रावण से लेकर दुर्योधन तक…उत्तर प्रदेश विधानसभा में ‘महाभारत’ क्यों? माता प्रसाद पांडेय के बयान से बवाल
सीएम योगी और माता प्रसाद पांडेय
UP Assembly: उत्तर प्रदेश विधानसभा में इस बार बजट सत्र में कुछ ऐसा हंगामा हुआ है, जो किसी भी महाभारत से कम नहीं. सोमवार और मंगलवार को विधानसभा में एक के बाद एक सियासी बयानबाजी ने नेताओं के बीच तलवारें खींचने का माहौल बना दिया. चर्चा का विषय बने यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और समाजवादी पार्टी के नेता विपक्ष माता प्रसाद पांडेय.
माता प्रसाद पांडेय ने क्या कहा?
सबसे पहले समाजवादी पार्टी के नेता और विधानसभा में नेता विपक्ष माता प्रसाद पांडेय ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर एक विवादित बयान दिया. पांडेय ने कहा, “कंस भी एक राजा था, जो कृष्ण के जन्म से डरता था, और उसे ये डर था कि कृष्ण के आने के बाद उसकी सत्ता समाप्त हो जाएगी. ठीक वैसे ही कुछ लोग अखिलेश यादव से डरते हैं.” उन्होंने इशारों-इशारों में योगी पर निशाना साधा.
ब्रजेश पाठक का पलटवार
लेकिन ये सियासी संग्राम यहीं खत्म नहीं हुआ. डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने माता प्रसाद पांडेय के बयान पर तगड़ा पलटवार किया. उन्होंने समाजवादियों पर आरोप लगाया कि जब इनकी सरकार थी, तब ये लोग लूट, डकैती और व्यभिचार में लिप्त रहते थे. ब्रजेश पाठक ने यहां तक कहा कि समाजवादियों का आचरण बिल्कुल कंस, रावण और दुर्योधन जैसा है, जो पाप और अत्याचार में लिप्त रहते थे. उन्होंने कहा कि समाजवादी पार्टी के कार्यकाल में यूपी में कई तरह के अपराध बढ़ने के आरोप लगते रहे हैं.
वहीं, डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने महाकुंभ की व्यवस्था पर बयान दिया. महाशिवरात्रि के दौरान हरिद्वार में महाकुंभ की व्यवस्थाओं का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि महाकुंभ की बेहतर व्यवस्था सपा जैसी मानसिकता वालों के मुंह पर तमाचा है. इसके अलावा, मौर्य ने यह भी कहा कि उत्तर प्रदेश में महाकुंभ के आयोजन की सफलता यह दर्शाती है कि भाजपा सरकार कितनी सक्षम है और समाजवादी पार्टी की मानसिकता को इससे जवाब मिलता है.
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विपक्ष को सीएम योगी ने धोया!
इस सियासी घमासान का एक और महत्वपूर्ण मोड़ सोमवार को आया, जब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने राज्यपाल के अभिभाषण के दौरान सपा के सदस्यों के विरोध को लेकर बयान दिया. उन्होंने सवाल किया, “क्या राज्यपाल के अभिभाषण के दौरान किए गए समाजवादी पार्टी के सदस्यों के व्यवहार और टिप्पणियां संवैधानिक थीं?”
सत्र के पहले दिन राज्यपाल आनंदीबेन पटेल का अभिभाषण पूरे नहीं हो पाया था, और यह घटनाक्रम सपा के विरोध के कारण हुआ था. योगी आदित्यनाथ ने इस पर सख्त प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि विधानसभा में ऐसी अव्यवस्था का कोई स्थान नहीं है.
अब आगे क्या?
जैसे-जैसे विधानसभा सत्र आगे बढ़ रहा है, लगता है कि उत्तर प्रदेश में सियासी महाभारत का मैदान पूरी तरह से सज चुका है. इस घमासान में रावण, कंस और दुर्योधन के समान लक्षण वाले सियासी आरोप-प्रत्यारोप लग रहे हैं, लेकिन सवाल अब यह उठता है कि इसमें कृष्ण का किरदार कौन निभाएगा. क्या अखिलेश यादव इस महाभारत में संघर्ष कर रहे पांडवों के नेता बनेंगे, या फिर योगी आदित्यनाथ अपनी सरकार की उपलब्धियों के साथ मैदान में कृष्ण के रूप में उभरेंगे?