केरल में RSS की बैठक, नड्डा हुए शामिल, क्या BJP में बढ़ेगी संघ की दखल?
RSS Samanvay Baithak: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के लगभग सभी शीर्ष पदाधिकारी और इससे प्रेरित संगठनों के प्रमुख इन दिनों केरल के पलक्कड़ में हैं. संगठन की राजनीतिक शाखा भारतीय जनता पार्टी के साथ बेहतर समन्वय इस बैठक का मुख्य एजेंडा है. इस कार्यक्रम में RSS प्रमुख मोहन भागवत और महासचिव दत्तात्रेय होसबले के साथ सभी छह संयुक्त महासचिव भी मौजूद हैं. वहीं, बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा और संयुक्त सचिव बीएल संतोष पार्टी का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं.
हरियाणा, जम्मू और कश्मीर, महाराष्ट्र और झारखंड में आगामी विधानसभा चुनावों को लेकर चर्चा होने की संभावना है. नड्डा की उपस्थिति इस दृष्टि से महत्वपूर्ण है कि उन्होंने लोकसभा चुनावों के दौरान RSS को यह कहकर नाराज कर दिया था कि पीएम मोदी के नेतृत्व में बीजेपी अपने दम पर चुनाव जीतने में सक्षम है. नड्डा ने कहा था, “हम शुरुआत में कम सक्षम रहे होंगे, हमें RSS की जरूरत थी, लेकिन आज हम आगे बढ़ चुके हैं और सक्षम हैं. RSS ने पलटवार किया. किसी का नाम लिए बिना भागवत ने कहा था एक सच्चा सेवक अहंकारी नहीं हो सकता. संघ के एक वरिष्ठ पदाधिकारी इंद्रेश कुमार ने कहा था, “लोगों ने अहंकारी पार्टी को 240 सीटों तक सीमित कर दिया है”.
संगठन और पार्टी में विचार-विमर्श
4 जून के बाद बीजेपी-RSS पदाधिकारियों के बीच बहुत सारे स्पष्टीकरण और विचार-विमर्श हुए हैं ताकि आखिरकार अतीत को भुला दिया जाए और नई राजनीतिक चुनौतियों को देखते हुए नए सिरे से शुरुआत की जाए. हाल ही में संपन्न लोकसभा चुनावों में जाति एक बड़ा मुद्दा रहा है, जिसमें कांग्रेस और विपक्षी दल जाति जनगणना और आरक्षण बढ़ाने की मांग कर रहे हैं. बीजेपी विरोधी इंडी ब्लॉक की जाति की पिच ने बीजेपी की हिंदुत्व की पिच को डेंट किया है, जिससे बीजेपी को बहुमत से हाथ धोना पड़ा.
RSS दशकों से हिंदुओं के बीच जाति विभाजन को पाटने के लिए अपना सामाजिक समरसता कार्यक्रम चला रहा है, लेकिन लोकसभा के नतीजों के बाद इसमें नए सिरे से बदलाव की जरूरत है. इस चुनाव में ओबीसी और दलितों का बड़ा हिस्सा बीजेपी से दूर चला गया है. बीजेपी को इस धारणा को बदलने की जरूरत है कि बीजेपी ओबीसी या दलित विरोधी है. RSS शाखा-स्तर के कार्यकर्ता यह सुनिश्चित करते हैं कि निचली जातियों या दलितों को मंदिर में प्रवेश करने या कुओं से पानी भरने और उन्हें रोजगार में मदद करने से न रोका जाए.
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कांग्रेस के एजेंडे पर भी चर्चा की संभावना
RSS-बीजेपी संविधान को बदलने और दलितों के अधिकारों को छीनने से संबंधित कांग्रेस के “एजेंडे” से भी अवगत हैं. इस वार्षिक बैठक में कांग्रेस के इस तर्क का मुकाबला करने के उपाय पर भी चर्चा होने की संभावना है. अपने 30 लाख से अधिक सदस्यों के साथ RSS ने हमेशा बीजेपी को चुनाव जीतने में मदद करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. हालांकि, 2024 के लोकसभा चुनाव में RSS कैडर विभिन्न कारणों से लोकसभा चुनावों के दौरान बहुत खुश और उत्साही नहीं दिखे, लेकिन संगठन को चार विधानसभा चुनावों के दौरान बेहतर समन्वय और बेहतर संचार के तरीके खोजने की जरूरत है. RSS-बीजेपी समन्वय के अलावा, संघ के विभिन्न अंगों को भी बेहतर चुनावी नतीजे पाने के लिए आपस में बेहतर समझ और काम करने की जरूरत है. बांग्लादेश की स्थिति, समान नागरिक संहिता, जाति जनगणना, नौकरियों में पार्श्व प्रवेश आदि कुछ अन्य सामाजिक और राजनीतिक मुद्दे हैं जो केरल में चर्चा के लिए आने की संभावना है.