कब मिडिल इनकम के जाल से बाहर निकलेगा भारत? वर्ल्ड बैंक ने कर दी चौंकाने वाली भविष्यवाणी

विश्व बैंक के मुख्य अर्थशास्त्री इंदरमीत गिल ने कहा कि वैश्विक आर्थिक समृद्धि की लड़ाई में मध्यम आय वाले देशों को कर-या-कर-तोड़ वाली स्थिति का सामना करना पड़ेगा.
World Bank Report

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World Bank Report: वर्ल्ड बैंक ने मिडिल इनकम वाले देशों के बारे में एक चौंकाने वाली भविष्यवाणी की है. ‘विश्व विकास रिपोर्ट 2024: द मिडिल इनकम ट्रैप’ के अनुसार, भारत को अमेरिका की प्रति व्यक्ति आय (US per capita income) का एक-चौथाई भी हासिल करने में 75 साल लग सकते हैं. वहीं चीन को अमेरिका की प्रति व्यक्ति आय के एक-चौथाई तक पहुंचने में 10 साल से अधिक का समय लगेगा. रिपोर्ट के अनुसार, इंडोनेशिया 70 वर्षों में भारत से अधिक तेजी से इस टारगेट को अचीव कर सकता है.

मिडिल इनकम का जाल

विश्व बैंक की रिपोर्ट में कहा गया है कि 2023 के अंत तक 108 देशों को मध्यम आय वर्ग (Middle-income category) में रखा गया है, जिनकी वार्षिक प्रति व्यक्ति जीडीपी (Annual per capita GDP) 1,136-13,845 डॉलर है. इन देशों में 6 बिलियन लोगों के साथ दुनिया की 75 प्रतिशत आबादी बसती है. रिपोर्ट के अनुसार, इन देशों में लगभग 3 में से 2 लोग अत्यधिक गरीबी में रहते हैं.

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क्या है मिडिल इनकम का जाल, कैसे इससे बच सकता है देश?

विश्व विकास रिपोर्ट, विकासशील देशों को उच्च आय का दर्जा हासिल करने में मदद करने के लिए एक रोडमैप तैयार करती है. विश्व बैंक ने मिडिल इनकम के जाल के बारे में विस्तार से बताया है, जिसमें किसी देश की प्रति व्यक्ति आय प्रति व्यक्ति जीडीपी के 10 प्रतिशत, लगभग 8,000 डॉलर पर बंद हो जाती है. रिपोर्ट में कहा गया है कि ऐसा तब होता है जब देश अमीर बनते हैं. 8,000 डॉलर का आंकड़ा विश्व बैंक द्वारा निर्धारित मध्यम आय सीमा के मिडिल में है.

नई समस्याएं, पुराने समाधान

विश्व बैंक ने कहा कि इनमें से कई मध्यम आय वाले देशों को आगे बढ़ने में कई तरह की बाधाओं का सामना करना पड़ रहा है. इनमें लोगों के तेजी से बढ़ती उम्र, बढ़ता कर्ज, राजनीति और व्यापार से जुड़े तनाव और विकास-पर्यावरण सुरक्षा शामिल हैं.

हालांकि, रिपोर्ट में कहा गया है कि ये देश निवेश बढ़ाने के लिए पिछली सदी के समाधानों को अपनाना जारी रख रहे हैं. अब समय है कि ये देश अपनी हाई स्पीड कार को पहले गियर में न चलाकर टॉप गेयर में चलाएं.  यानी की नए समाधान खोजने की जरूरत है, क्योंकि समस्याएं अब नई हैं और समाधान पुराने.

विकास का खाका

विश्व बैंक के मुख्य अर्थशास्त्री इंदरमीत गिल ने कहा कि वैश्विक आर्थिक समृद्धि की लड़ाई में मध्यम आय वाले देशों को कर-या-कर-तोड़ वाली स्थिति का सामना करना पड़ेगा. गिल ने कहा कि इन देशों को जनसांख्यिकी, पारिस्थितिकी और राजनीति की चुनौतियों का सामना करने के लिए पूंजी जुटाने के लिए नए दृष्टिकोण की आवश्यकता है.

चुनौती के बारे में गिल ने बताया कि 1990 के बाद से केवल 34 देश ही मध्यम आय की स्थिति से उच्च आय की स्थिति में आए हैं. जो भी देश इस जाल से बाहर आए हैं, या तो 27 देशों के यूरोपीय संघ के साथ एकीकरण के माध्यम से या तेल भंडार की खोज के माध्यम से.

 

 

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