“जो कहते थे ‘बंटेंगे तो कटेंगे’, आज…”, उद्धव ठाकरे ने BJP पर साधा निशाना, सपा नेता ने भी बताई ‘सौगात-ए- मोदी’ की असली कहानी!

बीजेपी को इस किट वितरण से फायदा होगा या नहीं, यह तो चुनावी नतीजे ही तय करेंगे, लेकिन एक बात तय है कि यह अभियान राजनीतिक हलकों में काफी चर्चा का विषय बन गया है. कुछ लोग इसे बीजेपी की सच्ची प्रतिबद्धता मान रहे हैं, जबकि दूसरे इसे केवल चुनावी प्रचार का हिस्सा मान रहे हैं.
उद्धव ठाकरे

उद्धव ठाकरे

Bihar Politics: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 से पहले बीजेपी ने एक खास अभियान शुरू किया है, जिसका नाम है ‘सौगात-ए-मोदी’. यह एक प्रकार का किट है, जिसे मुस्लिम समाज के लिए तैयार किया गया है. इसमें खाने-पीने की सामग्री जैसे सेवईं, खजूर, ड्राई फ्रूट्स, चीनी और महिलाओं के लिए सूट का कपड़ा, पुरुषों के लिए कुर्ता-पायजामा शामिल हैं. इस किट की कीमत 500 रुपये से 600 रुपये तक बताई जा रही है. इसे बीजेपी कार्यकर्ता लगभग 32,000 स्थानों पर बांट रहे हैं.

उद्धव ठाकरे ने साधा निशाना

बीजेपी का दावा है कि यह पीएम मोदी की ओर से दी गई ईद की सौगात है. हालांकि, अब विपक्षी पार्टियों ने इस पर निशाना साधना शुरू कर दिया है. इस अभियान को लेकर महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री और शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने बीजेपी पर हमला बोला है. उन्होंने बीजेपी पर निशाना साधते हुए कहा कि एक समय था जब बीजेपी ने ‘बंटेंगे तो कटेंगे’ जैसे नारे दिए थे, लेकिन अब वही पार्टी ‘सौगात-ए-मोदी’ बांट रही है.

उद्धव ठाकरे का आरोप है कि बीजेपी का यह कदम केवल चुनावी फायदा उठाने के लिए है, खासकर बिहार विधानसभा चुनाव में मुस्लिम समुदाय का वोट बैंक हथियाने के लिए. उनके अनुसार, बीजेपी ने जिन मुद्दों को लेकर हिंदुत्व का झंडा उठाया था, वही पार्टी अब उसी मुस्लिम समुदाय को रिझाने के लिए किट बांटने का काम कर रही है. ठाकरे ने यह भी कहा कि बीजेपी के इस कदम को केवल एक चुनावी स्टंट ही माना जाना चाहिए.

मुस्लिम वोट और बीजेपी की रणनीति

बिहार में होने जा रहे विधानसभा चुनाव को लेकर राजनीतिक समीकरण तेजी से बदल रहे हैं. राज्य में जहां नीतीश कुमार की जेडीयू की स्थिति अब पहले जैसी मजबूत नहीं रही, वहीं बीजेपी की स्थिति भी उतनी स्पष्ट नहीं दिख रही.

एसटी हसन जैसे सपा नेता का मानना है कि बीजेपी ने मुस्लिम वोटों को आकर्षित करने के लिए यह कदम उठाया है. उनका कहना है कि देशभर में मुसलमानों के लिए हालात ठीक नहीं रहे हैं, और ऐसे में बीजेपी का यह कदम सिर्फ एक चुनावी चाल है.

साथ ही, कई राजनीतिक विश्लेषकों का यह भी कहना है कि बीजेपी इस किट के माध्यम से मुसलमानों के बीच एक सकारात्मक छवि बनाने की कोशिश कर रही है. लेकिन क्या यह योजना प्रभावी होगी, यह तो चुनाव के नतीजे ही बताएंगे.

क्या कह रही है बीजेपी?

बीजेपी के नेता इस किट वितरण अभियान को एक सकारात्मक कदम के रूप में पेश कर रहे हैं. उनका कहना है कि यह पीएम मोदी की तरफ से भारत के 140 करोड़ नागरिकों के लिए एक उपहार है, खासतौर पर उन लोगों के लिए जो रमजान और ईद के मौके पर इस किट का लाभ उठाएंगे. बीजेपी का दावा है कि इस किट में दी गई सामग्री का वितरण एक सामाजिक कार्य है, जिसे धार्मिक सौहार्द बढ़ाने के लिए किया गया है.

बीजेपी के प्रवक्ताओं का यह भी कहना है कि पीएम मोदी का उद्देश्य सिर्फ एक ही है. वह सभी भारतीयों को समान रूप से खुशहाली देना चाहते हैं, और इस किट के माध्यम से वह यही प्रयास कर रहे हैं.

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चुनावी राजनीति या कुछ और?

अब सवाल यह उठता है कि क्या यह सचमुच एक ‘त्योहार की सौगात’ है, या फिर यह केवल एक चुनावी हथकंडा है, जिसका उद्देश्य बिहार विधानसभा चुनाव में मुसलमानों के वोट को अपनी ओर मोड़ना है? यह सवाल इस लिए भी अहम है क्योंकि बीजेपी के कई नेताओं ने पहले हिंदुत्व के नाम पर चुनावी प्रचार किया था, और अब वे मुस्लिम समुदाय के बीच अपनी पैठ बनाने की कोशिश कर रहे हैं.

राजनीतिक विशेषज्ञों का कहना है कि यह अभियान बीजेपी के लिए एक गहरी रणनीति का हिस्सा हो सकता है. बिहार में बीजेपी की स्थिति को देखते हुए, पार्टी यह कदम वोट बैंक के लिहाज से उठा रही है. क्योंकि, चुनावी समय में मुसलमानों के बीच किसी सकारात्मक छवि का निर्माण, बीजेपी के लिए फायदेमंद हो सकता है.

क्या बीजेपी को फायदा होगा?

बीजेपी को इस किट वितरण से फायदा होगा या नहीं, यह तो चुनावी नतीजे ही तय करेंगे, लेकिन एक बात तय है कि यह अभियान राजनीतिक हलकों में काफी चर्चा का विषय बन गया है. कुछ लोग इसे बीजेपी की सच्ची प्रतिबद्धता मान रहे हैं, जबकि दूसरे इसे केवल चुनावी प्रचार का हिस्सा मान रहे हैं.

अगर यह अभियान सफल हो जाता है, तो बिहार के मुसलमानों के बीच बीजेपी का एक नया चेहरा उभर सकता है. हालांकि, यह देखना दिलचस्प होगा कि बिहार के अन्य राजनीतिक दल और खासकर महागठबंधन इसका कैसे जवाब देंगे.

यह कहना मुश्किल है कि ‘सौगात-ए-मोदी’ का असर कितना होगा, लेकिन यह तो साफ है कि बीजेपी ने इसे चुनावी रणनीति के रूप में उतारा है. अब देखना यह है कि यह अभियान क्या सिर्फ बिहार विधानसभा चुनाव तक सीमित रहेगा, या बीजेपी इसे दूसरे राज्यों में भी लागू करेगी.

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