सीताराम येचुरी के शव का नहीं होगा अंतिम संस्कार, इस ‘परंपरा’ की वजह से लिया गया फैसला

उनके निधन पर कई नेताओं ने शोक व्यक्त किया है. कांग्रेस नेता राहुल गांधी समेत विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं ने उनके साथ बिताए गए दिनों को याद किया. येचुरी की वैचारिक स्थिरता और उनके समर्पण ने उन्हें भारतीय राजनीति में एक महत्वपूर्ण स्थान दिलाया था.
Sitaram Yechury

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Sitaram Yechury Death: मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (CPIM) के राष्ट्रीय महासचिव सीताराम येचुरी का 12 सितंबर को निधन हो गया. 72 वर्षीय येचुरी के निधन की खबर से राजनीतिक और समाजिक क्षेत्र में शोक की लहर दौड़ गई है. उनके परिवार ने एक महत्वपूर्ण निर्णय लेते हुए उनके शव को अंतिम संस्कार के बजाय दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) को सौंपने का फैसला किया है. AIIMS की मीडिया प्रकोष्ठ की प्रभारी डॉक्टर रीमा दादा ने बताया कि शव को शोध और पढ़ाई के लिए AIIMS को दान किया गया है.

शरीर दान की परंपरा

सीताराम येचुरी का शरीर दान कर दिया गया है, जो एक महत्वपूर्ण और प्रेरणादायक कदम है. इससे पहले, 8 अगस्त 2024 को पश्चिम बंगाल के पूर्व मुख्यमंत्री और CPIM के वरिष्ठ नेता बुद्धदेव भट्टाचार्य का निधन हुआ था. भट्टाचार्य ने 2006 में एक गैर-सरकारी संगठन, गणदर्पण को अपना शरीर दान करने का संकल्प लिया था. उनके निधन के बाद, उनका शव कोलकाता के IPGMER SSKM अस्पताल के एनॉटमी विभाग को सौंपा गया था.

भट्टाचार्य से पहले, पूर्व मुख्यमंत्री ज्योति बसु ने भी अपने शरीर और आंखों को दान किया था. बसु और भट्टाचार्य की तरह येचुरी परिवार का निर्णय भी समाज में दान की संस्कृति को बढ़ावा देने का एक प्रयास है और यह दर्शाता है कि कैसे वे अपने जीवन के बाद भी समाज के हित में योगदान देना चाहते हैं.

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कैसे हुई येचुरी की मौत?

सीताराम येचुरी को 19 अगस्त 2024 को सीने के संक्रमण के इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया था. शुरुआत में उनकी स्थिति में सुधार हुआ था, लेकिन बाद में उनकी सांस लेने में कठिनाई होने लगी. उन्हें कुछ दिनों से गहन चिकित्सा इकाई (ICU) में वेंटिलेटर पर रखा गया था. उनकी हालत गंभीर बनी रही और अंततः उन्होंने जीवन की अंतिम सांस ली.

उनके निधन पर कई नेताओं ने शोक व्यक्त किया है. कांग्रेस नेता राहुल गांधी समेत विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं ने उनके साथ बिताए गए दिनों को याद किया. येचुरी की वैचारिक स्थिरता और उनके समर्पण ने उन्हें भारतीय राजनीति में एक महत्वपूर्ण स्थान दिलाया था. उनके निधन से न केवल CPIM, बल्कि समग्र राजनीतिक और समाजिक क्षेत्र में एक बड़ी खाली जगह बन गई है.

येचुरी का जीवन और उनके कार्यों का प्रभाव भारतीय राजनीति पर लंबे समय तक रहेगा, और उनके निर्णय ने समाज में दान और सेवा की महत्वपूर्णता को उजागर किया है.

 

 

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