Haldwani Violence: कौन है हल्द्वानी हिंसा का मास्टरमाइंड अब्दुल मलिक? NSA लगा सकती है धामी सरकार!
Haldwani Violence: उत्तराखंड के हल्द्वानी में हुई हिंसा पर धामी सरकार बेहद सख्त नजर आ रही. सूत्रों के हवाले से मिली जानकारी के अनुसार सरकार हिंसा के मास्टरमाइंड पर शिकंजा कसने की तैयारी में है. हल्द्वानी के बनभूलपुरा में हुई हिंसा के दौरान 6 लोगों की मौत हो गई थी. वहीं कई पुलिसकर्मियों समेत 100 से ज्यादा लोग घायल हुए. अब्दुल मलिक( Abdul Malik) इस हिंसा का मास्टरमाइंड माना जा रहा है.
अब्दुल मलिक कई जमीनों के खरीद फरोख्त में शामिल
गुरुवार, 8 फरवरी को उत्तराखंड के हल्द्वानी में हुई हिंसा को लेकर सरकार कड़ा रुख अपना रही है. धामी सरकार अब्दुल मलिक पर नेशनल सिक्योरिटी एक्ट(NSA) के तहत कार्रवाई करने की तैयारी में है. बताया जा रहा है कि हिंसा का मास्टर माइंड अब्दुल मलिक कई जमीनों के खरीद फरोख्त में शामिल है. सूत्रों के हवाले से मिली जानकारी के अनुसार अब्दुल मलिक मदरसे की आड़ में सरकारी जमीन को हड़पने की कोशिश कर रहा था. जिसको खाली कराने गई प्रशासन पर साजिश के तहत हमला किया गया. इसी दौरान इलाके में हिंसा उग्र हो गई.
उपद्रवियों को उकसाने में मलिक की भूमिका अहम
सूत्रों की ओर से मिली जानकारी के अनुसार हिंसा का मास्टर मांइड बताया जा रहा अब्दुल मलिक मस्जिद और मदरसे को गिराने की कार्रवाई को रोकने के लिए प्रशासन पर लगातार दबाव बना रहा था. इस दौरान उसने वहां मौजूद अधिकारियों को धमकी और हिंसा होने की चेतावनी भी दी. हालांकि अधिकारियों ने उसकी धमकी पर कोई एक्शन नहीं लिया. बताया जा रहा है कि जब नगर निगम की टीम अतिक्रमण हटाने के लिए पहुंची तो उपद्रवियों को उकसाने में मलिक की अहम भूमिका थी और प्रशासन को रोकने के लिए महिलाओं को आगे करने की योजना भी उसी की थी. सूत्रों के अनुसार मलिक ने पहले से ही वहां के कई लोगों को पेट्रोल बम और पत्थर मुहैया कराया था.
उप्रदवियों को गोली मारने के दिए थे गए आदेश
बताते चलें कि गुरुवार की शाम को प्रशासन की टीम इलाके में पहुंची. इसके बाद जैसे ही नगर निगम के कर्मचारियों और पुलिसकर्मियों ने बुलडोजर से अवैध निर्माण को तोड़ा, वैसे ही उपद्रवियों ने उनपर पत्थरबाजी करना शुरू कर दिया. देखते-देखते हिंसा उग्र हो गई और पूरे इलाके में फैल गई. हालात इस कदर खराब हुए कि सरकार को इलाके में धारा-144 लगाने के साथ-साथ इंटरनेट सेवाओं पर भी रोक लगाना पड़ा. फिर भी हिंसा नहीं थमी तो सराकार ने उप्रदवियों को देखते ही गोली मारने के आदेश दिए.