कनाडा में खालिस्तानियों की शर्मनाक हरकत, सीएम बेअंत सिंह के हत्यारे को बताया ‘हीरो’, झांकी निकालकर दी श्रद्धांजलि

खालिस्तान समर्थकों की झांकी में खून से लथपथ एक कार और मारे गए सीएम की तस्वीरें शामिल थीं. झांकी पर नारा लिखा था "बेअंत को बम से उड़ाया गया" और आत्मघाती हमलावर दिलावर सिंह बब्बर को भी सम्मानित किया गया.

Canada: कनाडा में खालिस्तान समर्थक कट्टरपंथियों ने शर्मनाक हरकत की है. खालिस्तानियों ने इस बार 1995 में पंजाब के मुख्यमंत्री बेअंत सिंह की हत्या के लिए जिम्मेदार आत्मघाती हमलावर की याद में झांकी निकाली. इतना ही नहीं इस झांकी में हमलावर को श्रद्धांजलि भी दी. खालिस्तानियों ने बेअंत सिंह के हत्यारे को ‘हीरो’ बताया है.

बेअंत सिंह की तस्वीरों के साथ खालिस्तानियों ने निकाली झांकी

खालिस्तान समर्थकों की झांकी में खून से लथपथ एक कार और मारे गए सीएम की तस्वीरें शामिल थीं. झांकी पर नारा लिखा था “बेअंत को बम से उड़ाया गया” और आत्मघाती हमलावर दिलावर सिंह बब्बर को भी सम्मानित किया गया. यह हत्या 29 साल पहले 31 अगस्त 1995 को हुई थी.

इसी तरह की एक घटना में टोरंटो में इंद्रजीत सिंह गोसल के नेतृत्व में एक रैली आयोजित की गई थी, जिसमें उसने खालिस्तान जनमत संग्रह के समर्थकों को बब्बर सिंह की “संतान” कहा था. जनमत संग्रह के मुख्य आयोजक और सिख फॉर जस्टिस के जनरल काउंसलर गुरपतवंत पन्नू के करीबी सहयोगी गोसल को हाल ही में कनाडाई पुलिस ने चेताया था. गोसल हरदीप सिंह निज्जर से भी जुड़ा था, जिसकी पिछले साल 18 जून को ब्रिटिश कोलंबिया के सरे में हत्या कर दी गई थी.

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कौन थे बेअंत सिंह?

सबसे पहले हम बेअंत सिंह के निजी और राजनीतिक जीवन के बारे में संक्षेप में बात करते हैं. उनका जन्म लुधियाना जिले के डोहरा ब्लॉक के बिलासपुर गांव में हुआ था. उन्होंने लाहौर के गवर्नमेंट कॉलेज यूनिवर्सिटी से उच्च शिक्षा प्राप्त की. वे 23 साल की उम्र में भारतीय सेना में शामिल हो गए, लेकिन 2 साल बाद ही राजनीति में आ गए. 1960 में वे ब्लॉक समिति के सदस्य चुने गए. वे लुधियाना में सेंट्रल कोऑपरेटिव बैंक के डायरेक्टर थे, फिर 1969 में वे निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर जीतकर पंजाब विधानसभा पहुंचे.

बेअंत सिंह सिखों के नामधारी संप्रदाय के अनुयायी थे और सफेद पगड़ी पहनते थे. इसीलिए वे मांस या शराब का सेवन नहीं करते थे, वे शाकाहारी थे. उन्होंने सतगुरु प्रताप सिंह से आशीर्वाद लिया था और सुरिंदर सिंह नामधारी के साथ मिलकर इस संप्रदाय के कल्याण के लिए काम किया. 1993 में जब एक व्यापारी लालरू में मीट फैक्ट्री लगाना चाहता था, तो सीएम रहते हुए बेअंत सिंह ने उसे इसकी इजाजत नहीं दी.

तत्कालीन मुख्यमंत्री बेअंत सिंह समेत 17 लोग एक कार बम धमाके में मारे गए थे, जिसमें 3 कमांडो सैनिक भी शामिल थे. इस हत्याकांड में ‘बब्बर खालसा इंटरनेशनल’ और ‘खालिस्तान कमांडो फोर्स’ का नाम सामने आया था.

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