नेहरू-गांधी परिवार के बाहर के पहले कांग्रेसी जो बने देश के प्रधानमंत्री, जानें कौन थे पीवी नरसिम्हा राव
PV Narasimha Rao: पूर्व पीएम पीवी नरसिम्हा राव को मरणोपरांत भारत के सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार भारत रत्न से सम्मानित किया गया है. कांग्रेस के दिग्गज नेता को अक्सर 1991 में भारत में आर्थिक सुधार लाने का श्रेय दिया जाता है. पुरस्कार की घोषणा करते हुए पीएम मोदी ने एक्स पोस्ट में लिखा, “यह बताते हुए खुशी हो रही है कि हमारे पूर्व प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव को भारत रत्न से सम्मानित किया जाएगा. एक प्रतिष्ठित विद्वान और राजनेता के रूप में नरसिम्हा राव ने बड़े पैमाने पर भारत की सेवा की. आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री, केंद्रीय मंत्री और कई वर्षों तक संसद और विधानसभा के सदस्य के रूप में उनके द्वारा किए गए कार्यों के लिए भी उतना ही याद किया जाता है. उनका दूरदर्शी नेतृत्व भारत को आर्थिक रूप से उन्नत बनाने, देश की समृद्धि और विकास के लिए एक ठोस नींव रखने में सहायक था.”
पीवी नरसिम्हा राव कौन थे?
पामुलपर्थी वेंकट नरसिम्हा राव पेशे से वकील और अविभाजित आंध्र प्रदेश के कद्दावर कांग्रेस नेता थे. बाद में वो देश के 9वें पीएम बने. उन्होंने 1991 से 1996 के बीच देश पर शासन किया. 1991 में जब भारत आर्थिक संकट संकट का सामना कर रहा था, नरसिम्हा राव की सरकार ने तीन बड़े आर्थिक सुधार किए. इसमें वैश्वीकरण, उदारीकरण और निजीकरण शामिल है. पीवी नरसिम्हा राव दक्षिण भारत से भारत के प्रधानमंत्री बनने वाले पहले व्यक्ति थे.
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तेलुगु नियोगी ब्राह्मण परिवार में हुआ था जन्म
उनका जन्म वारंगल के नरसंपेट मंडल के लक्नेपल्ली गांव में एक तेलुगु नियोगी ब्राह्मण परिवार में हुआ था. यह जिला वर्तमान में तेलंगाना में है.वह 1957 में पहली बार विधायक चुने गये. 1971 तक उन्होंने राज्य सरकार में कई मंत्री पद संभाले. वह 1971 में आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री बने. उन्हें इंदिरा गांधी के वफादार के रूप में जाना जाता था. 1969 में जब कांग्रेस दो भागों में विभाजित हो गई तो उन्होंने उनका समर्थन किया. राव ने आंध्र प्रदेश से संसद सदस्य के रूप में भी कार्य किया और केंद्रीय मंत्री के रूप में गृह, रक्षा और विदेश मामलों के विभागों को संभाला.
पीवी नरसिम्हा राव ने तोड़ीं कई परंपराएं
बता दें कि साल 1991 में वे लगभग रिटायर हो चुके थे. हालांकि, कांग्रेस प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या के बाद वह सक्रिय राजनीति में वापस आ गए. वह नेहरू-गांधी परिवार के बाहर के पहले कांग्रेसी पीएम भी थे. प्रधानमंत्री के रूप में उन्होंने कई परंपराएं तोड़ीं. उन्होंने अर्थशास्त्री मनमोहन सिंह को अपना वित्त मंत्री नियुक्त किया. दोनों ने मिलकर आर्थिक सुधार लाया. भाजपा का दावा है कि कांग्रेस ने नरसिम्हा राव का उनके जीवनकाल में और उनकी मृत्यु के बाद भी अपमान किया.