किस बात से बार-बार डर रही हैं मायावती? पहले भतीजे आकाश और अब भाई आनंद को लगाया ठिकाने!

अब मायावती ने आनंद कुमार के स्थान पर सहारनपुर के रणधीर बेनीवाल को नेशनल कोऑर्डिनेटर नियुक्त किया है. इसके साथ ही, राम जी गौतम को भी नेशनल कोऑर्डिनेटर की जिम्मेदारी सौंपी गई है. दोनों नेता मायावती के दिशा-निर्देशों पर विभिन्न राज्यों में पार्टी की गतिविधियों की जिम्मेदारी संभालेंगे.
मायावती

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बहुजन समाज पार्टी (BSP) की सुप्रीमो मायावती (Mayawati) ने एक और बड़ा संगठनात्मक बदलाव करते हुए अपने भाई आनंद कुमार को नेशनल कोऑर्डिनेटर के पद से हटा दिया है. 48 घंटे पहले ही उन्हें यह जिम्मेदारी दी गई थी. मायावती ने इसे लेकर सोशल मीडिया प्लेटफार्म X पर जानकारी साझा की. हालांकि, मायावती के इस फैसले के बाद पार्टी के भीतर और बाहरी राजनीतिक हलकों में व्यापक चर्चा होने लगी है.

48 घंटे में यू-टर्न

मायावती के इस फैसले से यह भी साफ हो जाता है कि उन्होंने केवल 48 घंटे के अंदर इस बदलाव पर यू-टर्न लिया. पहले आनंद कुमार को नेशनल कोऑर्डिनेटर के रूप में पदोन्नति दी गई थी, लेकिन अब उन्हें इस पद से हटा दिया गया है. हालांकि, आनंद कुमार को पार्टी की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष के पद पर बनाए रखा गया है और वह अब भी मायावती के निर्देशन में काम करेंगे. मायावती ने कारण बताते हुए कहा कि आनंद कुमार एक ही पद पर रहकर पार्टी की सेवा करना चाहते हैं इसलिए यह फैसला लिया गया है.

रणधीर बेनीवाल बने नेशनल कोऑर्डिनेटर

अब मायावती ने आनंद कुमार के स्थान पर सहारनपुर के रणधीर बेनीवाल को नेशनल कोऑर्डिनेटर नियुक्त किया है. इसके साथ ही, राम जी गौतम को भी नेशनल कोऑर्डिनेटर की जिम्मेदारी सौंपी गई है. दोनों नेता मायावती के दिशा-निर्देशों पर विभिन्न राज्यों में पार्टी की गतिविधियों की जिम्मेदारी संभालेंगे.

बसपा में अंदरूनी संघर्ष

बहुजन समाज पार्टी सुप्रीमो मायावती ने हाल ही में अपने भतीजे आकाश आनंद को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया था. अब उन्होंने अपने भाई आनंद कुमार को कोऑर्डिनेटर के पद से हटाया है. मायावती के लगातार बदलते फैसले से पार्टी के अंदर चल रहे गहरे मतभेदों और व्यक्तिगत संघर्षों की बात उठने लगी है. हालांकि, एक सवाल अभी भी है कि मायावती ने अचानक इतना बड़ा फैसला क्यों लिया?

दरअसल, मायावती ने ये कदम अचानक तो जरूर उठाया है, लेकिन इसके पीछे लंबे समय से चले आ रहे मतभेदों का स्पष्ट प्रभाव दिखाई देता है. मायावती ने इस फैसले के साथ ही आकाश आनंद पर निजी हमला भी बोला. उन्होंने कहा कि आकाश ने अपनी गलतियों का प्रायश्चित करने की बजाय अहंकार दिखाया और अपने ससुर अशोक सिद्धार्थ की तरह कार्य करने लगे. इसी कारण उन्हें पार्टी से बाहर करने का यह कठोर निर्णय लिया गया.

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आकाश आनंद के खिलाफ बढ़ते मतभेद

आकाश आनंद की पार्टी से विदाई का फैसला अचानक नहीं था. इसके संकेत पहले से ही मिल रहे थे. माना जाता है कि इस बदलाव की शुरुआत 2023 में आकाश आनंद के एक भाषण से हुई, जिसमें उन्होंने बसपा की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए थे. महाराष्ट्र के औरंगाबाद में 23 नवंबर 2023 को आकाश आनंद ने यह बयान दिया था, जिसमें उन्होंने पार्टी के वरिष्ठ नेताओं पर आरोप लगाया कि उच्च पदों पर बैठे कुछ लोग पार्टी को नुकसान पहुंचा रहे हैं. उन्होंने यह भी कहा था कि पार्टी में कई समस्याएं हैं, जिनका समाधान तुरंत किया जाना चाहिए.

आकाश आनंद का यह बयान पार्टी के अंदर उथल-पुथल का कारण बन गया. मायावती को यह बयान बिल्कुल भी स्वीकार्य नहीं था, क्योंकि बसपा में किसी भी नेता को पार्टी की कार्यप्रणाली या नेतृत्व पर सवाल उठाने की अनुमति नहीं है. बसपा में किसी भी तरह की बगावत बर्दाश्त नहीं की जाती है. मायावती ने आकाश आनंद का यह बयान पार्टी की एकता को तोड़ने जैसा माना.

मायावती के कड़े कदम

मायावती की पार्टी में एक सख्त नेतृत्व शैली रही है, और वह हमेशा अपने नियंत्रण में पार्टी की कार्यशैली बनाए रखती हैं. बसपा में किसी भी अन्य नेता को स्वतंत्र रूप से अपनी राजनीतिक दिशा तय करने की अनुमति नहीं है. इस सख्त नियंत्रण का उदाहरण हमें आकाश आनंद के मामले में स्पष्ट रूप से देखने को मिलता है. आकाश के इस बयान के बाद, पार्टी के वरिष्ठ नेताओं का एक वर्ग भी असहज हो गया था.

आकाश आनंद ने जो मुद्दे उठाए थे, वे पार्टी के कार्यकर्ताओं के बीच चर्चा का विषय बने, लेकिन बसपा के अंदर यह स्पष्ट हो गया कि मायावती किसी भी प्रकार की बगावत या अनियमितता को सहन नहीं करेंगी. आकाश के बयान के बाद, यह साफ हो गया था कि उनकी पार्टी के अंदर कोई भी नेता, चाहे वह उनका पारिवारिक सदस्य ही क्यों न हो, पार्टी की नीति या नेतृत्व पर सवाल उठाने का जोखिम नहीं उठा सकता.

आकाश आनंद की राजनीतिक राह

आकाश आनंद के पार्टी से बाहर होने के बाद यह देखना दिलचस्प होगा कि उनका भविष्य किस दिशा में जाता है. क्या वह अपनी राजनीतिक राह खुद तय करेंगे, या फिर वह बसपा से बाहर निकलने के बाद किसी अन्य पार्टी में शामिल होंगे, इस पर अब राजनीति के जानकार नजर बनाए हुए हैं.

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