यूपी, बिहार, महाराष्ट्र के मुसलमान शांत, फिर बंगाल में बवाल क्यों? जानिए क्या है पूरा माजरा
वक्फ कानून को लेकर बंगाल में बवाल
Bengal Violence: पश्चिम बंगाल का मुर्शिदाबाद इन दिनों सुर्खियों में है. वजह है हिंसा की आग. वक्फ (संशोधन) कानून 2025 के खिलाफ शुरू हुआ विरोध अब हिंसक प्रदर्शनों का रूप ले चुका है. सड़कों पर हंगामा, जलते वाहन, पलायन करते परिवार और तीन लोगों की दुखद मृत्यु. यह सब क्या कहता है? आखिर बंगाल में ही यह बवाल क्यों? यूपी, बिहार, महाराष्ट्र के मुसलमान शांत क्यों हैं?
वक्फ कानून आखिर है क्या?
वक्फ कानून भारत में मुस्लिम समुदाय की उन संपत्तियों से जुड़ा है, जो धर्मार्थ, सामाजिक या धार्मिक उद्देश्यों के लिए दान की जाती हैं. ‘वक्फ’ शब्द का अर्थ है किसी संपत्ति को हमेशा के लिए अल्लाह की सेवा में समर्पित करना. ऐसी संपत्तियां, जैसे मस्जिद, मदरसा, कब्रिस्तान, अनाथालय या दानखाने, वक्फ बोर्ड के तहत संचालित होती हैं. भारत में इसे वक्फ अधिनियम, 1995 के तहत नियंत्रित किया जाता रहा है, जिसे समय-समय पर संशोधित किया गया है. हाल ही में वक्फ (संशोधन) कानून 2025 ने सुर्खियां बटोरीं.
संसद ने वक्फ (संशोधन) बिल को मंजूरी दी, जिसे राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने 5 अप्रैल को हस्ताक्षर किए. इस कानून का मकसद वक्फ बोर्ड की पारदर्शिता और जवाबदेही बढ़ाना बताया गया. लेकिन कुछ लोग इसे धार्मिक अधिकारों पर हमला मानते हैं. कानून के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिकाएं भी दाखिल हैं. फिर भी, विरोध की आग सबसे ज्यादा बंगाल में क्यों भड़की?
हिंसा का केंद्र क्यों बना मुर्शिदाबाद?
2011 की जनगणना के अनुसार मुर्शिदाबाद में 66.3% आबादी मुस्लिम है. 8 अप्रैल से शुरू हुए प्रदर्शन धुलियान, शमशेरगंज, सूती, जंगीपुर जैसे इलाकों में हिंसक हो गए. तीन लोग मारे गए, जिसमें एक पिता-पुत्र और एक नाबालिग शामिल हैं. 200 से ज्यादा गिरफ्तारियां हुईं, और कलकत्ता हाईकोर्ट ने केंद्रीय बलों की तैनाती का आदेश दिया. हिंदू परिवारों के पलायन की खबरें भी सामने आईं, जिनमें से कई मालदा जाकर शरण लिए.
लेकिन सवाल यह है कि क्या सिर्फ धार्मिक भावनाएं इस हिंसा की वजह हैं? स्थानीय लोग बताते हैं कि शुक्रवार की नमाज के बाद शुरू हुए विरोध में कुछ असामाजिक तत्वों ने आगजनी और लूटपाट को हवा दी. बीजेपी का आरोप है कि टीएमसी नेताओं ने लोगों को भड़काया, जबकि टीएमसी इसे सियासी साजिश बताती है.
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सियासत का खेल?
बंगाल में 2026 में विधानसभा चुनाव होने हैं, और वक्फ कानून का मुद्दा वोट बैंक की रोटी सेंकने का मौका बन गया. ममता बनर्जी ने कहा कि वह बंगाल में इस कानून को लागू नहीं होने देंगी. दूसरी ओर, बीजेपी का दावा है कि टीएमसी ने जानबूझकर तनाव को बढ़ाया. खुफिया सूत्रों की मानें, तो इस हिंसा में 2019 के सीएए विरोध की तरह सोशल मीडिया टूलकिट्स का इस्तेमाल हुआ. टेलीग्राम, व्हाट्सएप जैसे प्लेटफॉर्म्स पर प्रदर्शनों की योजना बनाई गई. कुछ रिपोर्ट्स में सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया (SDPI) का नाम भी सामने आया, जिसके तार प्रतिबंधित PFI से जोड़े जा रहे हैं.
यूपी-बिहार में शांति, बंगाल में आग क्यों?
2011 की जनगणना के मुताबिक, भारत में सबसे ज्यादा मुस्लिम आबादी यूपी (19.26%), बंगाल (27.01%), बिहार (16.87%), महाराष्ट्र (11.54%) और असम (34.22%) में है. फिर भी, यूपी, बिहार और महाराष्ट्र में वक्फ कानून पर कोई बड़ा बवाल नहीं. विशेषज्ञों का मानना है कि बंगाल में स्थानीय सियासत और ऐतिहासिक सांप्रदायिक संवेदनशीलता ने इस मुद्दे को हवा दी. बंगाल की सीमा बांग्लादेश से लगती है, और यहां सांप्रदायिक ध्रुवीकरण का इतिहास रहा है.
क्या कह रहे हैं लोग?
मुर्शिदाबाद के जफराबाद गांव में एक हिंदू परिवार की महिला ने बताया कि उनके घर की खिड़कियां तोड़ दी गईं, दुकानें लूटी गईं. दूसरी ओर, मुस्लिम समुदाय के कुछ लोग कहते हैं कि उन्हें गलत सूचनाओं से भड़काया गया कि यह कानून उनकी संपत्ति छीन लेगा. ममता ने शांति की अपील की, लेकिन बीजेपी नेता सुवेंदु अधिकारी ने राष्ट्रपति शासन की मांग तक उठा दी.
पुलिस का कहना है कि स्थिति अब काबू में है. 14 अप्रैल से कोई बड़ी हिंसा की खबर नहीं. लोग धीरे-धीरे घर लौट रहे हैं. लेकिन यह घटना एक सवाल छोड़ती है कि क्या धार्मिक मुद्दों को सियासत का हथियार बनाना बंद होगा? बंगाल की इस आग ने सिर्फ संपत्ति ही नहीं, बल्कि सामाजिक सद्भाव को भी नुकसान पहुंचाया है.