ननद से हार के बावजूद Sunetra Pawar के राज्यसभा जाने पर NCP में खटपट, अजित गुट के भीतर बढ़ता असंतोष पार्टी के लिए कहीं बड़ा ख़तरा तो नहीं
Sunetra Pawar: 2024 के लोकसभा चुनाव में अजित पवार की पार्टी को महाराष्ट्र में झटका लगा है. उनकी पत्नी सुनेत्रा खुद बारामती सीट पर सिटिंग सांसद सुप्रिया सुले से हार गईं. इसके बाद अजित ने अब एनसीपी ने महाराष्ट्र की राज्यसभा सीट के लिए सुनेत्रा पवार का नाम घोषित किया है, जिसने एक बार फिर एनसीपी में अंदरखाने उथल-पुथल मचा दी है. एनसीपी में सुनेत्रा को राज्यसभा के लिए मनोनीत करने पर अंदरखाने तो टकराव की खबरें हैं लेकिन खुलकर अभी कोई भी कुछ नहीं बोल रहा है. वरिष्ठ नेता और मंत्री छगन भुजबल ने दावा किया है कि उनका नाम आगे न बढ़ाए जाने पर वह नाराज नहीं है.
बता दें कि गुरुवार को 25 जून को होने वाले उपचुनाव के लिए नामांकन दाखिल करने का आखिरी दिन था. यह उपचुनाव वरिष्ठ पार्टी नेता प्रफुल्ल पटेल द्वारा दो साल बाद ही अपनी सीट खाली करने के कारण हो रहा है. सुनेत्रा की चार साल की राज्यसभा अवधि की दावेदारी को उनकी पार्टी के महायुति सहयोगियों का समर्थन प्राप्त है, जिनमें एनसीपी और बीजेपी का समर्थन है. एनसीपी के अंदरूनी सूत्रों ने बताया कि इस राज्यसभा सीट के लिए एक दर्जन से ज़्यादा पार्टी नेता उम्मीद लगाए बैठे थे.
शरद पवार गुट से संपर्क कर रहे हैं विधायक
एनसीपी के एक नेता ने कहा कि सुनेत्रा को राज्यसभा भेजने का फ़ैसला तब लिया गया जब इससे पार्टी के सामाजिक और संगठनात्मक पदचिह्नों को बढ़ाने के प्रयासों को बढ़ावा नहीं मिलेगा. उन्होंने कहा है कि इससे उन विधायकों और नेताओं को और परेशानी होगी जिन्होंने पार्टी के शरद पवार गुट से संपर्क करना शुरू कर दिया है.
हालांकि, राज्यसभा चुनाव के लिए नामांकन के बाद सुनेत्रा पवार ने कहा कि 18 तारीख तक अभी और इंतजार करना होगा. उन्होंने पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अजित पवार समेत महायुति का आभार जताया. उन्होंने कहा कि पार्टी ने उनके उपर जो भरोसा जताया उसके लिए काम करना है. छगन भुजबल को लेकर उन्होंने कहा कि कोई भी नाराज नहीं है. सभी ने मिलकर फैसला लिया और खुद छगन भुजबल भी आज मौजूद थे. नामांकन के दौरान छगन भुजबल देखे भी जा रहे हैं.
यह भी पढ़ें: केजरीवाल की याचिका पर कोर्ट ने की सुनवाई, ED को लगाई फटकार, कहा- CM की मांग का नहीं कर सकते विरोध
प्रफुल्ल पटेल ने इस्तीफा क्यों दिया?
अब सवाल उठता् है कि आखिर प्रफुल्ल पटेल ने इस्तीफा क्यों दिया है. प्रफुल्ल पटेल राष्ट्रवादी कांग्रेस के बड़े नेता हैं और शरद पवार के करीबी माने जाते थे. हालांकि, एनसीपी के दो गुट में बंटने के बाद वह अजित पवार के साथ आ गए. वह जुलाई 2022 में एनसीपी के समर्थन से राज्यसभा सांसद बने थे. इस समय पार्टी एकजुट थी. ऐसे में पार्टी के दो हिस्सों में बंटने के बाद उन्हें दोबारा राज्यसभा सांसद का उम्मीदवार बनाया गया और अजित के गुट के विधायकों के समर्थन से वह एक बार फिर राज्यसभा सांसद चुने गए. ऐसे में उन्होंने पुराने पद से इस्तीफा दे दिया. उनके पुराने कार्यकाल में चार साल का समय बचा था. वह 2028 तक राज्यसभा सांसद रहते. उन्होंने खुद सोशल मीडिया पर इस बारे में जानकारी दी थी.
कहा ये भी जा रहा है कि सुनेत्रा पवार को राज्यसभा का टिकट देने के बाद अजित विधानसभा चुनाव लड़ सकते हैं. वह बारामती से अपनी दावेदारी पेश कर सकते हैं. वहीं, शरद पवार के गुट वाली एनसीपी इस सीट से योगेंद्र पवार को टिकट दे सकती है.