कौन हैं Sarwan Singh Pandher? जिनकी एक आवाज पर दिल्ली बॉर्डर पर इकट्ठा हो गए हजारों किसान

इस बार कथित तौर पर सरवन सिंह पंढेर ((Sarvan Singh Pandher)  नाम का एक शख्स 'मार्च टू दिल्ली' का नेतृत्व कर रहा है. किसान मजदूर संघर्ष समिति के महासचिव पंढेर पंजाब के अमृतसर के रहने वाले बताए जाते हैं.
Sarwan Singh Pandher

सरवन सिंह पंढेर

Farmer Protest 2.0: हरियाणा, पंजाब और उत्तर प्रदेश के किसान MSP की गारंटी का कानून बनाने और लखीमपुर में मारे गए किसानों के लिए मुआवजे सहित अपनी कई मांगों के लिए केंद्र पर दबाव बनाने के लिए दिल्ली की सीमाओं पर इकट्ठा हो रहे हैं. इस बार किसानों का कहना है कि जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं हो जातीं, वे दिल्ली से वापस नहीं लौटेंगे. आज किसान आंदोलन का दूसरा दिन है. बॉर्डर पर जवानों और किसानों का पहरा है.

‘मार्च टू दिल्ली’ के नेता सरवन सिंह पंढेर

इस बार कथित तौर पर सरवन सिंह पंढेर नाम का एक शख्स ‘मार्च टू दिल्ली’ का नेतृत्व कर रहा है. किसान मजदूर संघर्ष समिति के महासचिव पंढेर पंजाब के अमृतसर के रहने वाले बताए जाते हैं. 2007 में किसान नेता सतनाम सिंह पन्नू ने किसान संघर्ष समिति से अलग होकर अपना समूह किसान मजदूर संघर्ष समिति बना लिया, जिसके नेता अब सरवन सिंह पंढेर हैं.

सरवन सिंह पंधेर ने मंगलवार को ANI को बताया, “हमने कल की 5 घंटे की बैठक में सरकार के साथ किसी भी टकराव से बचने और मुद्दों को सुलझाने की पूरी कोशिश की. हम बैठक को लेकर सकारात्मक थे और 5 घंटे तक वहां बैठे रहे. सरकार हरियाणा में किसानों के साथ गलत व्यवहार कर रही है और गांवों में वॉटर कैनन भेज रही है और किसानों को धमकी दे रही है.”

बता दें कि किसान मजदूर संघर्ष समिति लगभग 13 साल पुराना है. ये आमतौर पर अमृतसर क्षेत्र में काम करता है और पंजाब के 7-8 जिलों में किसानों और मजदूरों के बीच प्रभाव रखता है. इससे पहले, समूह भारतीय किसान यूनियन-उग्राहां के साथ जुड़ा हुआ था.

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छात्र जीवन से ही आंदोलन में भाग लेते रहे हैं सरवन सिंह

जानकारी के मुताबिक, किसान आंदोलन 2.0 की प्लानिंग करने वाले किसान नेता सरवन सिंह पंढेर पंजाब के अमृतसर के पंर गांव के मूल निवासी हैं. पंढेर 2020 के किसान आंदोलन में भी सक्रिय थे. हालांकि, वो इस बार लीडर के तौर पर उभरे हैं.  पंढेर ने साल 2007 में किसान संघर्ष कमेटी से अलग हुए और फिर सतनाम सिंह पन्नू ने किसान मजदूर संघर्ष कमेटी का गठन किया. पंढेर हमेशा ही किसान हितों के लिए मुखर रहे हैं.

रिपोर्टों से पता चलता है कि पंधेर ने 10वीं कक्षा तक पढ़ाई की थी. उन्होंने कई छात्र आंदोलनों में भाग भी लिया है. सरवन सिंह ने हमेशा किसानों के मुद्दों पर समर्थन जताया और वह एक समय अकाली दल नेता बिक्रम सिंह मजीठिया के करीबी थे. उनके पास कम से कम 1.5 एकड़ जमीन है.

किसान आंदोलन 2.0, 2020 के विरोध से कैसे अलग?

किसान अब क्यों विरोध कर रहे हैं:

2020 में किसानों ने उन तीन कानूनों का विरोध किया, जिन्हें दिल्ली की सीमाओं पर उनके एक साल के विरोध के बाद 2021 में निरस्त कर दिया गया था.

सभी फसलों के लिए MSP की कानूनी गारंटी, स्वामीनाथन आयोग के फॉर्मूले को लागू करने, किसानों के लिए पूर्ण कर्ज माफी, किसानों और मजदूरों के लिए पेंशन, 2020-21 के विरोध के दौरान किसानों के खिलाफ मामलों को वापस लेने की मांग करते हुए दिसंबर 2023 में ‘दिल्ली चलो’ की घोषणा की गई थी.

विरोध का नेतृत्व कौन कर रहा है?

किसान विरोध 2.0 का नेतृत्व विभिन्न यूनियनों द्वारा किया जा रहा है क्योंकि पिछले कुछ वर्षों में किसान यूनियनों का परिदृश्य बदल गया है. संयुक्त किसान मोर्चा (गैर राजनीतिक) और किसान मजदूर मोर्चा ने दिल्ली चलो 2.0 का ऐलान किया है.

राकेश टिकैत, गुरनाम सिंह चारुनी दिल्ली चलो 2.0 का हिस्सा नहीं

किसानों के 2020 के विरोध के दो प्रमुख नेता राकेश टिकैत और गुरनाम सिंह चारुनी थे. लेकिन वे इस बार कहीं नज़र नहीं आ रहे हैं . एसकेएम (गैर-राजनीतिक) के नेता जगजीत सिंह दल्लेवाल और किसान मजदूर मोर्चा (केएमएम) के महासचिव सरवन सिंह पंढेर अब सबसे आगे हैं.

किसानों के लिए बॉर्डर पर नाकेबंदी

साल 2020 में किसान राष्ट्रीय राजधानी पहुंच गए थे. लेकिन इस बार प्रशासन ने सख्त एहतियाती कदम उठाए हैं. कंटीले तार, सीमेंट बैरिकेड, सड़कों पर कीलें लगाई गई हैं. वहीं राजधानी में धारा 144 लागू कर दी गई है. हरियाणा सरकार ने पंजाब से लगी अपनी सीमाएं सील कर दीं हैं.

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