Trump से बहस कर Zelensky ने खोद ली यूक्रेन की कब्र! बिना अमेरिकी मदद के रूस से युद्ध आसान नहीं

Trump-Zelensky Clash: बीती रात यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की और अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बीच हुई बहस ने इस मुद्दे को और भी जटिल बना दिया है. क्या होगा अगर अमेरिका यूक्रेन की मदद पूरी तरह से बंद कर दे? क्या यूक्रेन इस युद्ध को बिना अमेरिकी सहायता के जारी रख पाएगा?
Trump-Zelensky Clash

जेलेंस्की और ट्रंप के बीच हुई बहस

Trump-Zelensky Clash: यूक्रेन और रूस के बीच चल रहे युद्ध को अब तीन साल से अधिक हो चुके हैं, और बीच में कई मोड़ आए हैं. जहां एक तरफ यूक्रेन का संघर्ष लगातार तेज़ हो रहा है, वहीं दूसरी ओर अमेरिका का समर्थन अब सवालों के घेरे में है. बीती रात यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की और अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बीच हुई बहस ने इस मुद्दे को और भी जटिल बना दिया है. क्या होगा अगर अमेरिका यूक्रेन की मदद पूरी तरह से बंद कर दे? क्या यूक्रेन इस युद्ध को बिना अमेरिकी सहायता के जारी रख पाएगा? आइए, इसे सबकुछ विस्तार से समझते हैं.

अमेरिका की मदद पर सवालिया निशान

अब तक अमेरिका यूक्रेन का सबसे बड़ा समर्थक रहा है. अमेरिका ने जनवरी 2022 से दिसंबर 2024 तक यूक्रेन को करीब 119.7 अरब डॉलर की सहायता दी है. इसमें उच्च तकनीकी हथियार, टैंक, मिसाइल डिफेंस सिस्टम और युद्ध प्रशिक्षण जैसे महत्वपूर्ण सामान शामिल हैं. हालांकि, अब अमेरिका के भीतर ही इस मदद पर असहमति उठने लगी है. रिपब्लिकन सांसद यूक्रेन को और ज्यादा फंड देने के खिलाफ हैं, और यह चिंता का विषय बन चुका है कि यदि अमेरिका ने मदद बंद कर दी, तो क्या यूक्रेन रूस के सामने टिक पाएगा?

यूक्रेन के पास जो हथियार हैं, क्या वो काफी हैं?

हालांकि यूक्रेन के पास कुछ बेहद प्रभावी हथियार हैं, जैसे अमेरिकी ATACMS मिसाइलें (300 किमी रेंज), ब्रिटेन-फ्रांस की स्टॉर्म शैडो (250 किमी रेंज), और 80 से अधिक मल्टीपल लॉन्च रॉकेट सिस्टम, जिनमें HIMARS और M270 शामिल हैं. लेकिन इन हथियारों की आपूर्ति और रखरखाव पर निर्भरता बहुत ज्यादा है. गोलाबारूद की कमी पहले से ही महसूस हो रही है, और अगर अमेरिकी मदद रुक जाती है, तो ये हथियार ज्यादा दिन तक प्रभावी नहीं रह पाएंगे.

रूस की सैन्य ताकत

रूस ने अपनी सैन्य ताकत को इस युद्ध के दौरान तेजी से बढ़ाया है. रूस का रक्षा बजट 2024 में 13.1 ट्रिलियन रूबल लगभग 146 अरब डॉलर तक पहुंच चुका है, जो उसकी GDP का 6.7% है. इस बजट में पिछले साल की तुलना में 40% से ज्यादा की बढ़ोतरी हुई है. दूसरी ओर, यूरोप ने 2024 में अपने रक्षा बजट को बढ़ाकर 457 अरब डॉलर कर लिया है, लेकिन यह रूस के खर्च के मुकाबले कहीं पीछे है. इसका मतलब यह है कि रूस ने न केवल अपनी सैन्य शक्ति बढ़ाई है, बल्कि वह पश्चिमी देशों के लिए एक गंभीर चुनौती बन चुका है.

बिना अमेरिका के युद्ध नहीं लड़ पाएंगे जेलेंस्की?

