वक्फ संशोधन विधेयक पर सियासी टकराव, मौलाना खालिद रहमानी बोले- ये हमें कबूल नहीं, अंत तक लड़ेंगे
मौलाना खालिद रहमानी
Waqf Amendment Bill 2024 पर संयुक्त संसदीय समिति (JPC) की रिपोर्ट गुरुवार को राज्यसभा में पेश की गई. इस रिपोर्ट ने संसद में एक नई हलचल मचा दी है, जब विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने सरकार पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि रिपोर्ट में असहमति वाली टिप्पणियों को जानबूझकर हटा दिया गया है. हालांकि, इसने संसद में एक नई सियासी बहस को जन्म दिया है.
वक्फ संशोधन विधेयक पर मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की प्रतिक्रिया
वहीं, ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) के उपाध्यक्ष मौलाना ओबैदुल्लाह खान आज़मी ने कहा कि वक्फ संशोधन विधेयक पर अपने विचार साझा करते हुए कहा कि बोर्ड को संशोधन से कोई परेशानी नहीं है, लेकिन यदि वक्फ बोर्ड में कोई दोषी चेयरमैन है तो उसे बाहर किया जाए. उन्होंने सवाल उठाया कि क्यों सर्वे कमिश्नर की जगह कलेक्टरों को यह जिम्मेदारी दी जा रही है. उन्होंने कहा कि हर सूबे में एक सर्वे कमिश्नर होता था जो वक्फ संपत्तियों का जायजा लेकर भारत सरकार को रिपोर्ट देता था, अब वह प्रक्रिया खत्म होती नजर आ रही है.
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के अध्यक्ष मौलाना खालिद सैफुल्लाह रहमानी ने कहा, “भारत में अपनी जायदाद पर जितना हक सिखों और हिंदुओं का है, उतना ही मुसलमानों का है. वक्फ पर मौजूदा कानून भारतीय संविधान के तहत आता है, जो धर्मों की स्वतंत्रता के कानून के अंतर्गत आता है.”
उन्होंने आगे कहा कि यह मुद्दा सिर्फ मुसलमानों का नहीं, बल्कि देश के संविधान के तहत सभी नागरिकों के हक का मामला है. हमें इस पर कोई एतराज नहीं है कि सिख अपनी जायदाद चलाते हैं और हिंदू भी स्वतंत्र हैं, लेकिन जितना हक हिंदुओं और सिखों का है, उतना ही मुसलमानों का भी है. ये हमें कबूल नहीं, अंत तक लड़ेंगे.”
वक्फ संपत्ति क्या है?
वक्फ शब्द अरबी से लिया गया है, जिसका मतलब है ‘धार्मिक या धर्मार्थ उद्देश्य के लिए दान की गई संपत्ति.’ एक बार जब कोई संपत्ति वक्फ के रूप में नामित हो जाती है, तो यह अल्लाह की संपत्ति मानी जाती है, और इसका निजी स्वामित्व नहीं होता. वक्फ संपत्ति के मामले में कोई भी हस्तक्षेप नहीं कर सकता. भारत में वक्फ संपत्तियों का प्रशासन वक्फ अधिनियम 1995 के तहत किया जाता है, जिसमें वक्फ संपत्तियों की पहचान, जांच और दस्तावेजीकरण के लिए एक सर्वे कमिश्नर की नियुक्ति की जाती है.
वक्फ संपत्तियों पर अतिक्रमण
वक्फ संपत्तियों से जुड़ी सबसे बड़ी चुनौती अतिक्रमण है. इन संपत्तियों पर अवैध कब्जा करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाती है. वक्फ अधिनियम में 2013 में किए गए संशोधनों ने इन सुरक्षा उपायों को और सख्त किया, जिसमें वक्फ संपत्तियों की बिक्री या ट्रांसफर पर सख्त प्रतिबंध लगाया गया. अब इस पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है कि इन संपत्तियों का गलत इस्तेमाल न हो.
वक्फ अधिनियम में प्रस्तावित बदलाव
वक्फ (संशोधन) विधेयक 2024 में कई महत्वपूर्ण बदलाव प्रस्तावित किए गए हैं, जिनका उद्देश्य वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन को आधुनिक और पारदर्शी बनाना है. इसमें सबसे महत्वपूर्ण प्रस्ताव यह है कि वक्फ अधिनियम का नाम बदलकर “यूनिफाइड वक्फ मैनेजमेंट, इम्पावरमेंट, एफिशिएंसी एंड डेवलपमेंट एक्ट 1995” किया जाएगा. इस विधेयक के तहत, केवल वे लोग ही वक्फ बना सकेंगे जिनके पास वैध स्वामित्व हो, ताकि संपत्ति के अस्पष्ट दावों से विवादों को रोका जा सके. वक्फ घोषित की गई संपत्तियों में सरकारी भूमि को शामिल नहीं किया जा सकेगा, और वक्फ और सरकारी संपत्तियों के बीच भूमि विवादों को हल करने का अधिकार जिला कलेक्टरों को दिया जाएगा.
महिलाओं को वक्फ बोर्ड में शामिल करने का प्रावधान
विधेयक का एक और महत्वपूर्ण प्रावधान महिलाओं को वक्फ बोर्ड के संचालन में अनिवार्य रूप से शामिल करना है. इससे वक्फ मामलों में और अधिक पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित की जा सकेगी. इस प्रावधान को लेकर विभिन्न राजनीतिक दलों और संगठनों ने सकारात्मक प्रतिक्रिया दी है.
विधेयक पर राजनीतिक संघर्ष
वक्फ (संशोधन) विधेयक 2024 पर चल रही बहस में विपक्ष और सरकार के बीच तीखी नोंक-झोंक देखने को मिल रही है. भाजपा इसे वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन में सुधार और पारदर्शिता लाने की दिशा में एक कदम मानती है, जबकि विपक्ष इसे मुस्लिम समुदाय के संवैधानिक अधिकारों पर हमला और वक्फ बोर्डों के कामकाज में हस्तक्षेप के रूप में देखता है.