उत्तराखंड के इस मंदिर में दिन में 3 बार बदलता है माता का रूप, नवरात्रि में भक्तों का उमड़ता है सैलाब!
धारी देवी मंदिर
Dhari Devi Temple: उत्तराखंड की देवभूमि में कई प्रसिद्ध मंदिर हैं, लेकिन धारी देवी मंदिर का स्थान अपनी विशेषता और रहस्य के कारण सबसे अलग है. इस मंदिर में स्थित देवी को उत्तराखंड की रक्षक देवी माना जाता है. नवरात्रि में यह जगह भक्तों से भर जाती है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस मंदिर में एक अद्भुत चमत्कार भी होता है?
मंदिर का इतिहास और मान्यता
धारी देवी मंदिर पौड़ी गढ़वाल जिले के श्रीनगर में अलकनंदा नदी के तट पर स्थित है. यह मंदिर चारधाम यात्रा मार्ग के बीच में पड़ता है और द्वापर युग से जुड़ा हुआ माना जाता है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, एक समय एक भयंकर बाढ़ आई थी, जिसमें देवी की मूर्ति बहकर धारो गांव के पास एक चट्टान पर रुकी. फिर एक दिव्य वाणी आई, जिसमें कहा गया कि देवी की मूर्ति को यहां स्थापित किया जाए. इसके बाद, धारो गांव के लोगों ने यहां मूर्ति स्थापित की और तभी से माता धारी की पूजा शुरू हुई.
धारी देवी मंदिर में रोज़ बदलता है देवी का रूप
इस मंदिर की सबसे बड़ी खासियत है कि देवी की मूर्ति दिन में तीन बार रूप बदलती है. सुबह के समय देवी कन्या के रूप में, दोपहर में युवती के रूप में और शाम को वृद्ध महिला के रूप में दिखाई देती हैं. यह चमत्कार हर दिन होता है और भक्त इसे देखने के लिए सुबह से शाम तक मंदिर में रुकते हैं.
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2013 की भीषण बाढ़
उत्तराखंड के स्थानीय लोग मानते हैं कि 2013 की भीषण बाढ़ का कारण धारी देवी की मूर्ति को उसके स्थान से हटाना था. 16 जून 2013 को जब मूर्ति को स्थानांतरित किया गया, उसी शाम को उत्तराखंड में बाढ़ आ गई थी, जिसमें हजारों लोग मारे गए थे. लोगों का मानना है कि माता के क्रोध के कारण ही यह भयानक बाढ़ आई थी.
धारी देवी और कालीमठ का संबंध
धारी देवी मंदिर में देवी काली के सिर की पूजा की जाती है, जबकि कालीमठ में देवी काली के धड़ की पूजा होती है. दोनों मंदिर देवी काली को समर्पित हैं, लेकिन कालीमठ तंत्र विद्या का प्रमुख केंद्र है, जबकि धारी देवी मंदिर चारधामों की संरक्षक देवी के रूप में पूजा जाता है. मंदिर सुबह 6 बजे से शाम 7 बजे तक भक्तों के दर्शन के लिए खुला रहता है.
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कैसे पहुंचें धारी देवी मंदिर?
यदि आप धारी देवी मंदिर जाना चाहते हैं, तो देहरादून हवाई अड्डे से इसकी दूरी 145 किलोमीटर है. ऋषिकेश रेलवे स्टेशन से यहां की दूरी लगभग 115 किलोमीटर है. बस और टैक्सी सेवा के माध्यम से आप देहरादून, ऋषिकेश, हरिद्वार, पौड़ी, और कोटद्वार से आसानी से यहां पहुंच सकते हैं.
धारी देवी मंदिर न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि इसके साथ जुड़ी अनगिनत मान्यताएं और चमत्कार इस स्थान को और भी रहस्यमय बनाते हैं.