चांदनी चौक में जैन समुदाय के लोगों ने मुस्लिमों के जैसे कपड़े पहनकर खरीदे 124 बकरे, बकरीद पर कटने से बचाया
Bakrid: दिल्ली के चांदनी चौक में कुछ जैन व्यापारियों ने मिलकर बकरीद के मौके पर बकरों की कीमत चुकाकर उन्हें कटने से बचाया. कुछ लोगों ने इसे सराहनीय कार्य बताया तो कुछ ने कहा कि पीपल फॉर एथिकल ट्रीटमेंट ऑफ एनिमल्स (पेटा) को इनसे यह सीख लेनी चाहिए. दरअसल, 30 वर्षीय चार्टर्ड अकाउंटेंट विवेक जैन ने ईद-उल-अजहा (बकरीद) के दौरान 124 बकरियों को कटने से बचाने के लिए 15 लाख रुपये जुटाए थे. इसके बाद कई जैन लोगों को मुस्लिम के कपड़े पहनाए और बकरी खरीदने भेज दिया. ऐसा करके विवेक ने कुल 124 बकरियों को कटने से बचाया.
विवेक जैन ने बकरियों को शांत करने के लिए शक्तिशाली जैन मंत्र भी बोला. उन्होंने कहा कि यह शांति और सकारात्मकता लाने के लिए एक शक्तिशाली जैन मंत्र है. ये बकरियां इसलिए डरी हुई हैं क्योंकि उन्हें लगता है कि उन्हें वध के लिए इकट्ठा किया गया है. उन्हें नहीं पता कि हमने उन्हें नया जीवन दिया है.”
जैनियों के लिए बकरा दर्शन का दिन
धर्मपुर इलाके में नया जैन मंदिर ईद से पहले चहल-पहल वाले बकरा बाजारों की तरह ही गुलजार था. हालांकि, यहां उत्साह कसाई के ब्लेड से बकरों को “बचाने” को लेकर था. चांदनी चौक में रहने वाले जैनियों के लिए यह बकरा दर्शन का दिन था. बकरे के बकरे की एक झलक पाने के लिए लोग मंदिर में उमड़ रहे थे. कुछ लोगों ने उनके चारे के लिए धन दान किया, कुछ ने गर्व से उन्हें दुलारा, तथा कुछ ने अपने धर्म के गुणों का बखान किया.
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कैसे की गई प्लानिंग
वहीं एक और शख्य चिराग जैन ने इसके बारे में विस्तार से बताया है. उन्होंने कहा, ” इसकी शुरुआत गुरु संजीव के फोन कॉल से हुई. संजीव ईद पर बकरों की हत्या से नाराज थे.” चिराग ने कहा, “वह इस बारे में कुछ करना चाहते थे और फिर यह तय हुआ कि भले ही हम सभी बकरियों को नहीं बचा सकते, लेकिन हमें जितनी हो सके उतनी बचानी चाहिए. हम इसे सामाजिक कल्याण कहते हैं और यही हमारा धर्म हमें सिखाता है.”
चिराग ने कहा कि जल्द ही एक योजना तैयार की गई. 15 जून की शाम को जैन समुदाय के 25 लोगों की एक टीम बनाई गई. पैसे के लिए एक व्हाट्सएप संदेश बनाया गया. फिर टीम ने उन इलाकों की जांच की जहां बकरियां बेची जाती थीं. हमने उनके मुस्लिम समुदाय के सदस्य होने का दिखावा किया और पूछा कि बकरे किस कीमत पर बेचे जाते हैं. हमने बकरी मंडियों का भी निरीक्षण किया. ऐसे हमने इन सभी बकरियों को कटने से बचाया.