न आंधी रोक पाएगी न बारिश…देश में होने जा रही है सैटेलाइट इंटरनेट की एंट्री, जानिए कैसे बदलने वाली है टेलीकॉम सेक्टर की तस्वीर

यहां पर एक पेच फंसा हुआ है. सैटेलाइट ब्रॉडबैंड सर्विस के लिए स्पेक्ट्रम (जिसका मतलब है, इंटरनेट के लिए जरूरी एयरवेव्स) का आवंटन कैसे किया जाएगा? TRAI इस पर 15 दिसंबर तक फैसला लेने वाला है.
Satellite Broadband

प्रतीकात्मक तस्वीर

Satellite Broadband: भारत में इंटरनेट की दुनिया एक नई दिशा में मोड़ लेने वाली है! जनवरी 2025 में सैटेलाइट ब्रॉडबैंड सर्विस का आगाज होने वाला है, और इसके साथ ही टेलीकॉम सेक्टर की पूरी तस्वीर बदलने वाली है. तो क्या है यह सैटेलाइट ब्रॉडबैंड, और यह भारत के टेलीकॉम सेक्टर के लिए क्यों गेम चेंजर साबित होने जा रहा है? आइए सबकुछ विस्तार से जानते हैं!

क्या है सैटेलाइट ब्रॉडबैंड सर्विस?

सैटेलाइट ब्रॉडबैंड का मतलब है – इंटरनेट कनेक्टिविटी जो सीधे सैटेलाइट के जरिए आएगी. अब आप सोचेंगे, यह आम ब्रॉडबैंड से कैसे अलग है? तो जवाब है, यह इंटरनेट आपके घर तक ऑप्टिकल फाइबर या मोबाइल टावर की मदद से नहीं, बल्कि सीधे आसमान से आएगा. यानी उन इलाकों में भी इंटरनेट पहुंचेगा जहां कभी मोबाइल नेटवर्क या फाइबर ऑप्टिकल लाइनें नहीं पहुंच पाई थीं.

भारत में कब से हो रही है सैटेलाइट ब्रॉडबैंड की शुरुआत?

भारत में सैटेलाइट ब्रॉडबैंड सर्विस शुरू करने के लिए सरकार और TRAI (Telecom Regulatory Authority of India) तैयारियों में जुटे हुए हैं. यह सर्विस अगले महीने, यानी जनवरी 2025 से शुरू हो सकती है. सरकार ने इस मामले में संकेत भी दिए हैं कि शीतकालीन सत्र में इसे लेकर हरी झंडी दी जा सकती है. इस सर्विस में मुकेश अंबानी की रिलायंस जियो, सुनील भारती मित्तल की एयरटेल, एलन मस्क की स्टारलिंक, और अमेजन की क्यूपर जैसी बड़ी कंपनियां शामिल हैं, जो इस सर्विस को भारत में लाने के लिए उत्सुक हैं.

स्पेक्ट्रम का बड़ा मसला

यहां पर एक पेच फंसा हुआ है. सैटेलाइट ब्रॉडबैंड सर्विस के लिए स्पेक्ट्रम (जिसका मतलब है, इंटरनेट के लिए जरूरी एयरवेव्स) का आवंटन कैसे किया जाएगा? TRAI इस पर 15 दिसंबर तक फैसला लेने वाला है. जहां रिलायंस जियो और एयरटेल स्पेक्ट्रम की नीलामी चाहते हैं, वहीं सरकार इसे एडमिनिस्ट्रेटिव तरीके से आवंटित करने के पक्ष में है. यह प्रक्रिया थोड़ी पेचीदा हो सकती है, लेकिन एक बार यह तय हो जाए तो सैटेलाइट ब्रॉडबैंड की शुरुआत हो जाएगी.

सैटेलाइट ब्रॉडबैंड के फायदे

अब बात करते हैं इसके फायदों की. सैटेलाइट ब्रॉडबैंड की शुरुआत के बाद, भारत के वो इलाके जहां नेटवर्क नहीं पहुंचता, वहां इंटरनेट पहुंचाया जा सकेगा. विशेष रूप से, ऐसे क्षेत्र जो पहाड़ी हैं, जैसे जम्मू और कश्मीर या फिर आंध्र प्रदेश और महाराष्ट्र के दूरदराज के इलाके, जहां ऑप्टिकल फाइबर और मोबाइल टावर लगाना महंगा और मुश्किल है. अब सिर्फ एक छतरी जैसी डिश लगाकर लोग सुपरफास्ट इंटरनेट का मजा ले सकेंगे. स्टारलिंक जैसी कंपनियां तो पहले ही 250-300 Mbps की स्पीड से इंटरनेट दे रही हैं, जो यूजर्स को एक बेहतरीन अनुभव देगी.

इमरजेंसी में भी होगा फायदा

कभी सोचा है कि आप किसी दूरदराज के इलाके में फंसे हैं, और आपके पास कोई नेटवर्क नहीं है? तो अब चिंता करने की बात नहीं है. सैटेलाइट कनेक्टिविटी इमरजेंसी के समय लोगों की जान बचाने, राहत पहुंचाने और जीवन-रक्षक कामों में मदद कर सकती है.

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बदल जाएगा टेलीकॉम सेक्टर

सैटेलाइट ब्रॉडबैंड सर्विस टेलीकॉम सेक्टर के लिए एक बड़ा बदलाव साबित हो सकती है. इस सर्विस के आने से कंपनियों के बीच प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी, और ग्राहकों को सस्ते और बेहतर ब्रॉडबैंड प्लान मिल सकते हैं. इसके अलावा, सैटेलाइट कनेक्टिविटी से भारत का डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर और मजबूत होगा, जिससे इंटरनेट की पहुंच और भी ज्यादा लोगों तक हो सकेगी.

सरकार को अब सैटेलाइट ब्रॉडबैंड सर्विस की शुरुआत में कोई और देरी नहीं करनी चाहिए, क्योंकि यह एक बड़ा कदम होगा भारत को डिजिटल रूप से सशक्त बनाने के लिए.

सैटेलाइट ब्रॉडबैंड सर्विस का आगाज भारतीय टेलीकॉम सेक्टर के लिए वरदान साबित होगा. यह न केवल दूर-दराज के इलाकों में इंटरनेट की पहुंच बढ़ाएगा, बल्कि टेलीकॉम कंपनियों के बीच नई प्रतिस्पर्धा को भी जन्म देगा. सैटेलाइट ब्रॉडबैंड सर्विस की शुरुआत के साथ, हम सबको एक नया और बेहतर इंटरनेट अनुभव मिलेगा, जो हमारे डिजिटल जीवन को एक नई दिशा दे सकता है.

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