किंग ऑफ जाट, किसानों के मसीहा और अब भारत रत्न…जानें कौन थे चौधरी चरण सिंह
Bharat Ratna: पीएम मोदी ने शुक्रवार को घोषणा की कि पूर्व पीएम चौधरी चरण सिंह को भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘भारत रत्न’ से सम्मानित किया जाएगा. चरण सिंह के अलावा पूर्व प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव और कृषि वैज्ञानिक एमएस स्वामीनाथन को भी शीर्ष सम्मान से सम्मानित किया जाएगा.
किसानों लिए किया जीवन समर्पित
पीएम मोदी ने एक एक्स पोस्ट में लिखा, “हम सौभाग्यशाली हैं कि पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह को भारत रत्न से सम्मानित होते देखा. यह सम्मान देश के प्रति उनके योगदान को समर्पित है. उन्होंने अपना पूरा जीवन किसानों के अधिकारों और उनके कल्याण के लिए समर्पित कर दिया.पीएम मोदी ने आगे कहा कि उन्होंने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री, केंद्रीय गृह मंत्री और यहां तक कि एक विधायक के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान हमेशा राष्ट्र निर्माण में तेजी लाई. उन्होंने आपातकाल के खिलाफ लड़ाई लड़ी. किसानों के प्रति उनका समर्पण और लोकतंत्र के प्रति प्रतिबद्धता हम सभी के लिए प्रेरणा है.”
चौधरी चरण सिंह कौन थे?
चौधरी चरण सिंह का जन्म 1902 में मेरठ में एक मध्यम वर्गीय किसान परिवार में हुआ था. आगरा विश्वविद्यालय में उन्होंने कानून की पढ़ाई की और गाजियाबाद में अभ्यास करना शुरू किया. 1929 में वे मेरठ आ गये. सिंह ने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत कांग्रेस से की थी. वह पहली बार 1937 में छपरौली से उत्तर प्रदेश विधानसभा के लिए चुने गए, और बाद में 1946, 1952, 1962 और 1967 में फिर से चुने गए.
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1967 में छोड़ी कांग्रेस
चौधरी चरण सिंह को 1946 में गोविंद बल्लभ पंत की सरकार में संसदीय सचिव के रूप में नियुक्त किया गया था. 1951 में न्याय और सूचना के लिए कैबिनेट मंत्री नियुक्त होने से पहले उन्होंने कई विभागों में काम किया. साल 1967 में उन्होंने कांग्रेस छोड़ दी और संयुक्त विधायक दल गठबंधन के नेता के रूप में चुने जाने के बाद पहली बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने.फिर साल 1970 में वह दूसरी बार मुख्यमंत्री बने.
पीएम पद से देना पड़ा था इस्तीफा
बता दें कि 1979 में जनसंघ द्वारा 18 महीने पुरानी मोरारजी देसाई के नेतृत्व वाली जनता पार्टी सरकार से समर्थन वापस लेने के बाद. कांग्रेस ने चौधरी चरण सिंह को समर्थन देने का फैसला किया. जिन्होंने 28 जुलाई, 1979 को पीएम पद की शपथ ली थी. लेकिन इससे पहले कि वह लोकसभा में अपना बहुमत साबित कर पाते, इंदिरा गांधी ने उनकी सरकार से समर्थन वापस ले लिया और चरण सिंह ने इस्तीफा दे दिया. वे 14 जनवरी 1980 तक कार्यवाहक प्रधानमंत्री बने रहे.