कौन हैं Justice BR Gavai, जो बनेंगे देश के दूसरे दलित CJI, 7 महीने से कम होगा कार्यकाल

Justice BR Gavai: कानून मंत्रालय ने चली आ रही परंपरा के मुताबिक, मौजूदा सीजेआई संजीव खन्ना से उनके उत्तराधिकारी के नाम की सिफारिश मांगी थी. इसके जवाब में सीजेआई खन्ना ने जस्टिस भूषण रामकृष्ण गवई का नाम आगे बढ़ा दिया है.
Justice BR Gavai

जस्टिस भूषण रामकृष्ण गवई भारत के मुख्य न्यायाधीश

Justice BR Gavai: बुधवार, 16 अप्रैल को भारत के मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना ने अगले CJI रूप में जस्टिस बीआर गवई (Justice BR Gavai) के नाम की आधिकारिक सिफारिश की है. जस्टिस बीआर गवई के नाम को केंद्रीय कानून मंत्रालय के पास भेज दिया गया है. मंत्रालय से मंजूरी के बाद वह देश के अगले CJI बनेंगे. जस्टिस भूषण रामकृष्ण गवई का भारत का 52वां मुख्य न्यायाधीश बनना तय है.

देश को मिलगा दूसरे दलित CJI

कानून मंत्रालय ने चली आ रही परंपरा के मुताबिक, मौजूदा सीजेआई संजीव खन्ना से उनके उत्तराधिकारी के नाम की सिफारिश मांगी थी. इसके जवाब में सीजेआई खन्ना ने जस्टिस भूषण रामकृष्ण गवई का नाम आगे बढ़ा दिया है. जस्टिस गवई की नियुक्ति कई मायनों में खास है, क्योंकि वह देश के दूसरे दलित मुख्य न्यायाधीश बनने जा रहे हैं. मौजूदा CJI संजीव खन्ना का कार्यकाल 13 मई को खत्म हो रहा है. इसे देखते हुए CJI खन्ना के बाद वरिष्ठता सूची में जस्टिस गवई का नाम सबसे ऊपर है. इसलिए जस्टिस खन्ना ने उनका नाम आगे बढ़ाया है.

जस्टिस गवई से पहले जस्टिस केजी बालाकृष्णन भारत के पहले दलित मुख्य न्यायाधीश बने थे. जस्टिस बालाकृष्णन साल 2007 में सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस बने थे.

कम दिनों का होगा कार्यकाल

मौजूदा CJI संजीव खन्ना का कार्यकाल 13 मई को खत्म हो जाएगा. इसके बाद 14 मई को जस्टिस गवई CJI पद की शपत लेंगे. हालांकि, उनका कार्यकाल सिर्फ 7 महीने से भी कम का होगा. सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर दिए प्रोफाइल के मुताबिक, जस्टिस गवई 24 मई 2019 को सुप्रीम कोर्ट के जज के रूप में प्रमोट हुए थे. उनके रिटायरमेंट की तारीख 23 नवंबर 2025 है.

जानें कौन है जस्टिस गवई

24 नवंबर 1960 को जस्टिस भूषण रामकृष्ण गवई का जन्म महाराष्ट्र के अमरावती जिले में हुआ था. उन्होंने 16 मार्च 1985 को वकालत शुरू की. उन्होंने अपने शुरुआती सैलून में पूर्व महाधिवक्ता और हाईकोर्ट के जज बैरिस्टर राजा एस. भोसले के साथ 1987 तक कार्य किया. इसके बाद 1987 से 1990 तक बॉम्बे हाई कोर्ट में स्वतंत्र रूप से प्रैक्टिस की. फिर 14 नवंबर 2003 को बॉम्बे हाईकोर्ट के एडिशनल जज के रूप में प्रमोट हुए. इसके दो साल बाद यानी 12 नवंबर 2005 को बॉम्बे हाईकोर्ट के परमानेंट जज बने.

इस दौरान उन्होंने मुंबई मुख्य पीठ सहित नागपुर, औरंगाबाद और पणजी की बेंच पर विभिन्न प्रकार के मामलों की अध्यक्षता की. फिर 24 मई 2019 को उन्हें भारत के सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में प्रमोट किया गया.

जस्टिस गवई के बड़े फैसले

जस्टिस गवाई ने साल 2016 की नोटबंदी योजना को 4:1 बहुमत से वैध ठहराते हुए कहा कि यह निर्णय केंद्र सरकार और भारतीय रिज़र्व बैंक के बीच परामर्श के बाद लिया गया था और यह ‘अनुपातिकता की कसौटी’ पर खरा उतरता है.

इसके बाद साल 2023 में जस्टिस गवई की बेंच ने प्रवर्तन निदेशालय के निदेशक संजय कुमार मिश्रा के कार्यकाल के तीसरे विस्तार को अवैध घोषित किया और उन्हें 31 जुलाई 2023 तक पद छोड़ने का निर्देश दिया था.

पिछले साल जस्टिस गवई और जस्टिस केवी विश्वनाथन की बेंच ने कहा था कि केवल आरोपी या दोषी होने के आधार पर किसी की संपत्ति को ध्वस्त करना असंवैधानिक है. कार्रवाई बिना कानूनी प्रक्रिया के नहीं कर सकते, अगर होती है तो संबंधित अधिकारी जिम्मेदार होगा.

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जस्टिस गवई की अध्यक्षता वाली बेंच ने 30 साल से ज्यादा समय से जेल में बंद छह दोषियों की रिहाई का आदेश दिया था. उन्होंने यह मानते हुए ये फैसला दिया था कि तमिलनाडु सरकार की सिफारिश पर राज्यपाल ने कोई कार्रवाई नहीं की थी.

तमिलनाडु सरकार के वणियार समुदाय को विशेष आरक्षण देने के निर्णय को सुप्रीम कोर्ट ने असंवैधानिक करार दिया था. क्योंकि यह अन्य पिछड़ा वर्गों के साथ भेदभावपूर्ण था.

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