Ram Lalla Adhivas: जल से लेकर फल तक…ऐसे भव्य मंदिर में कमल पर विराजमान होंगे रामलला

सबसे पहले प्राण प्रतिष्ठा के दौरान रामलला की प्रतिमा का अधिवास संस्कार किया जाएगा. इसके लिए वाराणसी के आचार्यों ने प्रारूप पहले से ही तय कर रखा है.
RAM MANDIR

राम मंदिर मॉडल

Ram Lalla Adhivas: अयोध्या के राम मंदिर में रामलला की मूर्ति की प्राण-प्रतिष्ठा ( Pran pratishtha) का दिन करीब आ रहा है. अब राम के आने में महज 7 दिनों का वक्त शेष है. प्राण प्रतिष्ठा समारोह 22 जनवरी को होगा और विभिन्न अनुष्ठान 16 जनवरी यानी आज से शुरू हो रहे हैं. वैसे तो किसी भी मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा समारोह में वेदों और पुराणों से लिए गए विभिन्न अनुष्ठान शामिल होते हैं, जिनमें से प्रत्येक का अपना महत्व होता है. लेकिन रामलला की प्राण प्रतिष्ठा समारोह बेहद ही अनूठा होगा. इसमें वेद पुराण से लिए गए पूजा अनुष्ठान के तहत भगवान को किसी दिन जल में तो किसी दिन फल में रखा जाएगा. इस विधि को अधिवास कहा जाता है. आइये जानते हैं कि रामलला की मूर्ति में प्राण प्रतिष्ठा यानी जीवन कैसे प्रदान किया जाएगा? इसकी प्रक्रिया क्या है?

क्या है Pran pratishtha ?

सबसे पहले यह जानना आवश्यक है कि प्राण प्रतिष्ठा क्या होती है. दरअसल, प्राण-प्रतिष्ठा वह कार्य है जो एक मूर्ति को देवता में बदल देता है और प्रार्थना स्वीकार करने व वरदान देने की क्षमता देता है. इसके लिए प्रतिमा को विभिन्न चरणों से गुजरना होगा. यहां हम कुछ प्रमुख चरणों के बारे में बता रहे हैं.

क्या होता है अधिवास?

बता दें कि यह सनातन धर्म की एक परंपरा है. इसके तहत मूर्ति में प्राण दिया जाता है. पहले दिन देवी-देवताओं के आह्वान के बाद भगवान गणेश की पूजा-अर्चना की जाती है. फिर किसी भी मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा होती है. रामलला की प्राण प्रतिष्ठा में भी इसी विधि का इस्तेमाल किया जा रहा है.

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8 चरणों में होगा राम लला का अधिवास

सबसे पहले प्राण प्रतिष्ठा के दौरान रामलला (Ram Lalla ) की प्रतिमा का अधिवास संस्कार किया जाएगा. इसके लिए वाराणसी के आचार्यों ने प्रारूप पहले से ही तय कर रखा है. एक दिन में दो पालियों में प्रतिमा का अधिवास होगा. अंतिम दिन रात्रि में भगवान राम का शय्याधिवास संस्कार होगा. हालांकि, अयोध्या में पूजा-अर्चना, देवी-देवताओं का आह्वान जैसे कार्यक्रम आज यानी 16 जनवरी से ही शुरू हो गया है, लेकिन  22 जनवरी को पीएम मोदी की उपस्थिति में प्राण प्रतिष्ठा से पूर्व रामलला की प्रतिमा के अधिवास का क्रम 18 जनवरी से प्रारंभ होगा.

इस विधि के द्वारा भगवान की मूर्ति को जीवन कारक द्रव्यों में विराजित किया जाना है. इसमें कुल चार दिन लगेंगे. धर्म और पूजा विधि के जानकारों का कहना है कि प्रत्येक दिन एक द्रव्य में रामलला की प्रतिमा को कम से कम दो घंटे तक रखा जाएगा. सबसे पहले 18 जनवरी को रामलला की प्रतिमा का जलाधिवास और गंधाधिवास होगा. इसके बाद 19 जनवरी को औषधिवास और केसराधिवास होगा. इसके बाद 20 जनवरी को रामलला का घृत और धान्याधिवास कराया जाएगा.

21 जनवरी को फलाधिवास

अब प्राण प्रतिष्ठा के अंतिम चरण में 21 जनवरी को पहली पाली में शर्कराधिवास व फलाधिवास होगा और दूसरी पाली में पुष्पाधिवास होगा. इसी दिन रात में मूर्ति का शय्याधिवास संस्कार भी होगा. जानकारी के मुताबिक, इसमें दो प्रतिमाओं का इस्तेमाल किया जाएगा. श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने दोनों ही प्रतिमाएं तैयार करा ली हैं. एक प्रतिमा शिला की और दूसरी रजत धातु की गढ़ी जा चुकी है. रजत की प्रतिमा आकार में छोटी है, जिसका संपूर्ण संस्कार यज्ञ मंडप में होगा. इस विधि के बाद रामलला को राम मंदिर में विराजमान किया जाएगा. इस दौरान वेदपाठी ब्राह्मण वेद पाठ करेंगे.

 

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