दिल्ली पुलिस को देता था सिर कटी लाशों का तोहफा! नफरत की आग में जलता सीरियल किलर चंद्रकांत झा गिरफ्तार

धीरे-धीरे, चन्द्रकांत का बदला लेने का तरीका और भी खौ़फनाक होता चला गया. उसने कुछ खास लोगों को अपना शिकार बनाना शुरू किया, खासकर उन लोगों को जिन्हें वह जानता था. उनका अपहरण करना और फिर अपराध की गहरी काली दुनिया में डूबना, उसकी ज़िंदगी का हिस्सा बन गया.
चंद्रकांत झा

चंद्रकांत झा

Delhi Crime: 2006 और 2007 के दौरान एक ऐसे अपराधी के आतंक से जूझ रही थी दिल्ली, जिसने शहर में दहशत फैला दी थी. यह कहानी है चंद्रकांत झा की, एक ऐसे व्यक्ति की जिसने अपनी क्रूरता और मानसिकता से पुलिस और जनता दोनों को हिला दिया. उसकी करतूतें और हत्या के तरीकों ने उसे एक खौफनाक सीरियल किलर बना दिया. वो पुलिस से कहता था, “अगर मुझे इस मर्डर में पकड़ सको तो पकड़ कर दिखाओ, तुम्हारे इंतज़ार में तुम लोगों का बाप और जीजाजी“. हालांकि, अब दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने पैरोल जम्पर और सीरियल किलर चंद्रकांत झा को गिरफ्तार कर लिया है. चंद्रकांत ने तिहाड़ जेल के आसपास हत्या की कई वारदातों को अंजाम दिया था.

अक्टूबर 2006

6 अक्टूबर 2006 को दिल्ली पुलिस को एक अजीब कॉल आई. किसी ने फोन पर कहा, “तिहाड़ जेल के गेट नंबर 3 के पास एक तोहफा रखा है.” पुलिस को लगा कि यह कोई सामान्य शरारत हो सकती है, लेकिन जब पुलिस ने गेट के पास पहुंचकर जांच की, तो वह हैरान रह गई. वहां एक टोकरी में बुरी तरह से क्षतिग्रस्त लाश पड़ी थी. सिर कटा हुआ था और शरीर के बाकी हिस्से भी काफी हद तक नष्ट हो चुके थे. पुलिस ने उस लाश के पास एक चिट्ठी भी पाई, जिसमें लिखा था, “अगर मुझे पकड़ सको तो पकड़ कर दिखाओ, मैं तुम्हारे इंतजार में हूं.”

यह संदेश केवल पुलिस को डराने के लिए नहीं था, बल्कि यह दर्शाता था कि कातिल का इरादा सिर्फ हत्या करने का नहीं था, बल्कि वह पुलिस को लगातार चुनौती देने का आनंद भी ले रहा था.

2007 में फिर से वही तरीका

2007 में पुलिस को फिर से वही खौफनाक घटना घटी. तिहाड़ जेल के पास एक और सिर कटी लाश मिली, बिल्कुल उसी तरीके से जैसी पहली बार मिली थी. पुलिस को यह समझ में आ गया था कि यह किसी एक व्यक्ति की करतूत है. अब यह सीरियल किलिंग की ओर बढ़ रहा था. दिल्ली में भय का माहौल था, और पुलिस हर संभव तरीके से इस कातिल को पकड़ने के लिए जुटी हुई थी. पुलिस ने बहुत मेहनत की और कई सुरागों को खंगाला. एक पुलिस अफसर की मदद से पुलिस को एक संदिग्ध व्यक्ति का सुराग मिला, जिसका नाम था चंद्रकांत झा. पुलिस ने उसे गिरफ्तार किया और जब उसने अपना जुर्म कबूल किया, तो यह चौंकाने वाली कहानी सामने आई.

कौन है चंद्रकांत झा?

