ट्रंप ने भारत पर फिर गिराया ‘टैरिफ बम’, स्टील-एल्यूमीनियम निर्यातकों की बढ़ी मुश्किलें, क्या है पूरा माजरा?

ट्रंप का ये फैसला सिर्फ भारत के लिए ही नहीं, बल्कि अमेरिका के लिए भी मुश्किलें खड़ी कर सकता है. अमेरिका में स्टील की कीमतें पहले ही 984 डॉलर प्रति टन हैं, जो यूरोप (690 डॉलर) और चीन (392 डॉलर) से कहीं ज्यादा हैं. नए टैरिफ के बाद ये कीमतें 1,180 डॉलर तक पहुंच सकती हैं.
Trump Tariff

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप

Trump Tariff: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर भारत को बड़ा झटका दिया है. उन्होंने 4 जून से भारत से आयात होने वाले स्टील और एल्यूमीनियम पर टैरिफ को दोगुना कर 50% कर दिया है. ये फैसला भारत के लिए किसी ‘आर्थिक बम’ से कम नहीं है, जिसने भारतीय निर्यातकों की नींद उड़ा दी है. आखिर ये पूरा मामला क्या है? क्यों ट्रंप ने भारत को निशाना बनाया? आइये जानते हैं.

ट्रंप का ‘टैरिफ तूफान’

ट्रंप ने ये फैसला राष्ट्रीय सुरक्षा के नाम पर लिया है. उनका कहना है कि विदेशी स्टील और एल्यूमीनियम अमेरिका के लिए खतरा हैं. लेकिन विशेषज्ञ इसे भारत पर सीधा हमला बता रहे हैं. ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (GTRI) के फाउंडर अजय श्रीवास्तव कहते हैं, “ये भारत के स्टील और एल्यूमीनियम निर्यातकों के लिए बड़ा झटका है. इससे उनकी कमाई कम होगी और बाजार में टक्कर देने की ताकत भी घटेगी.”

भारत ने पिछले साल (2024-25) अमेरिका को 4.56 अरब डॉलर का स्टील, लोहा और एल्यूमीनियम निर्यात किया था. इसमें 587.5 मिलियन डॉलर का लोहा और स्टील, 3.1 अरब डॉलर का स्टील प्रोडक्ट्स और 860 मिलियन डॉलर का एल्यूमीनियम शामिल था. अब इतने भारी टैरिफ के बाद भारतीय कंपनियों की लागत बढ़ेगी, जिससे उनके मुनाफे पर तगड़ा असर पड़ेगा.

अमेरिका में भी बढ़ेगी महंगाई?

ट्रंप का ये फैसला सिर्फ भारत के लिए ही नहीं, बल्कि अमेरिका के लिए भी मुश्किलें खड़ी कर सकता है. अमेरिका में स्टील की कीमतें पहले ही 984 डॉलर प्रति टन हैं, जो यूरोप (690 डॉलर) और चीन (392 डॉलर) से कहीं ज्यादा हैं. नए टैरिफ के बाद ये कीमतें 1,180 डॉलर तक पहुंच सकती हैं. इससे अमेरिका में गाड़ियां, निर्माण और मैन्युफैक्चरिंग जैसे उद्योगों पर बोझ बढ़ेगा. नतीजा? वहां सामान महंगा होगा, कंपनियों की प्रतिस्पर्धा कम होगी और महंगाई का दबाव बढ़ सकता है.

लेकिन एक ट्विस्ट है. 28 मई, 2025 को अमेरिकी अंतरराष्ट्रीय व्यापार न्यायालय ने कहा कि IEEPA के तहत लगाए गए ‘लिबरेशन डे’ टैरिफ गैरकानूनी हैं, क्योंकि व्यापार घाटा कोई ‘असाधारण खतरा’ नहीं है. फिर भी, धारा 232 के टैरिफ को अदालत ने सही ठहराया, जिससे ट्रंप को स्टील और एल्यूमीनियम पर टैरिफ बढ़ाने की खुली छूट मिल गई.

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भारत का जवाबी दांव

भारत चुप नहीं बैठा है. भारत ने भी विश्व व्यापार संगठन (WTO) में अमेरिकी सामानों पर जवाबी टैरिफ लगाने का ऐलान किया है. ये कदम ट्रंप के पहले के टैरिफ के जवाब में उठाया गया है, और अब नए टैरिफ के खिलाफ भी भारत कड़ा रुख अपना सकता है. लेकिन सवाल ये है कि क्या भारत इस ट्रेड वॉर में अमेरिका को टक्कर दे पाएगा?

विशेषज्ञों का कहना है कि ट्रंप की ये नीति सिर्फ अर्थव्यवस्था को ही नहीं, बल्कि पर्यावरण को भी नुकसान पहुंचा सकती है. अमेरिका का ‘आर्थिक राष्ट्रवाद’ ग्लोबल सप्लाई चेन को बिगाड़ सकता है, जिससे उत्पादन की लागत बढ़ेगी और पर्यावरण पर नकारात्मक असर पड़ेगा.

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