कौन थे कांग्रेस के सबसे बड़े ‘राजदार’ नटवर सिंह? मैडम सोनिया को भी इस बात के लिए मांगनी पड़ी थी माफी
Natwar Singh Dies: पूर्व विदेश मंत्री के नटवर सिंह का लंबी बीमारी के बाद शनिवार को 93 साल की उम्र में निधन हो गया. कांग्रेस के दिग्गज नेता का निधन दिल्ली के पास गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल में हुआ, जहां पिछले कुछ हफ्तों से उनका इलाज चल रहा था. उनके परिवार के लोगों ने ही उनकी मौत की पुष्टि की है. के नटवर सिंह कांग्रेस के दिग्गज नेता थे. कथित तौर पर नटवर सिंह ने ही राजीव गांधी और सोनिया गांधी की शादी की खबर सबसे पहले इंदिरा गांधी को दी थी. लेकिन एक समय ऐसा भी आया जब वह कांग्रेस के बागी हो गए.
कौन थे नटवर सिंह?
के नटवर सिंह का जन्म 1931 में राजस्थान के भरतपुर जिले में हुआ था. उन्होंने दिल्ली के सेंट स्टीफंस कॉलेज में इतिहास की पढ़ाई की और बाद में यूके के कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय और चीन के पेकिंग विश्वविद्यालय गए. नटवर सिंह 1953 में 22 वर्ष की आयु में ही भारतीय विदेश सेवा (IFS) में शामिल हुए. इसके बाद उन्होंने यूके में भारत के उप उच्चायुक्त (1973-77), जाम्बिया में उच्चायुक्त (1977) और पाकिस्तान में राजदूत (1980-82) के रूप में कार्य किया. वह 1980 के दशक की शुरुआत में राजनीति में शामिल हुए और 1984 में भरतपुर से सांसद चुने गए. उन्होंने 1985-1989 तक प्रधानमंत्री राजीव गांधी के साथ इस्पात, खान और कोयला, और कृषि राज्य मंत्री के रूप में कार्य किया. उन्होंने मनमोहन सिंह सरकार में भी 2004 से 2005 तक भारत के विदेश मंत्री के रूप में कार्य किया.
तेल के बदले अनाज घोटाले में आया था नाम
के नटवर सिंह को 1984 में भारत के तीसरे सबसे बड़े नागरिक पुरस्कार पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था. बाद में नटवर सिंह को 1983 में गुटनिरपेक्ष आंदोलन में उनकी भूमिका के लिए दूसरे सबसे बड़े नागरिक पुरस्कार पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया.’तेल के बदले अनाज’ घोटाले से संबंधित आरोपों के बाद नटवर सिंह ने 2006 में विदेश मंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया था. इस घोटाले में इराक संयुक्त राष्ट्र की निगरानी में अनाज के लिए तेल बेच रहा था. लेकिन कुछ लोगों ने कथित तौर पर इस कार्यक्रम का निजी लाभ के लिए इस्तेमाल किया. नटवर सिंह का नाम एक रिपोर्ट में उन लोगों में से एक के रूप में लिया गया था, लेकिन उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस पार्टी को दोषमुक्त करने के लिए उन्हें बलि का बकरा बनाया गया था. उन्होंने 25 साल के जुड़ाव के बाद 2008 में पार्टी छोड़ दी और बाद में 2014 में अपनी आत्मकथा, ‘वन लाइफ इज़ नॉट इनफ’ लिखी.
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इंदिरा गांधी के करीबी रहे नटवर सिंह
बता दें कि नटवर सिंह की राजनीति में एंट्री इंदिरा गांधी ने ही कराई थी. धीरे-धीरे वह कांग्रेस पार्टी के सबसे बड़े ‘राजदार’ भी बन गए. राजनीति के जानकारों का कहना है कि के नटवर सिंह जवाहर लाल नेहरू के साथ नाश्ता किया करते थे. जब सोनिया गांधी राजनीति में आईं तो उन्हें भी ‘बड़ी नेत्री’ बनाने की जिम्मेदारी नटवर के कंधों पर दी गई. वहीं जब सोनिया के खिलाफ पार्टी में बगावत हुई तो भी उन्होंने ही इस स्थिति से पार्टी को उबारा.
लेकिन समय का खेल कहें या राजनीति…जिस मनमोहन सरकार में के नटवर सिंह विदेश मंत्री बने. उन्हें उसी सरकार से बाहर का भी रास्ता दिखा दिया गया. इसके बाद के नटवर सिंह बागी हो गए. अपनी किताब ‘वन लाइफ इज़ नॉट इनफ’ में के नटवर सिंह ने जिक्र किया है कि किताब आने से ठीक 2 महीने पहले प्रियंका गांधी और राहुल गांधी ने घर आकर माफी मांगी थी.
सोनिया गांधी ने मांगी थी माफी
एक मीडिया इंटरव्यू में के नटवर सिंह ने कहा था, “जब मैं अपनी आत्मकथा लिखने जा रहा था, तो प्रियंका गांधी ने मुझे फोन किया. उन्होंने मुझसे मिलने का वक्त मांगा. इसके बाद मैंने उन्हें 7 दिन बाद मिलने का वक्त दिया. जब एक हफ्ते बाद प्रियंका गांधी से मैं मिला तो हम दोनों की एक कमरे में बातचीत हो रही थी. प्रियंका ने कहा कि मेरी मां ने मुझे आपके पास भेजा है. इतने में ही वहां सोनिया गांधी भी आ जाती हैं. उन्होंने मुझसे पूछा कि क्या आप 2004 की घटना के बारे में कुछ लिखेंगे. नटवर सिंह ने कहा था कि इस प्रश्न के बाद मैं हैरान हो गया था.
नटवर सिंह ने कहा कि मैंने सोनिया गांधी को भरोसा दिया. नटवर सिंह ने इंटरव्यू में कहा था कि मैंने मैडम सोनिया को भरोसा दिया कि वह कोई भी घटिया बात किताब में नहीं लिखेंगे. हालांकि, नटवर सिंह ने सोनिया गांधी से कहा कि मैडम आपने मेरे साथ अच्छा नहीं किया. इस पर सोनिया गांधी कहती हैं कि जो भी हुआ मुझे मालूम नहीं था. फिर नटवर सिंह ने कहा कि मैडम आपके बिना तो कांग्रेस में एक पत्ता भी नहीं हिलता. इसके बाद सोनिया गांधी ने मुझसे माफी मांगी.