Ambedkar Jyanti: भारत से लेकर सात समंदर पार…भीमराव आंबेडकर से जुड़े ‘पंचतीर्थ’, जिन्हें अनुयायी श्रद्धा का स्थान मानते हैं
डॉ. भीमराव आंबेडकर से जुड़े पंचतीर्थ स्थान
Ambedkar Jyanti: सोमवार को देश के साथ-साथ दुनिया भर में डॉ. भीमराव आंबेडकर (Bhimrao Ramji Ambedkar) की 134वीं जन्म जयंती मनाई जा रही है. लोग उन्हें बाबा साहब के नाम से भी पुकारते हैं. बाबा साहब को भारतीय संविधान का निर्माता कहा जाता है. जिस समिति ने संविधान का प्रारूप तैयार किया, वे उस समिति के अध्यक्ष थे. भारत रत्न से सम्मानित डॉ. भीमराव आंबेडकर को देश के निर्माता के रूप में भी जाना जाता है. देश के पहले कानून मंत्री थे. शिक्षा को महत्व देते हुए कहते थे कि शिक्षा वह शेरनी का दूध है जो पीयेगा वो दहाड़ेगा. उनके जीवन से जुड़े भारत समेत दुनिया भर में कई स्थान हैं जो ‘पंचतीर्थ’ के नाम से जाने जाते हैं.
महू (जन्मस्थली) : मध्य प्रदेश के इंदौर में स्थित महू जिसे अब अंबेडकरनगर के नाम से जाना जाता है. इसी जगह पर 14 अप्रैल 1891 में जन्म हुआ था. इसे ‘लोगों की धरती’ के नाम से भी जाना जाता है. आज यहां एक स्मारक है. आंबेडकर के अनुयायी इसे ‘भीम जन्मभूमि’ भी कहते हैं. यहां एक म्यूजियम है. इसके अलावा धम्म हॉल है.
लंदन (शिक्षा भूमि): बाबा साहब ने लंदन में रहकर उच्च शिक्षा प्राप्त की थी. इसलिए इसे ‘शिक्षा की भूमि’ कहा जाता है. लंदन में 10 किंग हेनरीज रोड पर एक स्मारक बनाया गया है. साल 1921-22 में लंदन स्कूल ऑफ इकोनोमिक्स में पढ़ाई के दौरान यहां रहा करते थे. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने साल 2015 में इस स्मारक का उद्घाटन किया था.
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नागपुर (दीक्षाभूमि): महाराष्ट्र के नागपुर में स्थित है दीक्षाभूमि. इस जगह डॉ. भीमराव आंबेडकर ने 14 अक्टूबर 1956 को बौद्ध धर्म ग्रहण करने के लिए दीक्षा ली थी. यहां एक 120 फीट ऊंचा बौद्ध स्तूप है. यहां हर साल करीब 11 लाख टूरिस्ट आते हैं. यहां म्यूजियम, धम्म स्थल है. एक स्तंभ है जिसमें 22 प्रतिज्ञा लिखी हुई हैं.
दिल्ली (महापरिनिर्वाण भूमि): 6 दिसंबर 1956 को डॉ. भीमराव आंबेडकर ने अंतिम सांस ली थी. 26, अलीपुर रोड स्थित आवास पर बाबा साहब का महापरिनिर्वाण हुआ था. उनके सम्मान में यहां एक स्मारक बनाया गया है.
मुंबई (चैत्य भूमि): महाराष्ट्र के मुंबई के दादर में चैत्यभूमि है. जहां बाबा साहब की समाधि स्थली है. ये बौद्ध धर्म के लोगों की आस्था का केंद्र है. यहां बौद्ध धर्म के रीति-रिवाजों से अंतिम संस्कार किया गया था. इसमें देश-दुनिया से लगभग 20 लाख लोग शामिल हुए थे.