ट्रंप की ताजपोशी से पहले ही क्यों आउट हुए Justin Trudeau? बोरिया-बिस्तर बांधने की ये है कहानी

आपके मन में सवाल उठ रहा होगा कि क्या ये सब सिर्फ महंगाई, बेरोज़गारी, और विदेश नीति की गलतियों का नतीजा है, या फिर ये केवल 'ट्रंप फेक्टर' का असर है? इसी सवाल का जवाब ढूंढते हुए, हम जानते हैं कि कनाडा में अब क्या हो रहा है, और क्यों जस्टिन ट्रूडो का इस्तीफा सिर्फ एक राजनैतिक कदम नहीं, बल्कि भविष्य के लिए एक बड़े बदलाव का संकेत हो सकता है!
Justin Trudeau

डोनाल्ड ट्रंप और जस्टिन ट्रूडो

Political Crisis In Canada: साल 2018 में ट्रूडो को भारत में अपने बच्चों के साथ ताजमहल के सामने खड़े देखकर लगा था कि शायद ये शख्स कभी न कभी किसी बड़े नेता के तौर पर इतिहास में छाप छोड़ सकता है. अपने परिवार को भारत में दिखाकर ट्रूडो दिल तो जीते, लेकिन अपने देश में न केवल अपनी लोकप्रियता खो दी, बल्कि अब पीएम पद से इस्तीफा भी दे दिया है.

जी हां, कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो कनाडाई राजनीति को हिला दिया है. आइये सबकुछ विस्तार से समझते हैं कि कैसे ट्रूडो की पॉलिसी, विशेष रूप से उनकी विदेश नीति और आर्थ‍िक प्रबंधन, कनाडा के भीतर असंतोष का कारण बनीं और क्यों उन्हें इस मोड़ पर इस्तीफा देने का निर्णय लेना पड़ा. साथ ही, अमेरिका में ट्रंप की ताजपोशी और बाइडेन की विदाई का कनाडा की राजनीति पर क्या असर पड़ने वाला है.

आपके मन में सवाल उठ रहा होगा कि क्या ये सब सिर्फ महंगाई, बेरोज़गारी, और विदेश नीति की गलतियों का नतीजा है, या फिर ये केवल ‘ट्रंप फेक्टर’ का असर है? इसी सवाल का जवाब ढूंढते हुए, हम जानते हैं कि कनाडा में अब क्या हो रहा है, और क्यों जस्टिन ट्रूडो का इस्तीफा सिर्फ एक राजनैतिक कदम नहीं, बल्कि भविष्य के लिए एक बड़े बदलाव का संकेत हो सकता है!

2018 में ट्रूडो का भारत दौरा

जस्टिन ट्रूडो ने 2018 में भारत का दौरा किया था, जब वे एक युवा, लोकप्रिय और करिश्माई नेता के रूप में उभरे थे. इस यात्रा के दौरान, उन्होंने भारतीय संस्कृति के साथ अपने संबंधों को मजबूत करने की कोशिश की थी. उनका पारिवारिक दृष्टिकोण और सहजता ने भारतीय जनता के दिलों में अपनी एक खास जगह बनाई. उनकी तस्वीरें, जिसमें वे अपने बच्चों के साथ थे, वायरल हुईं और लोगों को उनका सादगीपूर्ण और परिवार-प्रेमी व्यक्तित्व बेहद पसंद आया.

राजीव गांधी जैसी छवि

ट्रूडो के राजनीतिक सफर की शुरुआत उनके पिता पियरे ट्रूडो के साथ जुड़ी हुई थी, जो कनाडा के दो बार प्रधानमंत्री रह चुके थे. हालांकि, यह स्थिति जस्टिन के लिए आसान नहीं थी. पियरे ट्रूडो के बाद, जस्टिन को कनाडा में प्रधानमंत्री बनने के लिए लंबा संघर्ष करना पड़ा. इसके बावजूद, उन्होंने 2015 में प्रधानमंत्री बनने का सपना साकार किया और अपनी पार्टी को 2019 में फिर से सत्ता में लाया. 2021 में उन्होंने मध्यावधि चुनावों में फिर से जीत भी हासिल की थी. कोविड-19 के दौरान उनके कामों की भी सराहना की गई थी. 2021 में उन्होंने मध्यावधि चुनावों में फिर से जीत भी हासिल की थी.

NDP के साथ गठबंधन और विदेशी नीति के विवाद

कनाडा में राजनीतिक स्थिरता बनाए रखने के लिए, ट्रूडो को न्यू डेमोक्रेटिक पार्टी (NDP) से सहयोग लेना पड़ा. NDP की सहायता से ही वे प्रधानमंत्री बने, लेकिन इस गठबंधन के कारण उन्हें कई बार आलोचनाओं का सामना भी करना पड़ा, खासकर उनके ऊपर सिख अलगाववादियों का समर्थन करने का आरोप भी लगा. इसके साथ ही, ट्रूडो की विदेश नीति विशेषकर भारत और अमेरिका के संदर्भ में विवादों से घिरी रही.

अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन के प्रति ट्रूडो का झुकाव और उनकी नीति ने कनाडा और भारत के रिश्तों को तनावपूर्ण बना दिया था. भारत सरकार ने कई बार उनके रिश्तों को लेकर प्रश्न उठाए.

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महंगाई की मार

एक और महत्वपूर्ण कारण, जिससे ट्रूडो को आलोचनाओं का सामना करना पड़ा, वह कनाडा की बिगड़ती आर्थ‍िक स्थिति थी. महंगाई दर में अभूतपूर्व वृद्धि, विशेषकर पेट्रोलियम उत्पादों की बढ़ती कीमतों ने जनता को नाराज कर दिया था. कच्चे तेल के बड़े भंडार होने के बावजूद, कनाडा में पेट्रोल और डीजल की कीमतें बहुत अधिक थीं. इसके अलावा, किफायती आवास की कमी, बेरोजगारी की बढ़ती दर, और शिक्षा व स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति भी इस असंतोष का प्रमुख कारण बने.

शरणार्थियों के प्रति उदार नीति

जस्टिन ट्रूडो की शरणार्थियों के प्रति उदार नीति ने कनाडा को कई समस्याओं से भी जूझने पर मजबूर किया. सीरिया, अफगानिस्तान, और यूक्रेन जैसे देशों से आने वाले शरणार्थियों ने कनाडा की आर्थ‍िक संरचना पर दबाव डाला. शरणार्थियों को मिलने वाली सरकारी सहायता राशि ने कनाडा की अर्थव्यवस्था को गंभीर रूप से प्रभावित किया, जिससे नागरिकों में असंतोष बढ़ा.

ट्रंप से ट्रूडो को खतरा!

अमेरिका में नवंबर 2024 में हुए चुनाव में रिपब्लिकन पार्टी के उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रंप की जीत ने जस्टिन ट्रूडो को और भी अधिक परेशान किया. ट्रंप ने एक बयान में कहा कि कनाडा अमेरिका का ’51वां राज्य’ है. ट्रंप का यह बयान कनाडा के नागरिकों में विरोध और गुस्से का कारण बना. ट्रूडो की पार्टी के नेताओं ने यह महसूस किया कि ट्रूडो की नेतृत्व क्षमता अब कमजोर हो चुकी है और उन्हें चुनावों में हार का सामना करना पड़ सकता है.

ट्रूडो का इस्तीफा

इस बढ़ते असंतोष और पार्टी में गहरे संकट के बाद, जस्टिन ट्रूडो ने 2025 में अपने इस्तीफे का ऐलान किया. उन्होंने संसद को 24 मार्च तक के लिए भंग कर दिया और कहा कि वे तब तक प्रधानमंत्री बने रहेंगे, जब तक एक योग्य नेता का चयन नहीं हो जाता. कृष्टिया फ्रीलैंड ने उनके आर्थिक नीतियों के विरोध में इस्तीफा दे दिया था. यह घटनाक्रम कनाडा की राजनीति में एक बड़ी हलचल मचाने का कारण बना.

ट्रंप की ताजपोशी

डोनाल्ड ट्रंप 20 जनवरी को फिर से अमेरिकी राष्ट्रपति के रूप में शपथ लेने जा रहे हैं. ट्रंप का कहना है कि वे यूक्रेन-रूस युद्ध और अन्य अंतरराष्ट्रीय संकटों को जल्द खत्म करना चाहते हैं, ताकि अमेरिकी अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित किया जा सके. ट्रंप का यह रूख कनाडा की आर्थिक स्थिति पर भी असर डालने वाला है, क्योंकि कनाडा ने यूक्रेन को भारी सैन्य और वित्तीय सहायता दी थी.

कनाडा में चल रही सामाजिक समस्याएं

कनाडा में शरणार्थियों की बढ़ती संख्या, नशे की समस्याएं, और शिक्षा के क्षेत्र में हो रहे घोटाले जैसे मुद्दे भी इस समय गंभीर हैं. कनाडा के युवा एक कठिन जीवन जी रहे हैं, जहां नौकरी की कमी और महंगाई के कारण उनका भविष्य अंधकारमय हो गया है. इन समस्याओं का समाधान ढूंढ़ने में जस्टिन ट्रूडो नाकाम रहे थे, जिसके कारण जनता की नाराजगी और उनके नेतृत्व का अंत होना स्वाभाविक था.

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