Anti Paper Leak Bill: 10 साल की जेल, 1 करोड़ का जुर्माना…’बेलगाम पर लगाम’ लगाने की तैयारी में मोदी सरकार

राजस्थान में बड़े पैमाने पर परीक्षा पेपर लीक एक चुनावी मुद्दा बन गया था, जिसके कारण राज्य सरकार को 'नकल पर नकेल' कसने के लिए एक नया कानून लाना पड़ा.
Anti Paper Leak Bill

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Anti Paper Leak Bill: नकल, पेपर लीक से वे लोग भी बर्बाद हो जाते हैं जो ईमानदारी से स्कूल परीक्षाओं, कॉलेज एंट्रेंस और सरकारी नौकरियों के लिए तैयारी करते हैं, जैसा कि ’12वीं फेल’ फिल्म में दिखाया गया है. अब केंद्र की मोदी सरकार ने ‘नकल पर नकेल’ कसने की तैयारी कर ली है. लोकसभा में सोमवार को ‘एंटी पेपर लीक बिल पेश’ किया गया.

बता दें कि राजस्थान, गुजरात, उत्तर प्रदेश, बिहार और हिमाचल प्रदेश जैसे राज्यों में  पेपर लीक और सरकारी अधिकारियों की मिलीभगत से उत्तर पुस्तिका के साथ छेड़छाड़ से निपटने के लिए संसद में सार्वजनिक परीक्षा (अनुचित साधनों की रोकथाम) विधेयक, 2024 पेश किया गया है. ‘एंटी पेपर लीक बिल’ का उद्देश्य सरकारी भर्ती परीक्षाओं में पेपर लीक और फर्जी वेबसाइटों जैसी गड़बड़ियों को रोकना है. हालांकि, इन राज्यों ने परीक्षा पेपर लीक के खतरे से निपटने के लिए खुद भी कानून लाए, लेकिन मामले में कमी नहीं आई.

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इस बिल में क्या-क्या शामिल है?

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बिल में न्यूनतम तीन से पांच साल की कैद का प्रस्ताव रखा है, हालांकि, संगठित अपराध (Organized crime) के मामलों में आरोपी को 5 से 10 साल की जेल की सजा होगी और 1 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया जाएगा. जिस भी कंपनी ने पेपल के साथ गड़बड़ी की, उसे 4 साल तक सार्वजनिक परीक्षा आयोजित करने से प्रतिबंधित किया जाएगा और भारी जुर्माना भी वसूला जाएगा.

यह विधेयक संघ लोक सेवा आयोग (UPSC), कर्मचारी चयन आयोग (SSC), रेलवे जैसी सभी भर्ती और प्रवेश परीक्षाओं को कवर करेगा. वहीं बैंकिंग भर्ती परीक्षा, कॉमन यूनिवर्सिटी प्रवेश परीक्षा (CUET), राष्ट्रीय पात्रता और प्रवेश परीक्षा (NEET), और संयुक्त प्रवेश परीक्षा (JEE), राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी (NTA) द्वारा आयोजित सभी कंप्यूटर आधारित परीक्षाएं इस विधेयक के दायरे में आएंगी.

संसद में विधेयक पेश करते समय, MoS जितेंद्र सिंह ने कहा, “इसका उद्देश्य सार्वजनिक परीक्षा प्रणालियों (Public Examination Systems) में अधिक पारदर्शिता, निष्पक्षता और विश्वसनीयता लाना है.

परीक्षाओं में पारदर्शिता बढ़ाने की जरूरत

मसौदा विधेयक के अनुसार, सरकार ने भर्ती के साथ-साथ उच्च शिक्षा संस्थानों में प्रवेश के लिए परीक्षाओं में “पारदर्शिता” बढ़ाने के लिए कई सुधार पेश किए हैं. हाल ही में “आपराधिक तत्वों” के कारण कई राज्यों को परीक्षाओं के परिणाम रद्द करने पड़े. यह देखा गया कि कुछ पेपर लीक मामलों में माफिया लोग शामिल थे. इसलिए, सरकार ने इन तत्वों को देश के लाखों महत्वाकांक्षी युवाओं के भविष्य और करियर को खतरे में डालने से रोकने का निर्णय लिया है.

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विधेयक की आवश्यकता क्यों पड़ी?

बता दें कि राजस्थान में बड़े पैमाने पर परीक्षा पेपर लीक एक चुनावी मुद्दा बन गया था, जिसके कारण राज्य सरकार को ‘नकल पर नकेल’ कसने के लिए एक नया कानून लाना पड़ा. जुलाई 2023 में राजस्थान विधानसभा ने सरकारी भर्ती परीक्षा के पेपर लीक में शामिल लोगों की सजा को 10 साल की जेल से बढ़ाकर आजीवन कारावास तक करने के लिए एक विधेयक पारित किया था. इसी तरह, गुजरात और यूपी सरकार भी पिछले साल इस तरह के कृत्य के दोषी पाए जाने वालों के लिए कड़ी सजा और 1 करोड़ रुपये तक के जुर्माने का कानून लेकर आई थीं.

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