हिंडनबर्ग का सबसे बड़ा निवेशक, कौन हैं George Soros, जिन्हें लेकर कांग्रेस पर हमलावर रहती है बीजेपी?
Who is George Soros: हिंडनबर्ग रिसर्च एक बार फिर से सुर्खियों में है. इस बार अमेरिकी शॉर्ट शेलर कंपनी ने SEBI चीफ माधबी पुरी बुच के कंधों पर बंदूक रखकर अडानी ग्रुप पर निशाना साधा है. लिहाजा अब एक बार फिर से कांग्रेस ने इसे मुद्दा बना लिया है. राहुल गांधी ने तो सेबी चीफ से इस्तीफे की मांग कर दी है. वहीं कांग्रेस को जवाब देने में बीजेपी भी कहां पीछे रहने वाली है.
बीजेपी ने कहा कि कांग्रेस विदेशी ताकतों के साथ मिलकर भारत की अर्थव्यवस्था को अस्थिर करने का साजिश रच रही है. जब से हिंडनबर्ग सुर्खियों में आया है, उसके बाद एक शख्स का नाम भी सामने आ रहा है. बीजेपी सांसद रविशंकर प्रसाद ने भी कहा है कि भारत के जाने-माने आलोचक बिजनेस मैग्नेट जॉर्ज सोरोस हिंडनबर्ग में एक बड़े निवेशक हैं.
पहले भी कांग्रेस से जुड़ चुका है सोरोस का नाम
यह पहली बार नहीं है जब भाजपा ने जॉर्ज सोरोस को कांग्रेस से जोड़ने का प्रयास किया है. पिछले साल जून में पूर्व केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने राहुल गांधी पर सोरोस के साथ संबंध होने का आरोप लगाया था. उन्होंने यहां तक कहा था कि राहुल गांधी की सोरोस से मुलाकात हुई है. ऐसे में आपके मन में ये सवाल जरूर उठ रहा होगा कि आखिर ये जॉर्ज सोरोस हैं कौन? तो आइये आज विस्तार से बताते हैं.
जॉर्ज सोरोस कौन हैं?
जॉर्ज सोरोस हंगेरियन-अमेरिकी व्यवसायी और निवेशक हैं. उनकी कुल संपत्ति 6.7 बिलियन डॉलर है और उन्होंने ओपन सोसाइटी फ़ाउंडेशन को 32 बिलियन डॉलर से ज्यादा का योगदान दिया है, जिसमें से 15 बिलियन डॉलर पहले ही वितरित किए जा चुके हैं. फोर्ब्स सोरोस को सबसे उदार दाता भी मानता है.
यहूदी परिवार में जन्मे सोरोस हंगरी के नाज़ी कब्जे से बच निकले और 1947 में यूके चले गए. उन्होंने लंदन स्कूल ऑफ़ इकोनॉमिक्स में अपनी पढ़ाई पूरी की. सोरोस ने 1969 में अपना पहला हेज फ़ंड, डबल ईगल लॉन्च करने से पहले ब्रिटेन और अमेरिका में मर्चेंट बैंकों में अपनी पेशेवर यात्रा शुरू की. इस फ़ंड की सफलता ने उन्हें 1970 में अपना दूसरा हेज फंड, सोरोस फंड मैनेजमेंट स्थापित करने में मदद की.
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पीएम मोदी के आलोचक हैं सोरोस
फरवरी 2023 में म्यूनिख सुरक्षा सम्मेलन से पहले जॉर्ज सोरोस ने हिंडनबर्ग रिसर्च रिपोर्ट के बाद अडानी समूह की कंपनियों के शेयर बेचने पर बात की. उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आलोचना करते हुए कहा था कि वे लोकतंत्रवादी नहीं हैं. जॉर्ज सोरोस ने जलवायु परिवर्तन, रूस-यूक्रेन युद्ध, अमेरिका में सामाजिक तनाव, तुर्की में भूकंप और चीन में कम्युनिस्ट पार्टी के पतन सहित कई विषयों पर बात की. उन्होंने खुले और बंद समाजों पर अपनी चर्चा के बाद भाषण में भारत का जिक्र किया.