एक की गलती पर घर के 15 लोगों को सजा क्यों? बुलडोजर एक्शन पर SC ने लगाई रोक तो क्या बोले अरशद मदनी?

Arshad Madani: अरशद मदनी ने कहा कि जिन लोगों के मकान को गिरा दिया गया है वे लोग इतने गरीब हैं कि वह लोअर कोर्ट में भी नहीं लड़ पाते हैं तो सुप्रीम कोर्ट तक कैसे ही जाएंगे.
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मौलाना अरशद मदनी

Arshad Madani On Bulldozer Action: सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार (17 सितंबर, 2024) को देशभर में बुलडोजर एक्शन पर रोक लगा दी है. यह रोक एक अक्टूबर को होने वाली अगली सुनवाई तक जारी रहेगी. कोर्ट के इस फैसले पर जमीयत उलेमा-ए-हिंद (अरशद गुट) के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी की भी प्रतिक्रिया आई है. न्यूज एजेंसी ANI से बात करते हुए मौलाना अरशद मदनी ने कहा कि पहले असम में बुलडोजर कार्रवाई हुई फिर ये उत्तर प्रदेश में भी शुरू हो गई.

अरदश मदनी ने आगे कहा कि जो लोग किराए के मकान में रहते हैं उसको भी गिरा दिया जाता है. उन्होंने कहा कि अगर एक मकान में 11 से 15 आदमी रहते हैं. इनमें से अगर किसी एक इंसान से गलती हुई तो उसकी सजा बाकियों क्यों दी जाती है. बाकी के लोग कहां जाएंगे. ये तो बड़ी तबाही की बात है.

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“खुशी की बात है कि कोर्ट ने मेरी बात कबूल की”

सुप्रीम कोर्ट के आदेश का जिक्र करते हुए अरशद मदनी ने कहा कि उनको इस बात की खुशी है कि सुप्रीम कोर्ट ने उनकी बात को कबूल किया. उन्होंने कहा कि याचिका पर सुनवाई के दौरान जब कोर्ट में वकील ने कहा कि मुसलमानों के घर गिराए गए हैं तो सरकार के वकील ने कहा कि हिंदुओं के साथ भी ऐसा किया गया है. इस पर कोर्ट ने कह दिया कि वह इन झगड़ों में नहीं पड़ेगा.

अरशद मदनी ने बताया कि कोर्ट ने कहा कि हम 10 पॉइंट रखेंगे तब तक कोई किसी के घर को नहीं गिरा सकता है. कोर्ट के इस फैसले में बहुत अच्छी चीजें हैं कि इससे सामने वाले को भी अपनी बात रखने का हक मिलेगा और किसी के भी साथ जुल्म नहीं हो पाएगा.

“आजादी के बाद ऐसा कभी नहीं हुआ”

मौलाना अरशद मदनी ने कहा कि हिंदुस्तान में इस समय बुलडोजर से घर गिराने के जो हालात पैदा हो रहे हैं. देश की आजादी के बाद से अब तक ऐसी नौबत कभी नहीं आई थी. उन्होंने आगे ये भी कहा कि बुलडोजर एक्शन की वजह से मुस्लिम और गैर-मुस्लिमों की परेशानियों का हल निकालने के लिए कोर्ट का दरवाजा खटखटाना चाहिए. उन्होंने कहा कि जिनकी जिंदगी का कोई सहारा या रास्ता नहीं होता उनके लिए कोर्ट होता है.

अरशद मदनी ने कहा कि जिन लोगों के मकान को गिरा दिया गया है वे लोग इतने गरीब हैं कि वह लोअर कोर्ट में भी नहीं लड़ पाते हैं तो सुप्रीम कोर्ट तक कैसे ही जाएंगे. हम हिंदू-मुस्लिम में बिना भेदभाव किए बस उन गरीब और लोगों के लिए सहारा बनना चाहते है, जिनका कोई सहारा नहीं है.

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