क्या खतरे में है संभल जामा मस्जिद का ऐतिहासिक स्वरूप? कोर्ट में ASI ने किए कई खुलासे

एएसआई के हलफनामे में बताया गया है कि जब भी उनकी टीम इस ऐतिहासिक मस्जिद का निरीक्षण करने के लिए पहुंची, तो स्थानीय लोग उनका विरोध करने लगे और उन्हें मस्जिद के भीतर जाने से रोक दिया. इस वजह से एएसआई को इस मस्जिद के भीतर हुए अवैध निर्माण कार्यों की जानकारी नहीं हो पाई.
Sambhal Jama Masjid

Sambhal Jama Masjid

Sambhal Jama Masjid: भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण (ASI) ने हाल ही में एक अदालत में अपने हलफनामे में संभल स्थित जामा मस्जिद में अवैध निर्माण और उसकी संरचनात्मक स्थिति के बारे में कुछ गंभीर बातें साझा की हैं. ASI का कहना है कि यह मस्जिद 1920 से उनके संरक्षण में रही है, और इस दौरान उनके द्वारा मस्जिद के संरक्षण की जिम्मेदारी निभाई जाती रही है. हालांकि, ASI का यह भी दावा है कि लंबे समय से उनकी टीम को मस्जिद में प्रवेश करने की अनुमति नहीं दी गई, जिससे उन्हें वहां के मौजूदा स्वरूप की जानकारी नहीं मिल पाई है.

ASI टीम को प्रवेश से रोका

एएसआई के हलफनामे में बताया गया है कि जब भी उनकी टीम इस ऐतिहासिक मस्जिद का निरीक्षण करने के लिए पहुंची, तो स्थानीय लोग उनका विरोध करने लगे और उन्हें मस्जिद के भीतर जाने से रोक दिया. इस वजह से एएसआई को इस मस्जिद के भीतर हुए अवैध निर्माण कार्यों की जानकारी नहीं हो पाई. एएसआई का कहना है कि उन्हें 1998 में इस मस्जिद का निरीक्षण करने का मौका मिला था, और उसके बाद लंबे समय तक उन्हें प्रवेश से वंचित रखा गया. हालांकि, इस साल जून में एएसआई की टीम स्थानीय प्रशासन और पुलिस की मदद से मस्जिद में दाखिल हो पाई और वहां हो रहे निर्माण कार्यों का निरीक्षण किया.

अवैध निर्माण कार्य पर उठे सवाल

एएसआई ने अदालत को बताया कि मस्जिद के भीतर कई अवैध निर्माण कार्य किए गए हैं, जो प्राचीन संरचनाओं और पुरातात्विक अवशेषों के संरक्षण अधिनियम 1958 का उल्लंघन करते हैं. उन्होंने यह भी कहा कि जब भी एएसआई की टीम मस्जिद का निरीक्षण करने जाती थी, तो स्थानीय लोग हर बार उनके खिलाफ आपत्तियां जताते थे और पुलिस में शिकायत करते थे, जिससे कोई कार्रवाई नहीं हो पाई. एएसआई ने इन अवैध निर्माण कार्यों के लिए जिम्मेदार व्यक्तियों को कारण बताओ नोटिस भी जारी किए हैं.

मस्जिद की संरचना में बदलाव

मस्जिद की संरचना में कई बदलाव किए गए हैं, जिनका एएसआई ने विवरण दिया है. विशेष रूप से, मस्जिद के मुख्य भाग में सीढ़ियों के दोनों ओर स्टील की रेलिंग लगी हुई है, जो 2018 में अवैध रूप से बनाई गई थीं. इसके बाद, आगरा कमिश्नर ने इस अवैध निर्माण के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई थी और एएसआई ने मस्जिद के कमेटी को कारण बताओ नोटिस जारी किया था. इसके बावजूद, इन निर्माण कार्यों को हटाने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए.

इसके अलावा, मस्जिद के भीतर हौज का पत्थर लगाकर नवीनीकरण किया गया है, और मस्जिद के मुख्य द्वार से भीतर आते ही नए पत्थरों से फ्लोरिंग कर दी गई है, जिससे पुराने पत्थर दब गए हैं. एएसआई ने कहा कि इन बदलावों ने मस्जिद के वास्तविक स्वरूप को नष्ट कर दिया है. मस्जिद को पूरी तरह से इनेमल पेंट की मोटी परतों से रंग दिया गया है, और इसके मूल पत्थर के निर्माण पर प्लास्टर ऑफ पेरिस का इस्तेमाल किया गया है, जिससे मस्जिद का ऐतिहासिक रूप पूरी तरह बदल गया है.

मस्जिद के मुख्य हॉल में लोहे की चेन से एक कांच का झूमर लटकाया गया है, जो मूल रूप से मस्जिद की संरचना से मेल नहीं खाता. एएसआई ने अपनी रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया कि मस्जिद के पश्चिमी और उत्तरी भाग में कुछ छोटे कमरेनुमा संरचनाएं बनी हैं, जिनमें पुरानी छत के अवशेष दिखाई देते हैं. हालांकि, ये कक्ष सामान्यत: बंद रहते हैं और इनमें आंतरिक निरीक्षण संभव नहीं है.

यह भी पढ़ें: शिंदे को चाहिए ये मंत्रालय, BJP की तरफ से ना! अब महाराष्ट्र में महायुति के बीच कैसे बनेगी बात?

मस्जिद का मूल स्वरूप बिगड़ा!

एएसआई ने हलफनामे में बताया कि मस्जिद की संरचना में किए गए बदलावों से इसका मूल स्वरूप पूरी तरह से बिगड़ चुका है. विशेष रूप से मस्जिद के मुख्य हिस्से में कई बाद की संरचनाओं का निर्माण किया गया है, जिनमें छज्जे, बुर्ज और मीनार शामिल हैं, जो मूल निर्माण से मेल नहीं खाते. एएसआई ने यह भी कहा कि जब उन्होंने 1875-76 के आरेख से मस्जिद की संरचना की तुलना की, तो यह पाया कि मस्जिद के ऊपर के हिस्से में कई परिवर्तन किए गए थे, जिनमें ऊपरी हिस्से में कमाननुमा संरचनाएं और अतिरिक्त निर्माण शामिल हैं.

मस्जिद के पिछले हिस्से में प्राचीन निर्माण को दुकानों में परिवर्तित कर दिया गया है, जिन्हें मस्जिद कमेटी ने किराए पर दे दिया है. एएसआई का कहना है कि इस संरक्षित धरोहर की मूल संरचना को मनमाने निर्माण कार्यों से विकृत किया गया है, और अब मस्जिद का वास्तविक स्वरूप बहुत हद तक प्रभावित हो चुका है.

इस मामले में एएसआई ने अदालत को बताया कि मस्जिद के भीतर किए गए अवैध निर्माण और संरचनात्मक बदलावों से यह ऐतिहासिक धरोहर अब अपनी वास्तविकता से काफी हद तक दूर हो चुकी है. एएसआई ने इन बदलावों को रोकने और मस्जिद के वास्तविक स्वरूप को बचाने के लिए उचित कदम उठाने की अपील की है, ताकि इस ऐतिहासिक धरोहर का संरक्षण किया जा सके और उसकी असली सुंदरता और महत्व को बनाए रखा जा सके.

ज़रूर पढ़ें