‘आज़म-ए-इस्तेहकाम’ ऑपरेशन के जरिए आतंकवाद पर लगाम लगाने चला पाकिस्तान, क्या ड्रैगन ने डाला दबाव?

इसी साल मार्च में डैश बांध परियोजना पर काम कर रहे चीनी इंजीनियरों को ले जा रही बस पर आत्मघाती हमला हुआ था. इसके बाद से चीन पाकिस्तान पर काफी नाराज दिखा.
Azm-e-Istehkam

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Azm-e-Istehkam: एक बार फिर पाकिस्तान के हाइब्रिड शासन ने एक और सैन्य अभियान ‘आज़म-ए-इस्तेहकाम’ की घोषणा की है. इसको लेकर कहा जा रहा है कि चीन के दवाब की वजह से ऐसा किया जा रहा है. इस सैन्य अभियान को पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने देश के आतंकवाद विरोधी ऑपरेशन की रिव्यू के बाद मंजूरी दी है. इस अभियान का उद्देश्य देश से आतंकवाद को समाप्त करना है. 2007 के बाद से यह 12वां प्रमुख आतंकवादी विरोधी सैन्य अभियान है, इसके अलावा कई छोटे अभियान भी हुए हैं. पहले के ज्यादातर ऑपरेशन एक खास क्षेत्र पर केंद्रित थे.

पाकिस्तान ने पहले भी चलाए हैं कई अभियान

उदाहरण के लिए, ऑपरेशन ‘राह-ए-रस्त’ और ‘राह-ए-हक’ स्वात क्षेत्र में थे. ‘राह-ए-निजात’ दक्षिण वजीरिस्तान एजेंसी में था. बहुत व्यापक मोर्चे पर दो बड़े ऑपरेशन ‘ज़र्ब-ए-अज़ब’ थे, जो उत्तरी वजीरिस्तान में शुरू हुआ और फिर अन्य क्षेत्रों में फैल गया, इसके बाद रद्द-उल-फ़साद हुआ जो पूरे पाकिस्तान में फैले आतंकवादी नेटवर्क पर हमला करने के लिए एक खुफिया आधारित ऑपरेशन था. नए ऑपरेशन ‘आज़म-ए-इस्तेहकाम’ का उद्देश्य इस्लामी आतंकवादी नेटवर्क पर अंकुश लगाना है.

पाकिस्तान का दिखावा

विडंबना यह है कि आतंकवाद की जड़ को मजबूत करने में पाकिस्तान का भी भरपूर हाथ है. लेकिन अब उसे खत्म करने का बीड़ा भी पाकिस्तान ने खुद ही उठाया है, भले दिखावा ही सही. जाहिर तौर पर, इस ऑपरेशन का उद्देश्य सशस्त्र बलों की ताकत को बढ़ाना भी है. हर सैन्य अभियान में सेना प्रमुख की अनूठी छाप होती है. अपने कार्यकाल के दौरान जनरल अशफाक कयानी बहुत सतर्क थे और इसके दुष्परिणामों को लेकर चिंतित थे, और इसलिए उन्होंने सीमित अभियानों को प्राथमिकता दी.

जनरल राहील शरीफ ने परिणामों की बहुत अधिक चिंता किए बिना एक व्यापक प्रकार के अभियान को प्राथमिकता दी. इतना ही नहीं जनरल कमर बाजवा ने छोटे, सामरिक, खुफिया आधारित अभियानों को प्राथमिकता दी. अगले कुछ सप्ताह वर्तमान सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर के सैन्य दृष्टिकोण के बारे में सबकुछ सामने आएगा.

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चीन की वजह से पाकिस्तान ने लिया फैसला!

हालांकि, यह स्पष्ट है कि यह तीसरा सैन्य अभियान है जो चीनियों को शांत करने के लिए किया जा रहा है. 2007 में, लाल मस्जिद अभियान पाकिस्तान के अंदर आतंकवादी गतिविधियों में भारी वृद्धि का कारण बना. मस्जिद में इस्लामी कट्टरपंथियों द्वारा एक चीनी मसाज पार्लर पर छापा मारने और चीनी श्रमिकों का अपहरण करने के बाद शुरू किया गया था.

बताया जाता है कि चीनी सरकार ने लाल मस्जिद को साफ करने के लिए सेना भेजने के लिए तत्कालीन राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ पर बहुत अधिक दबाव डाला था. ज़र्ब-ए-अज़ब अभियान भी आंशिक रूप से पाकिस्तान द्वारा चीनियों को यह आश्वासन देने के लिए चलाया गया था कि यह अभियान उइगर आतंकवादियों को निपटाने के उद्देश्य से चलाया गया था.

चीनियों ने पाकिस्तान पर ऑपरेशन थोपा

कहा जा रहा है कि इस अभियान को एक बार फिर चीनियों ने पाकिस्तान पर थोपा गया है. 29 मई को बिजनेस रिकॉर्डर अखबार ने बताया कि चीनी उप विदेश मंत्री सन वेदोंग ने प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ की यात्रा की तैयारी के लिए बीजिंग आए पाकिस्तानी प्रतिनिधिमंडल से कहा कि “TTP, मजीद ब्रिज, BLA और अन्य आतंकवादी ताकतों को हमेशा के लिए कुचलने के लिए एक और ज़र्ब-ए-अज़ब की ज़रूरत है.”

इसी साल मार्च में डैश बांध परियोजना पर काम कर रहे चीनी इंजीनियरों को ले जा रही बस पर आत्मघाती हमला हुआ था. इसके बाद से चीन पाकिस्तान पर काफी नाराज दिखा. कहा जा रहा है कि चीन के इसी नाराजगी को कम करने के लिए पाकिस्तान ने अब  आज़म-ए-इस्तेहकाम ऑपरेशन शुरू किया है.

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