Wayanad Landslides: लाशें उगलता मलबा, बदल गई नदी की दिशा… सैटेलाइट इमेज में देखें तबाही का मंजर

रिपोर्ट के मुताबिक, मलबा इरुवाईफुझा नदी के किनारे लगभग 8 किलोमीटर तक बह गया है.  इससे नदी की दिशा बदल गई है.  इसरो के मुताबिक, अतीत में भी इस इलाके में लैंडस्लाइड की घटना घट चुकी है.
Wayanad Landslides

सैटेलाइट से दिखा तबाही का मंजर

Wayanad Landslides: पिछले दिनों केरल के वायनाड में कुदरत का कहर बरपा. जहां पहले हरियाली ही हरियाली थी अब वहां पानी और मलबा दिख रहा है. हजारों लोगों के घर तबाह हो गए. सैलाब ने सैकड़ों जिंदगियां लील ली. अब भी 150 से ज्यादा लोग लापता हैं. वायनाड लैंडस्लाइड के बाद का मंजर अब इसरो के सैटेलाइट कैमरे में कैद हुआ है. सैटेलाइट की हाई रिज़ॉल्यूशन वाली तस्वीरें केरल के वायनाड में भूस्खलन के बाद की तबाही को दिखा रही है.

200 से ज्यादा लोगों की मौत

बचाव कार्य जारी रहने के बाद भी 292 लोगों की मौत हो गई. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, करीब 200 लोग घायल भी हुए हैं. सैटेलाइट से ली गई पहले और बाद की तस्वीरें दिखाती हैं कि वायनाड में लगभग 86,000 वर्ग मीटर जमीन खिसक गई है. जहां पहले हरियाली दिख रही थी, वहां अब सिर्फ मलबा ही मलबा दिख रहा है. हैरत की बात ये है कि कुदरत के कहर के आगे नदी ने भी अपनी दिशा बदल ली है. मलबे से लोगों के लाश निकाले जा रहे हैं.

बदल गई नदी की दिशा

रिपोर्ट के मुताबिक, मलबा इरुवाईफुझा नदी के किनारे लगभग 8 किलोमीटर तक बह गया है.  इससे नदी की दिशा बदल गई है.  इसरो के मुताबिक, अतीत में भी इन इलाकों में लैंडस्लाइड की घटना घट चुकी है. दरअसल, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) की रिपोर्ट में भी उसी स्थान पर एक पुराने भूस्खलन के सबूत पेश किए गए हैं. अंतरिक्ष एजेंसी का कहना है कि भूस्खलन समुद्र तल से 1550 मीटर की ऊंचाई पर शुरू हुआ था. इसरो द्वारा तैयार 2023 ‘भारत के लैंडस्लाइड एटलस’ ने वायनाड क्षेत्र को भूस्खलन के प्रति संवेदनशील क्षेत्र बताया है.

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बह गईं शहर और बस्तियां

इसरो की सैटेलाइट तस्वीरों में वायनाड भूस्खलन से व्यापक तबाही दिखाई गई है. लगभग 86,000 वर्ग मीटर जमीन खिसक गई. यह आकार राष्ट्रपति भवन के आकार से लगभग पांच गुना बड़ा है. मलबा लगभग 8 किलोमीटर नीचे की ओर बहा, जिससे शहर और बस्तियां बह गईं. 31 जुलाई 2024 की RISAT SAR से ली गई तस्वीरें मलबे के बहाव की पूरी सीमा को दिखाती हैं. मलबे के बहाव ने इरुवाईफुझा नदी के मार्ग को चौड़ा कर दिया है जिससे इसके किनारे टूट गए हैं. मलबे के बहाव से किनारे पर स्थित घर और अन्य बुनियादी ढांचे क्षतिग्रस्त हो गए हैं.

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