बिहार के छोटे से गांव घोषई के चन्द्रकांत के परिवार के पास ज्यादा संपत्ति नहीं थी, लेकिन वह पढ़ाई-लिखाई में औसत था. एक दिन वह अपने परिवार के सपनों को पूरा करने के लिए दिल्ली आ गया. यहां आने के बाद उसे एक डॉक्टर की दुकान पर काम मिल गया, जहां वह धीरे-धीरे लोगों से जुड़ने लगा. दिल्ली की गलियों में चन्द्रकांत ने कई नए दोस्त बनाए, खासकर बिहार के गरीब मजदूरों के साथ उसकी दोस्ती जल्दी ही गहरी हो गई. वह अक्सर उन्हें मदद करता और उन्हें अपने कमरे तक भी ले आता, लेकिन ये दोस्ती जितनी सच्ची लगती, उतनी थी नहीं. चन्द्रकांत के मन में एक गहरी नफरत पल रही थी, और वह सिर्फ अपनी मदद से नहीं, बल्कि एक और वजह से आगे बढ़ रहा था.

कॉन्स्टेबल बलबीर से लेना चाहता था बदला

चन्द्रकांत ने अपनी कहानी में बताया कि तिहाड़ जेल में एक कॉन्स्टेबल बलबीर ने उसे बहुत प्रताड़ित किया था. बलबीर ने उसे कई बार अपमानित किया, भूखा रखा और उसके साथ बुरा व्यवहार किया. यह सब कुछ इतना घातक था कि चन्द्रकांत का दिल अंदर ही अंदर जलने लगा. उसने तय कर लिया कि वह बदला लेगा, लेकिन रास्ता इतना खतरनाक था कि वह खुद भी नहीं जानता था कि वह कहां तक जाएगा.

धीरे-धीरे, चन्द्रकांत का बदला लेने का तरीका और भी खौ़फनाक होता चला गया. उसने कुछ खास लोगों को अपना शिकार बनाना शुरू किया, खासकर उन लोगों को जिन्हें वह जानता था. उनका अपहरण करना और फिर अपराध की गहरी काली दुनिया में डूबना, उसकी ज़िंदगी का हिस्सा बन गया. एक दिन दिल्ली पुलिस को उसके बारे में पता चला, और उन्होंने उसकी तलाश शुरू कर दी.

पुलिस ने उसके बारे में एक स्केच तैयार किया और खबर पाई कि चन्द्रकांत एक डॉक्टर की दुकान पर आएगा. पुलिस ने सादा कपड़ों में वहां जाल बिछाया और आखिरकार चन्द्रकांत को पकड़ लिया. जब पुलिस ने उसे गिरफ्तार किया, तो वह घबराया नहीं, बल्कि उसने पुलिस से कहा कि वह सब कुछ सच-सच बताएगा, लेकिन उसे मारा न जाए. चन्द्रकांत ने पुलिस को बताया कि उसका गुस्सा और नफरत उसे इस हद तक ले आई थी. वह दिल्ली पुलिस के एक कॉन्स्टेबल बलबीर से बदला लेना चाहता था, और यही कारण था कि उसने ये कदम उठाए थे.

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पैरोल पर मिली थी जमानत

2007 में चन्द्रकांत झा को गिरफ्तार किया गया. उस पर कई आरोप लगे, और अदालत ने उसे तीन हत्याओं के आरोप में फांसी की सजा सुनाई. हालांकि बाद में सजा को उम्रकैद में बदल दिया गया. बाद में जब उसे पैरोल पर जमानत दी गई तो वो लौटा नहीं. हालांकि, अब दिल्ली पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया है.

इस खौ़फनाक कहानी को और भी गहराई से समझने के लिए एक वेब सीरीज बनाई गई, जिसका नाम था “Indian Predator: The Butcher of Delhi”. इस सीरीज में चन्द्रकांत झा के अपराधों, उसकी मानसिकता और उसके द्वारा किए गए खौ़फनाक कदमों का पर्दाफाश किया गया.

चन्द्रकांत की कहानी सिर्फ एक अपराध की नहीं, बल्कि एक आदमी के भीतर के गुस्से और नफरत के परिणाम की भी है. यह हमें यह सिखाती है कि कभी-कभी हमारी गलतियों और दुखों का बदला बेहद खतरनाक हो सकता है, और ऐसे रास्ते हमें केवल और अधिक दुख और अपराध की ओर ले जाते हैं.

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