कौन हैं चंपई सोरेन, जो बनेंगे सीएम? जानें ‘झारखंड टाइगर’ की कहानी

Who Is Champai Soren: झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन ने गिरफ्तार किए जाने की आशंका के बीच आज इस्तीफा दे दिया. झामुमो सरकार में वरिष्ठ कैबिनेट मंत्री चंपई सोरेन को विधायक दल का नेता चुना गया है और उन्हें सीएम पद के लिए नामित किया गया है.
चंपई सोरेन ( फोटो- PTI)

चंपई सोरेन ( फोटो- PTI)

Who Is Champai Soren: झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन ने आज इस्तीफा दे दिया. ED के अधिकारियों ने कई घंटों के पूछताछ के बाद उन्हें गिरफ्तार कर लिया. इस बीच झामुमो सरकार में वरिष्ठ कैबिनेट मंत्री चंपई सोरेन को विधायक दल का नेता चुना गया है और उन्हें सीएम पद के लिए नामित किया गया है. कल रात हुई बैठक में सोरेन सरकार का समर्थन करने वाले विधायकों ने दो कोरे कागजों पर हस्ताक्षर किए, एक पर हेमंत की पत्नी कल्पना सोरेन और दूसरे पर चंपई सोरेन का नाम था. अब विधायक दल का नेता चुने जाने के बाद सीएम पद के लिए चंपई सोरेन का नाम फाइनल हो गया है.

कौन हैं चंपई सोरेन?

चंपई सोरेन हेमंत सोरेन के नेतृत्व वाली झारखंड सरकार में वरिष्ठ मंत्री हैं. चंपई सोरेन सरायकेला-खरसावां जिले के जिलिंगगोड़ा गांव के किसान सिमल सोरेन के सबसे बड़े बेटे हैं. चंपई सोरेन ने भी अपने पिता के साथ उनके खेतों में काम किया है. उन्होंने 10वीं कक्षा तक की शिक्षा सरकारी स्कूल से प्राप्त की. इस दौरान उनकी कम उम्र में शादी हो गई और उनके चार बेटे और तीन बेटियां हुईं.

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झारखंड आंदोलन में सक्रिय रहे सोरेन 

जब 90 के दशक में अलग झारखंड राज्य की मांग उठी, तो शिबू सोरेन के साथ चंपई ने झारखंड आंदोलन में सक्रिय रूप से भाग लिया और जल्द ही ‘झारखंड टाइगर’ के रूप में प्रसिद्धि प्राप्त की. इसके बाद, चंपई सोरेन ने अपनी सरायकेला सीट पर उपचुनाव के माध्यम से एक स्वतंत्र विधायक बनकर अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत की. बाद में वह झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) में शामिल हो गए.

बीजेपी नेता अर्जुन मुंडा के नेतृत्व वाली सरकार में चंपई सोरेन को कैबिनेट मंत्री बनाया गया. इस अवधि के दौरान उनके पास महत्वपूर्ण मंत्रालय थे. चंपई 11 सितंबर 2010 से 18 जनवरी 2013 तक मंत्री रहे. उसके बाद राष्ट्रपति शासन लगा और फिर हेमंत सोरेन के नेतृत्व में चंपई सोरेन झारखंड में खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति और परिवहन मंत्री बने.

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निर्दलीय विधायक के तौर पर पहली बार जीते चुनाव

चंपई 1991 में पहली बार सरायकेला विधानसभा क्षेत्र से बतौर निर्दलीय चुनाव लड़े और सिंह भूमि के तत्कालीन सांसद कृष्णा मार्डी की पत्नी मोती मार्डी को हरा दिया.  सन 2000 में बीजेपी की लहर में उन्होंने अपनी सीट गंवा दी. इसके बाद जीत का गोल दागते रहे और झारखंड सरकार में तीन बार मंत्री रहे.

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