Teacher Recruitment Scam: शिक्षक भर्ती घोटाले के दाग, 25 हजार शिक्षकों का भविष्य, चुनाव के बीच कोर्ट का फैसला, पड़ेगा असर?

Teacher Recruitment Scam: दो जजों की खंडपीठ ने आदेश में कहा कि लंबे वक्त से अवैध तरीके से काम करने के कारण 12% ब्याज सहित पूरी सैलरी लौटानी होगी.
Mamata Banerjee

सीएम ममता बनर्जी (फोटो- सोशल मीडिया)

Teacher Recruitment Scam: शिक्षक भर्ती घोटाला से जुड़े मामले में जब कलकत्ता हाईकोर्ट का फैसला आया तो हलचल मच गई. कोर्ट ने ममता बनर्जी सरकार को बड़ा झटका दिया है. फैसले के अनुसार पश्चिम बंगाल स्कूल सेवा आयोग पैनल द्वारा स्कूल शिक्षक भर्ती रद्द कर दी गई है, यह भर्ती 2016 में हुई थी. अब हाईकोर्ट के इस फैसले से 25 हजार सरकारी शिक्षकों की नौकरी पर तलवार खड़ी हो गई है. इस फैसले के बाद इन शिक्षकों को चार हफ्ते के अंदर ही ब्याज सहित पूरा वेतन वापस करने का आदेश दिया गया है.

पश्चिम बंगाल कर्मचारी चयन आयोग के जरिए सरकार ने 2014 में सरकारी स्कूलों के लिए टीचिंग और नॉन टीचिंग पोस्ट की भर्ती की गई थी. यह भर्ती के लिए एक लिखित परीक्षा का आयोजन किया गया था, जिसमें 24, 640 रिक्त पदों के लिए 23 लाख से ज्यादा अभ्यर्थियों ने भाग लिया था. लेकिन भर्ती की प्रक्रिया पूरी होने में दो साल लग गए और यह प्रक्रिया 2016 में पुरी हुई तो कई याचिकाएं हाईकोर्ट में लग गई थीं.

शिक्षा भर्ती घोटाला

याचिकाओं के जरिए आरोप लगा कि भर्ती में एक पद के लिए पांच से 15 लाख रूपए तक घूस लिया गया था. बाद में इसे शिक्षा भर्ती घोटाला नाम दे दिया गया. हाईकोर्ट में इसी मामले की सुनवाई करते हुए सभी नौकरियों को रद्द करने का आदेश दे दिया गया. जज देबांशु बसाक और जज मोहम्मद सब्बीर रशीद की खंडपीठ ने आदेश में कहा कि लंबे वक्त से अवैध तरीके से काम करने के कारण 12% ब्याज सहित पूरी सैलरी लौटानी होगी.

हालांकि गौर करने वाली बात यह है कि इस मामले में कई टीएमसी नेता आरोपी हैं और सरकार के कई अधिकारियों को जेल भेजा जा चुका है. पूर्व शिक्षा मंत्री और टीएमसी के नेता पार्थ चटर्जी के अलावा उनके विभाग के कई अधिकारी भी इस लिस्ट में शामिल हैं. ऐसे में चुनाव बीच कोर्ट का यह फैसले सीधे तौर पर ममता सरकार के फैसले पर सवाल खड़ा करने वाला है.

याचिकाकर्ता के दावे पर गौर करें तो उनका आरोप है कि जिसके नंबर कम थे उन्हें भी मेरिट लिस्ट में ऊपर जगह मिली और फिर कुछ ऐसे भी उम्मीदवारों को नौकरी दे दी गई, जिनका नाम मेरिट लिस्ट में नहीं था. याचिका में दावा किया गया था कि टीईटी परीक्षा भी पास नहीं की थी, जबकि इस पद के लिए टीईटी पास करना अनिवार्य था.

ब्याज समेत पूरा वेतन करना होगा वापस

अब कोर्ट ने बहाल किए गए शिक्षकों को आदेश में कहा है कि उन्हें 7-8 सालों में जो वेतन मिला है वह वेतन ब्याज समेत वापस करना होगा. आरोप है कि हर जिले के डीएम को इसकी वसूली का जिम्मा मिला था. अब कोर्ट ने फिर से नई नियुक्ति करने का आदेश दिया है और ये जिम्मा स्कूल सेवा आयोग को मिला है. इसलिए 25 हजार शिक्षक हाई कोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दे सकते हैं.

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अब चुनाव के बीच में कोर्ट का यह फैसला बड़ा मुद्दा बन सकता है. बीजेपी वर्तमान टीएमसी सरकार के खिलाफ इसे मुद्दा बना सकती है. अभी पहले चरण के तहत राज्य में केवल तीन सीटों पर चुनाव हुआ है जबकि अभी और 39 सीटों पर चुनाव होने वाला है. बीते कुछ सालों के दौरान बीजेपी राज्य में भ्रष्टाचार और शिक्षक भर्ती का मुद्दा उठाती रही है.

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