बॉर्डर सील, इंटरनेट-SMS बंद, चप्पे-चप्पे पर पहरा… लोकसभा चुनाव से पहले खेती-किसानी की राजनीति!

शुरू से ही इस लोकसभा चुनाव को खेती-किसानी के लिहाज से बेहद ही दिलचस्प माना जा रहा था. इसके पीछे की वजह तीन कृषि कानूनों के खिलाफ 26 दिसंबर 2020 से शुरू होकर 13 महीने तक चला किसान आंदोलन था.
Farmers Protest

Farmers Protest

Farmers Protest: किसानों के ‘दिल्ली चलो’ मार्च से पहले राजधानी में सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं. पुलिस के मुताबिक, सिंघु बॉर्डर (दिल्ली-हरियाणा) के आसपास डायवर्जन रहेगा. पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के किसानों के एक समूह ने अपनी उपज के लिए MSP की गारंटी देने वाले कानून की मांग के लिए 13 फरवरी को मार्च का आह्वान किया है.वहीं किसानों के पिछले आंदोलन से सबक लेते हुए सरकार ने इस बार काफी तैयारियां की हैं.

किसान संघ ने की 10,000 रुपये मासिक पेंशन की मांग

पंजाब किसान मजदूर संघर्ष कमेटी के महासचिव सरवन सिंह पंधेर ने कहा कि वे 13 फरवरी को ब्यास से विरोध प्रदर्शन करेंगे और फतेहगढ़ साहिब में रहेंगे. किसानों की एक मांग 60 साल की उम्र के बाद 10,000 रुपये की मासिक पेंशन है. इस बीच खबर आ रही है कि हरियाणा-पंजाब के किसान संगठन दिल्ली कूच के लिए निकल पड़े हैं. पंजाब के ब्यास से बड़ी संख्या में किसान ट्रैक्टर ट्रालियां लेकर हरियाणा की तरफ निकल गए हैं. ये किसान ब्यास पुल से फतेहगढ़ साहिब के लिए रवाना हुए हैं. जानकारी के मुताबिक, किसान अपने साथ कम से कम 6 महीने का राशन लेकर आ रहे हैं. वहीं किसानों की हरियाणा की सीमा में एंट्री न हो, इसके लिए हरियाणा-पंजाब के हर बॉर्डर पर पुख्ता प्रबंध किए गए हैं.

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हरियाणा में सिरसा बॉर्डर सील, 7 जिलों में इंटरनेट बंद

एमएसपी गारंटी कानून, किसानों के लिए पेंशन और लखीमपुर खीरी हिंसा के पीड़ितों के लिए ‘न्याय’ समेत अन्य मांगों को लेकर किसानों के ‘दिल्ली चलो’ विरोध प्रदर्शन से पहले हरियाणा पुलिस ने सिरसा में सरदूलगढ़ सीमा पर बैरिकेड लगा दिए हैं. वहीं हरियाणा सरकार ने 13 फरवरी रात 11:59 बजे तक अंबाला, कुरुक्षेत्र, कैथल, जींद, हिसार, फतेहाबाद और सिरसा में मोबाइल इंटरनेट सेवाएं, बल्क एसएमएस और मोबाइल नेटवर्क पर दी जाने वाली सभी डोंगल सेवाएं आदि निलंबित कर दी हैं.

वहीं दिल्ली पुलिस ने भी कमर कस ली है. दिल्ली पुलिस ने टिकरी बॉर्डर पर सुरक्षा व्यवस्था बढ़ा दी है और प्रदर्शनकारी किसानों को ले जाने वाले वाहनों को शहर में प्रवेश करने से रोकने के लिए बैरिकेड्स के साथ-साथ कीलें भी लगा दी हैं. पुलिस का कहना है किसानों को राजधानी के बाहर ही रोकने का पूरा प्रबंध है.

किसानों के ‘दिल्ली चलो’ मार्च से पहले, दिल्ली पुलिस ने उत्तर प्रदेश और हरियाणा सीमाओं जैसे टिकरी, सिंघू और गाज़ीपुर सीमाओं पर 1,000 से 1,500 कर्मियों को तैनात किया है. इसके अलावा बॉर्डर पर लोहे के कंटेनर और सीमेंटेड बैरिकेड भी लगाए जा रहे हैं और जरूरत पड़ने पर इनका इस्तेमाल किया जाएगा.

दिल्ली चलो मार्च से पहले किसान संगठन में दो फाड़

बता दें कि संयुक्‍त किसान मोर्चा यानी SKM से जुड़े किसान संगठनों ने लोकसभा चुनाव से पहले किसान आंदोलन की कॉल की है, लेकिन ये पूरी कवायद अलग-अलग आंदोलन के जरिए शक्‍ति परीक्षण की दिखाई दे रही है. इस बीच किसान संगठन कई गुटों में बंटे हुए दिखाई दे रही है, जिसमें SKM और SKM गैर राजनीतिक प्रमुख किसान गुट हैं. हाल ही में पंजाब के कम्‍युनिस्‍ट नेता डॉ दर्शन पाल के संयोजन वाले SKM ने 26 जनवरी को देशभर में किसान ट्रैक्‍टर मार्च का ऐलान किया था तो वहीं  15 फरवरी से देश में ग्रामीण बंद का ऐलान भी कर दिया है. वहीं दूसरी ओर वहीं दूसरी तरफ पंजाब के किसान नेता सरवन सिंह पंधेर और जगजीत सिंह दल्‍लेवाल के बैनर तले SKM गैर राजनीतिक 13 फरवरी को दिल्ली चलो आंदोलन का ऐलान कर चुका है.

इस बीच खरखौदा में भारतीय नौजवान किसान यूनियन के नेता बेद प्रकाश गोपालपुर, प्रदेश महासचिव राज सिंह हलालपुर व जिला कोर कमेटी सदस्य देशपाल दहिया रोहणा ने एक वीडियो जारी करके कहा कि दहिया खाप के कुछ नुमाइंदे ये कह रहे हैं कि 13 तारीख को दहिया दिल्ली नहीं जाएंगे. उन्होंने कहा कि क्यों नहीं जाएंगे बहुत ज्यादा संख्या में ट्रैक्टर व आदमी दिल्ली जाएंगे. जो लोग यह कह रहे हैं कि 13 तारीख को दहिया खाप से कोई नहीं जाएगा, तो वो बीजेपी के एजेंट है. उनकी बातों में कोई दम नहीं उनका कोई स्टैंड नहीं है. हम सभी दहिया खाप के आदमी तन मन धन से अपने पंजाब के किसान भाइयों का दिल खोलकर साथ देंगे.

लोकसभा चुनाव से पहले खेती-किसानी की राजनीति

लोकसभा चुनाव 2024 की तैयारियां शुरू हो गई हैं. शुरू से ही इस लोकसभा चुनाव को खेती-किसानी के लिहाज से बेहद ही दिलचस्प माना जा रहा था. इसके पीछे की वजह तीन कृषि कानूनों के खिलाफ 26 दिसंबर 2020 से शुरू होकर 13 महीने तक चला किसान आंदोलन था. देश के 30 से अधिक किसान संगठनों के संयुक्‍त बैनर संयुक्त किसान मोर्चा यानी SKM के बैनर तले हुए इस किसान आंदोलन को खत्म करने के लिए केंद्र सरकार को तीनों कानूनों को वापस लेना पड़ा था, लेकिन इसके बाद भी किसान आंदोलन की तासीर गर्म रही थी. मसलन, MSP गारंटी कानून बनाने, किसान कर्ज माफी जैसे कई मुद्दों को लेकर SKM एक्टिव रहा.

 

 

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