चुनावी राज्यों में नहीं दिखा भारत बंद का असर, जानें यूपी-बिहार से लेकर पंजाब तक का हाल
Bharat Bandh: आज 21 अगस्त को अखिल भारतीय बंद के कारण ओडिशा, झारखंड, बिहार और अन्य राज्यों के कुछ हिस्सों में रेल और सड़क सेवाएं बाधित रहीं. राजस्थान, केरल और मध्य प्रदेश के कुछ हिस्सों में स्कूल, बाजार, दुकानें और अन्य सेवाएं बंद रहीं. कई समूह और संगठन आज SC/ST आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले का विरोध करने के लिए हड़ताल में शामिल हुए थे. बिहार के पटना में पुलिस ने प्रदर्शनकारियों पर लाठीचार्ज किया. दरभंगा में भी पुलिस को बल प्रयोग करना पड़ा. इस बंद का समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव, बीएसपी नेत्री मायावती और कई कांग्रेस नेताओं ने समर्थन दिया था. हालांकि, चुनावी राज्यों में बंद का कुछ खास असर देखने को नहीं मिला.
झारखंड में बंद का व्यापक असर
SC/ST आरक्षण में क्रीमीलेयर और उपवर्गीकरण पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ आहूत भारत बंद का झारखंड के हजारीबाग, धनबाद, चाईबासा, गिरिडीह, रांची और रामगढ़ सहित कई अन्य शहरों में व्यापक असर पड़ा है. बंद समर्थकों ने रांची-जमशेदपुर, रांची-पटना और गिरिडीह-रांची मार्ग में कई जगहों पर जाम लगा दिया था. वहीं दिल्ली से लेकर उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा समेत अन्य राज्यों में भी इसका मिला-जुला असर रहा. बिहार में कुछ स्थानों पर पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच झड़प की भी खबरें आईं.
पंजाब-हरियाणा में सामान्य दिखीं गतिविधियां
पंजाब और हरियाणा में भी बंद का ऐलान किया गया था. हालांकि, इसका प्रभाव ज्यादा देखने को नहीं मिला. सामान्य जनजीवन में कोई बड़ी रुकावट नहीं आई. व्यापारिक गतिविधियां सामान्य ही दिखीं. वहीं राजस्थान में इसका व्यापक असर देखने को मिला. जयपुर,दौसा, भरतपुर, गंगापुर सिटी, डीग समेत कई और जिलों में स्कूलों में छुट्टी दे दी गई थी.
यह भी पढ़ें: नवाब सिंह यादव ने किया कॉल, भतीजी के साथ कॉलेज पहुंची थी बुआ…कन्नौज रेप केस में चौंकाने वाले खुलासे
क्यों किया गया था भारत बंद?
कई संगठनों और समूहों ने बुधवार, 21 अगस्त को भारत बंद का आह्वान किया है। यह हड़ताल सुप्रीम कोर्ट के उस फैसले का विरोध करने के लिए है जिसमें SC/ST कोटे से “क्रीमी लेयर” को बाहर रखा गया है. इस कदम से विवाद पैदा हो गया है, जिसके कारण बुधवार को भारत बंद का आयोजन किया गया.
SC/ST कोटा प्रणाली पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला
1 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने राज्यों को एससी और एसटी को उप-वर्गीकृत करने की शक्ति दी, जबकि यह तय करना था कि इस वर्ग का पर्याप्त प्रतिनिधित्व है या नहीं. सुप्रीम कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि राज्य सरकारों को पिछड़ेपन और सरकारी नौकरियों में प्रतिनिधित्व के “मात्रात्मक और प्रदर्शन योग्य डेटा” के आधार पर उप-वर्गीकरण करना होगा, न कि “राजनीतिक लाभ” के आधार पर. सुप्रीम कोर्ट ने 6:1 के बहुमत से फैसला सुनाया कि एससी और एसटी आरक्षण के भीतर उप-वर्गीकरण की अनुमति है.