West Bengal: लोकसभा चुनाव में बड़ी जीत के बाद भी TMC खेमे में क्यों हैं खलबली, क्या है ममता की चिंता का कारण?

West Bengal Politics: कोलकाता नगर निगम(KMC) के अंतर्गत आने वाले 144 वार्डों में से TMC के फिलहाल 138 पार्षद हैं. वहीं BJP के तीन और वाम-कांग्रेस गठबंधन के तीन पार्षद हैं.
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पश्चिम बंगाल की मुख्यंमत्री ममता बनर्जी

West Bengal Politics: देश में लोकसभा चुनाव हो चुके हैं. नई सरकार का गठन भी हो चुका है. इस बीच तृणमूल कांग्रेस(TMC) भले ही 42 में से 29 सीटें जीत ली हैं, लेकिन पार्टी के नेतओं के बीच ज्यादा खुशी नहीं देखी जा रही है. इसका कारण है कि TMC के कई प्रत्याशी कई मंत्रियों के विधानसभा क्षेत्रों में पिछड़ गए थे. वहीं 12 सीटों पर जीत दर्ज करने वाली भारतीय जनता पार्टी के कई प्रत्याशियों को कई वार्डों में बढ़त मिली. इस कारण TMC के खेमे में ज्यादा खुशी नहीं देखी जा रही है. इस लिस्ट में कई विधानसभा क्षेत्र शामिल हैं.

कोलकाता में 2019 के मुकाबले रही कम

कोलकाता नगर निगम(KMC) के अंतर्गत आने वाले 144 वार्डों में से TMC के फिलहाल 138 पार्षद हैं. वहीं BJP के तीन और वाम-कांग्रेस गठबंधन के तीन पार्षद हैं. TMC ने कोलकाता की दोनों लोकसभा सीटों पर जीत दर्ज की हैं, लेकिन दोनों सीटों पर उसकी बढ़त 2019 के लोकसभा चुनावों से कम थी. इस दौरान BJP 48 वार्डों में आगे थी, जबकि वाम-कांग्रेस गठबंधन को तीन वार्डों में बढ़त मिली, TMC को 93 वार्डों में बढ़त मिली. चुनाव आंकड़ों के अनुसार BJP बोलपुर, गोबरदंगा, कृष्णानगर, बालुरघाट, रायगंज, बर्धमान, इंग्लिश बाजार और झाड़ग्राम जैसे कई नगर निकायों में भी आगे थी.

कई उपनगरों में भी पिछड़ी सत्तारूढ़ TMC

कोलकाता के अलावा TMC उपनगरों में नतीजों को लेकर भी चिंतित नजर आ रही है. बारासात लोकसभा सीट के अंतर्गत आने वाली चार नगरपालिकाओं में TMC पिछड़ गई. इनमें से बारासात नगरपालिका के 35 वार्डों में से TMC सिर्फ छह वार्डों में आगे थी. वहीं अशोकनगर नगरपालिका के 23 वार्डों में भी सिर्फ TMC छह में ही आगे थी. हाबरा नगरपालिका के अंतर्गत आने वाले सभी वार्डों में TMC पिछड़ गई. इसमें जेल में बंद पूर्व खाद्य मंत्री ज्योतिप्रिय मलिक का विधानसभा क्षेत्र भी शामिल है. मध्यमग्राम नगरपालिका में, पार्टी 28 में से सिर्फ 18 वार्डों में TMC आगे थी.TMC बनगांव नगर पालिका के सभी 22 वार्डों में भी पीछे रही. इस सीट पर पूर्व मेयर शंकर आध्या कथित राशन घोटाले के आरोप में जेल में हैं. उत्तर 24 परगना जिले के गोबरदंगा नगर पालिका में TMC 17 में से 15 वार्डों में पिछड़ गई. TMC की ओर से माना जा रहा है कि भ्रष्टाचारियों की वजह से और योजनाओं की सही पहुंच के कारण पार्टी इन वार्डों में पिछड़ गई.

दक्षिण बंगाल में BJP ने किया TMC का सफाया

दक्षिण बंगाल के बर्धमान पूर्व लोकसभा सीट पर TMC प्रत्याशी शर्मिला सरकार ने 1 लाख 60 हजार से ज्यादा वोटों से जीत हासिल की, ​​लेकिन वह तीनों शहरी इलाकों कटवा, कालना और दैनहाट में पिछड़ गईं. पार्टी की समीक्षा में इसका कारण संगठनात्मक कमजोरी और मतदाताओं का असंतोष बताया गया. इसी तरह जंगलमहल में झारग्राम त्तर बंगाल में अलीपुरद्वार और बालुरघाट लोकसभा सीटों के अंतर्गत आने वाली नगर पालिकाओं तक TMC के प्रत्याशी पिछड़ते हुए नजर आए. झारग्राम नगर पालिका के 17 वार्डों में से BJP 11 वार्डों में आगे रही है, जबकि TMC केवल छह वार्डों में आगे रही. TMC के चार विधायक पार्थ चटर्जी, ज्योतिप्रिय मलिक, जीवनकृष्ण साहा और माणिक भट्टाचार्य स्कूल स्टाफ भर्ती और राशन वितरण से जुड़े कथित घोटालों में जेल भेजे गए थे. इनमें से जीवनकृष्ण साहा को लोकसभा चुनाव से ठीक पहले जमानत मिल गई और TMC ने बहरामपुर की सीट जीत ली, लेकिन इसी विधानसभा के बरवान में BJP को वोटों की बढ़त मिल गई. ज्योतिप्रिय मलिक के विधानसभा क्षेत्र हाबरा में भी TMC से पीछे रही. हालांकि उसने बारासात लोकसभा सीट TMC को जीत मिली.

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उत्तर बंगाल में कांग्रेस ने भी दिखाया दम

2019 के लोकसभा चुनावों के बाद से ही उत्तर बंगाल TMC के हाथ से निकलते हुए देखा जा रहा है. सिर्फ एक सीट कूचबिहार को छोड़कर बाकी सभी सीटों पर TMC का सफाया हो गया है. वहीं BJP ने इस क्षेत्र में छह सीटें जीती हैं. मालदा जिले में BJP और कांग्रेस ने एक-एक लोकसभा सीट जीती. वहीं TMC सभी 12 विधानसभा क्षेत्रों में पीछे रही. हालांकि TMC 2021 के विधानसभा चुनावों में इनमें से आठ जीती थी. इनमें राज्य मंत्री सबीना यास्मीन का क्षेत्र मोथाबारी भी शामिल है. इस विधानसभा में सत्तारूढ़ पार्टी 45 हजार वोटों से पीछड़ गई. मंत्री ताजमुल हुसैन के विधानसभा क्षेत्र हरिश्चंद्रपुर में भी 4 हजार वोटों से पीछे रही. इस जिले में कांग्रेस ने छह क्षेत्रों में बढ़त हासिल की और BJP भी छह में आगे रही.

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