लोकसभा में सोमवार को पेश नहीं होगा ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ बिल, कार्यसूची से भी हटा, जानें क्या है सरकार की नई रणनीति
One Nation One Election Bill: आगामी सोमवार को लोकसभा में ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ बिल पेश नहीं किया जाएगा, क्योंकि इसे संशोधित कार्यसूची से हटा दिया गया है. पहले शुक्रवार को जारी कार्यसूची में इस बिल को लोकसभा में पेश करने का संकेत दिया गया था, लेकिन अब इसे स्थगित कर दिया गया है. फिलहाल, सरकार की तरफ से इस बदलाव का कारण साफ नहीं किया गया है, और यह भी स्पष्ट नहीं है कि यह बिल अब कब पेश किया जाएगा.
कुछ राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह फैसला इसलिए लिया गया, क्योंकि सोमवार और मंगलवार को राज्यसभा में संविधान पर चर्चा होनी है. इस दौरान विपक्ष ने सभापति के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव भी लाया है, और चर्चा में कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों के आक्रामक रुख को देखते हुए सरकार ने ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ बिल को फिलहाल स्थगित किया है. साथ ही गृह मंत्री अमित शाह सोमवार को रायपुर में व्यस्त होंगे, जो इस फैसले से जुड़ा एक और कारण हो सकता है.
मंगलवार या बुधवार को पेश हो सकता है बिल
अब उम्मीद की जा रही है कि इस बिल को मंगलवार या बुधवार को लोकसभा में पेश किया जा सकता है. संसद का शीतकालीन सत्र 20 दिसंबर को समाप्त होने वाला है, और इस बीच सरकार ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ बिल को पास करवाना चाहती है. 12 दिसंबर को मोदी कैबिनेट ने इस बिल को मंजूरी दी थी, जो 2034 के बाद एक साथ चुनाव कराने का प्रस्ताव करता है. सरकार ने लोकसभा के सभी सदस्यों को इस बिल का मसौदा भी भेज दिया है.
संसद में पेश होंगे दो अन्य महत्वपूर्ण बिल
इसके साथ ही, मोदी सरकार लोकसभा में दो और अहम बिल पेश करेगी. पहला है ‘द कंस्टीटूशन (129वां संशोधन)’ और दूसरा ‘द यूनियन टेरिटरी (संशोधन 1) बिल’, जिसके तहत संविधान और दिल्ली तथा जम्मू-कश्मीर के केंद्रशासित प्रदेश के कानूनों में बदलाव किए जाएंगे. इसके जरिए संसद के चार महत्वपूर्ण अनुच्छेदों में संशोधन का प्रस्ताव है. इनमें अनुच्छेद 82 ए, 83, 172, और 327 शामिल हैं, जो लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनावों और कार्यकाल से जुड़े प्रावधानों को प्रभावित करेंगे.
कोविंद समिति की सिफारिशें
‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ के लिए पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में एक उच्च स्तरीय समिति का गठन किया गया था. इस समिति ने मार्च 2024 में अपनी सिफारिशें राष्ट्रपति को सौंपी थीं, जिसमें लोकसभा और सभी राज्य विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराने की सिफारिश की गई थी. समिति ने पहले चरण में लोकसभा और विधानसभा के चुनावों को एक साथ आयोजित करने का प्रस्ताव रखा था, इसके बाद 100 दिनों के भीतर स्थानीय निकाय चुनावों की सिफारिश की थी. अब देखना यह है कि सरकार इस बिल को कब पेश करेगी और संसद में इसके क्या परिणाम होंगे.