CM शिंदे से अचानक मिलने पहुंचे राज ठाकरे, महाराष्ट्र की सियासत में हलचल, लगने लगी अटकलें

Maharashtra Politics: राज ठाकरे मनसे प्रतिनिधिमंडल के साथ मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे से उनके आवास पर मिलने पहुंचे. जिनमें विभिन्न मुद्दों को लेकर चर्चा की है.
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एकनाश शिंदे और राज ठाकरे

Maharashtra Politics: महाराष्ट्र में मौसम की तरह इस वक्त राज्य की राजनीति भी करवट बदल रही है. इसी बीच हो रही तेज बारिश में ही मनसे चीफ राज ठाकरे महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे मिलने पहुंच गए. जिसको लेकर राजनीतिक हलकों में कई तरह के कयास लगाए जा रहे हैं. चर्चा यहां तक है कि मनसे चीफ राज ठाकरे ने राज्य विधानसभा चुनाव को लेकर एकनाथ शिंदे से बात की है. हालांकि, इस बात की कोई पुख्ता जानकारी नहीं है.

इतनी जानकारी जरूर सामने निकलकर सामने आई है कि राज ठाकरे मनसे प्रतिनिधिमंडल के साथ मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे से उनके आवास पर मिलने पहुंचे. जिनमें विभिन्न मुद्दों जैसे बीडीडी चॉल का पुनर्विकास, पुलिस हाउसिंग कॉलोनी का पुनर्विकास और कुछ अन्य आवास परियोजनाओं को लेकर चर्चा की है. इस दौरान बैठक में महाराष्ट्र सरकार के कुछ वरिष्ठ अधिकारी भी शामिल हो रहे हैं. यह जानकरी चीफ मिनिस्टर ऑफिस द्वारा साझा की गई है.

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महाराष्ट्र के राजनीतिक हलकों में मची हलचल

हालांकि, इतना जरूर है कि इस मुलाकात ने महाराष्ट्र के राजनीतिक हलकों में हलचल मचा दी, हर कोई इस बात पर अटकलें लगा रहा था कि इन दोनों ने क्या बात की होगी. लेकिन, महाराष्ट्र में चुनाव लगभग तीन महीने दूर हैं और छह प्रमुख राजनीतिक दल मैदान में हैं, ऐसे में इस तरह की मुलाकातें, संयोग और अनुपस्थिति राजनीतिक पर्यवेक्षकों की रुचि बढ़ा रही हैं और पहले से ही उलझे हुए राजनीतिक परिदृश्य को और अधिक अस्पष्ट बना रही हैं.

पिछले एक महीने में कम से कम पांच बार ऐसी घटनाएं हुई हैं, जब विभिन्न दलों के नेता एक-दूसरे से मिले हैं, जिससे अक्सर उनकी अपनी पार्टी के लोगों के बीच यह सवाल उठता है कि क्या ये किसी मंथन के संकेत हैं.

“साधारण मुलाकातें भी रखती हैं महत्व”

राजनीतिक टिप्पणीकार हेमंत देसाई का मानना है कि हाल ही तक महाराष्ट्र की राजनीतिक संस्कृति ऐसी थी कि कट्टर राजनीतिक प्रतिद्वंदियों के लिए भी व्यक्तिगत कार्यक्रमों या शिष्टाचार भेंट के तौर पर एक-दूसरे से मिलना स्वाभाविक था. पिछले चार-पांच सालों में इसमें बदलाव आया है. दो पार्टियां अलग हो गई हैं. काफी अस्थिरता है और दलबदल की गुंजाइश है. इसलिए, अब साधारण मुलाकातें भी नया महत्व रखती हैं.”

देसाई ने राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों मृणाल गोरे और शरद पवार, जॉर्ज फर्नांडिस और वसंतराव नाइक, शरद पवार और बाल ठाकरे और यहां तक ​​कि गोपीनाथ मुंडे और विलासराव देशमुख के बीच मित्रता और शिष्टाचार मुलाकातों के उदाहरण दिए.

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