Akhilesh Yadav ने महाकुंभ में क्यों लगाई 11 डुबकी? खुद बताई वजह

अखिलेश यादव ने कहा, "11 डुबकी सबसे शुभ मानी जाती हैं और इससे पुण्य प्राप्त होता है. आज मुझे यह अवसर मिला और मैं इसे लेकर बहुत खुश हूं."
Akhilesh Yadav

अखिलेश यादव

Akhilesh Yadav: समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने आज प्रयागराज में महाकुंभ के अवसर पर संगम में आस्था की डुबकी लगाई. उन्होंने 11 डुबकी लगाकर अपनी श्रद्धा व्यक्त की. इस दौरान उन्होंने मीडिया से खास बातचीत करते हुए कई मुद्दों पर अपने विचार साझा किए.

गणतंत्र दिवस के दिन महाकुंभ में शामिल होने को लेकर अखिलेश यादव ने कहा कि इस पवित्र अवसर पर उनकी यही कामना है कि देश में सौहार्द, सद्भावना और समाज की सहनशीलता बनी रहे.

11 डुबकी लगाने का महत्व

जब अखिलेश यादव से 11 डुबकी लगाने के पीछे उनकी मनोकामना पूछी गई, तो उन्होंने बताया कि उन्हें एक प्रतिष्ठित साधु-संत से जानकारी मिली थी कि 11 डुबकी का विशेष महत्व होता है. उन्होंने कहा, “11 डुबकी सबसे शुभ मानी जाती हैं और इससे पुण्य प्राप्त होता है. आज मुझे यह अवसर मिला और मैं इसे लेकर बहुत खुश हूं.”

महाकुंभ की व्यवस्थाओं पर सवाल और जवाब

महाकुंभ की व्यवस्था को लेकर अखिलेश यादव ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर सवाल उठाए थे. इस पर उन्होंने कहा कि विपक्ष की जिम्मेदारी होती है कि जहां कमी हो, उसे सरकार तक पहुंचाए. उन्होंने यह भी कहा कि उनकी टिप्पणी के बाद व्यवस्थाओं में तेजी से सुधार हुआ. हालांकि, उन्होंने यह भी जोड़ा कि इतने बड़े आयोजन में कुछ न कुछ कमियां हमेशा रहती हैं, लेकिन लोग यहां अपनी आस्था के कारण आते हैं, न कि किसी निमंत्रण या प्रचार के जरिए.

महाकुंभ और गंगा मां का बुलावा

अखिलेश यादव से जब पूछा गया कि क्या उन्हें मां गंगा ने बुलाया, तो उन्होंने कहा, “यह मेरी पहली बार की यात्रा नहीं है. मैं पहले भी कुंभ में आ चुका हूं. जब हमारी सरकार थी, तब भी हमने कुंभ का आयोजन किया था. उस समय हार्वर्ड यूनिवर्सिटी ने हमारी व्यवस्थाओं पर अध्ययन किया था और कई नई चीजें पहली बार लागू की गई थीं.”

कुंभ और महाकुंभ में अंतर

महाकुंभ और कुंभ के बीच की व्यवस्थाओं और भीड़ में अंतर के सवाल पर अखिलेश यादव ने कहा कि कुंभ 12 साल में होता है और हर बार भारी संख्या में श्रद्धालु आते हैं. उन्होंने कहा कि समय के साथ आबादी बढ़ी है, इसलिए इस बार भी भीड़ ज्यादा हो सकती है. लेकिन, सरकार द्वारा प्रस्तुत आंकड़ों की सटीकता पर उन्होंने सवाल उठाते हुए कहा कि काउंटिंग की मेथडोलॉजी पर ध्यान देने की जरूरत है.

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