संदीप घोष को बड़ा झटका, सुप्रीम कोर्ट ने याचिका पर सुनवाई करने से किया इनकार, जारी रहेगी CBI जांच

Kolkata Rape-Murder Case: हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ संदीप घोष ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. उन्होंने याचिका दायर करते हुए कलकत्ता हाई कोर्ट के आदेश को चुनौती दी थी.
Sandip ghosh

संदीप घोष, पूर्व प्रिंसिपल आरजी कर मेडिकल कॉलेज

Kolkata Rape-Murder Case: आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल के पूर्व प्रिंसिपल संदीप घोष की मुश्किलें लगातार बढ़ती जा रही है. अब उन्हें सुप्रीम से झटका लगा है. दरअसल, सर्वोच्च न्यायालय ने संदीप घोष के कार्यकाल में वित्तीय अनियमितताओं की सीबीआई जांच के हाईकोर्ट के आदेश में हस्तक्षेप करने से किया इनकार कर दिया है. यहीं नहीं कोर्ट ने सीबीआई को जांच की मंजूरी भी दे दी है. सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया है कि हम इस मामले में हस्तक्षेप नहीं करेंगे.

बता दें हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ संदीप घोष ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. उन्होंने सर्वोच्च अदालत में एक याचिका दायर करते हुए कलकत्ता हाई कोर्ट के आदेश को चुनौती दी थी. 24 अगस्त को कोलकाता हाई कोर्ट ने वित्तीय अनियमितताओं की एसआईटी से लेकर सीबीआई को सौंपने का आदेश दिया था.

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अस्पताल के पूर्व उपाधीक्षक ने लगाया था आरोप

सुप्रीम कोर्ट ने कहा केस में घोष का कोई लोकस नहीं और मामले की जांच सीबीआई कर रही. आरोपी के तौर पर PIL में पक्षकार नहीं बन सकते .संदीप घोष ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर कहा है कि कलकत्ता हाईकोर्ट ने उनके खिलाफ करप्शन केस में CBI जांच का आदेश देते वक़्त उनके पक्ष को नहीं सुना. साथ ही संदीप घोष ने इस मामले के ख़ुद को पक्षकार बनाने की मांग की है. संदीप घोष के खिलाफ आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल के पूर्व उपाधीक्षक डॉ. अख्तर अली ने संस्थान में कई मामलों में वित्तीय अनियमितताओं की शिकायत दर्ज कराई थी. इसमें अस्पताल में शवों की तस्करी, बायो-मेडिकल कचरे में भ्रष्टाचार, निर्माण टेंडर्स में भाई-भतीजावाद आदि जैसे आरोप लगाए गए थे.

सीजेआई ने क्या कहा?

इसके साथ ही CJI ने कहा कि आप कॉलेज के प्रिंसिपल थे जब ये घटना हुई. जब हाई कोर्ट मामले की सुनवाई और निगरानी कर रहा है तो आप इस मामले में पक्षकार नही बन सकते क्योंकि आप आरोपी है. सीजेआई ने कहा कि वित्तीय अनियमितताओं और बलात्कार की जांच दोनों पहलुओं की जांच चल रही है. एक आरोपी के तौर पर आपको जनहित याचिका में हस्तक्षेप करने का कोई अधिकार नहीं है, जहां हाईकोर्ट जांच की निगरानी कर रहा है. संदीप घोष ने कहा कि इससे पहले दो PIL बायोमेडिकल वेस्ट को लेकर दाखिल हुई थी और कोर्ट में खारिज कर चुका हैं. बिल्कुल इसी तरह की याचिका थी जो खारिज हुई है.

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