तो, क्या ज़ेलेंस्की बिना अमेरिका की मदद के रूस से युद्ध जारी रख सकते हैं? जवाब आसान नहीं है, लेकिन एक उम्मीद है. यूरोपीय देशों से अधिक सहायता और घरेलू हथियार उत्पादन में बढ़ोतरी से यह संभव हो सकता है, लेकिन यह कठिन होगा. रूस पहले ही सैन्य खर्च और शक्ति में यूरोप से आगे निकल चुका है, और अगर अमेरिकी मदद बंद होती है, तो यह युद्ध यूक्रेन के लिए बेहद कठिन हो सकता है. विशेषकर जब युद्ध लम्बा खिंच सकता है और यूक्रेन को भारी नुकसान हो सकता है. यूरोप से मदद तो मिलेगी, लेकिन अमेरिकी जिस रफ्तार से मदद करता रहा है, अब उसकी उम्मीद कम ही है.

यूक्रेन-अमेरिका डील का क्या होगा?

यूक्रेन और अमेरिका के बीच एक खनिज सौदे की बातचीत चल रही थी, जो एक बड़ी आर्थिक और राजनीतिक डील बन सकती थी, लेकिन अंत में वह हवा में ही उड़ गई! इस सौदे का तात्पर्य था कि यूक्रेन अपनी खनिज संपदा को अमेरिका के साथ साझा करता, बदले में अमेरिका उसे वित्तीय मदद और निवेश देता. लेकिन यह सौदा एक पुराने समझौते का कमजोर रूप था, जिसमें यूक्रेन को अपने खनिजों, तेल, गैस और अन्य संसाधनों से होने वाली कमाई का 50% अमेरिकी कोष में डालने की शर्त थी. लेकिन, इस समझौते के पीछे कई खतरनाक चैलेंज थे. खनिजों का सही मूल्यांकन नहीं था, और यूक्रेन के अधिकांश खनिज रूस के कब्जे वाले इलाकों में थे!

डील का यह सबसे बड़ा पेंच था कि यूक्रेन की खनिज संपत्ति को लेकर कोई स्पष्ट नक्शा या डेटा नहीं था, और युद्ध के कारण बहुत से इलाके बारूदी सुरंगों से भरे हुए थे. साथ ही, यूक्रेन में युद्ध के कारण बुनियादी ढांचा भी बुरी तरह प्रभावित हुआ था, जिससे खनिज खनन और निवेश आकर्षित करना मुश्किल हो गया. ट्रंप की नाखुशी और व्यावसायिक कंपनियों का जोखिम से बचना भी इस डील की असफलता में अहम कारण था.

अगर यह सौदा हो जाता, तो अमेरिकी कंपनियां जैसे MP मटीरियल्स और Albemarle Corporation को लिथियम और दुर्लभ खनिजों के बड़े खजाने का फायदा मिलता, और ट्रंप के लिए चीन के खनिज क्षेत्र में बढ़ती पकड़ को चुनौती देने का सुनहरा अवसर होता. लेकिन बिना युद्धविराम और सुरक्षा गारंटी के यह सौदा पूरी तरह से रुक गया. यूक्रेन को आर्थिक मदद की उम्मीद थी, लेकिन यह डील ना तो सुरक्षा की गारंटी दे पाई और ना ही कोई ठोस समाधान निकल सका!

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आखिरकार, अगले कुछ महीने यूक्रेन के लिए निर्णायक साबित हो सकते हैं. अगर अमेरिकी समर्थन पूरी तरह से रुकता है, तो रूस को रणनीतिक बढ़त मिल सकती है. हालांकि, यूरोपीय देशों की मदद से कुछ राहत मिल सकती है, लेकिन कुल मिलाकर, यह चुनौतीपूर्ण होगा. ज़ेलेंस्की और उनकी सेना को अब नए तरीके अपनाने होंगे और ज्यादा घरेलू उत्पादन पर जोर देना होगा.

तो, क्या यह संभव है कि ज़ेलेंस्की बिना अमेरिका की मदद के रूस से लड़ाई जीत पाएं? यह कहना मुश्किल है, लेकिन अगर अमेरिका ने मदद रोक दी, तो यह युद्ध के लिए नया मोड़ साबित हो सकता है. अब देखना यह होगा कि यूरोप और यूक्रेन कैसे इस युद्ध की नई राह पर कदम बढ़ाते हैं.

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