन सिंह ने यह टिप्पणी पीएम मोदी की अप्रैल में राजस्थान में एक रैली में दिए गए उस बयान के बाद की, जिसमें उन्होंने कहा था कि अगर कांग्रेस सत्ता में आई तो वह देश की संपत्ति “उन लोगों को बांट देगी जिनके पास अधिक बच्चे हैं”. उस समय पीएम मोदी ने प्रधानमंत्री मोदी ने मनमोहन सिंह की उस टिप्पणी का भी हवाला दिया जिसमें उन्होंने कथित तौर पर कहा था कि देश के संसाधनों पर पहला हक मुसलमानों का है. मनमोहन सिंह ने कहा कि पीएम मोदी घृणास्पद भाषण देकर विभाजनकारी प्रकृति का काम कर रहे हैं.

किसानों की आय को खत्म कर दिया है: मनमोहन सिंह

पंजाब के लोगों को लिखे पत्र में मनमोहन सिंह ने आरोप लगाया कि पीएम मोदी “नफरत फैलाने वाले सबसे क्रूर भाषणों में लिप्त हैं जो पूरी तरह से विभाजनकारी हैं”. 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने के पीएम मोदी के वादे पर निशाना साधते हुए मनमोहन सिंह ने कहा कि पीएम मोदी की नीतियों ने पिछले 10 वर्षों में किसानों की आय को खत्म कर दिया है.

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पूर्व प्रधानमंत्री ने कहा, “किसानों की राष्ट्रीय औसत मासिक आय मात्र 27 रुपये प्रतिदिन है, जबकि प्रति किसान औसत ऋण 27,000 रुपये (NSSO) है. ईंधन और उर्वरकों सहित इनपुट की उच्च लागत, कम से कम 35 कृषि-संबंधित उपकरणों पर जीएसटी और कृषि निर्यात और आयात में मनमाने ढंग से निर्णय लेने से हमारे किसान परिवारों की बचत नष्ट हो गई है और वे हमारे समाज के हाशिये पर आ गए हैं.”

उन्होंने कहा, “पिछले 10 वर्षों में देश की अर्थव्यवस्था ने उथल-पुथल देखी है. नोटबंदी की आपदा, त्रुटिपूर्ण जीएसटी और कोविड-19 महामारी में कुप्रबंधन के कारण दयनीय स्थिति पैदा हो गई है, जहां 6-7 प्रतिशत से कम जीडीपी वृद्धि की उम्मीद करना नई सामान्य बात हो गई है.”

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