अमेरिका- इजरायल हो या फिर NATO…किसी से नहीं डरने वाला ईरान इस एक ग्रुप के सामने क्यों टेकता है माथा?
ईरान इजरायल के बीच जंग में अमेरिका की एंट्री
Iran Israel War: आपने अक्सर सुना होगा कि ईरान कितना अड़ियल है. उसे अमेरिका, इजरायल, ब्रिटेन या NATO जैसी बड़ी-बड़ी ताकतों से भी डर नहीं लगता. लेकिन क्या आप जानते हैं, एक ऐसा ग्रुप है जिसकी हर बात ईरान को माननी पड़ती है? ये कोई सेना या राजनीतिक पार्टी नहीं है, बल्कि तेल बेचने वाले देशों का एक खास क्लब है, जिसका नाम है ओपेक प्लस (OPEC+).
क्या है ये ओपेक प्लस?
सोचिए, दुनिया में जितना भी कच्चा तेल निकलता है, उसका आधे से ज़्यादा हिस्सा ये 22 देश मिलकर पैदा करते हैं. अगर ये देश कोई फैसला ले लें, तो पेट्रोल-डीजल के दाम ऐसे ऊपर-नीचे होते हैं कि पूरी दुनिया पर असर पड़ता है. ये ग्रुप इतना पावरफुल है कि किसी भी देश की अर्थव्यवस्था को हिला सकता है. यहीं से इनकी ताकत आती है और शायद इसलिए ईरान भी इनकी बात सुनता है.
कौन-कौन से दोस्त हैं इस ग्रुप में?
इस ग्रुप में ईरान खुद भी है, लेकिन कुछ और बहुत ताकतवर देश भी हैं, जैसे सऊदी अरब और यूएई (UAE). इनके अलावा इराक, कुवैत, वेनेजुएला, नाइजीरिया जैसे कुल 22 देश इस क्लब का हिस्सा हैं. इनमें से ज़्यादातर देशों की तो कमाई का सबसे बड़ा ज़रिया ही कच्चा तेल बेचना है. इनके पास तेल के इतने बड़े भंडार हैं कि आप सोच भी नहीं सकते!
कितना तेल बनाते हैं ये देश?
एक दिन में ये सारे देश मिलकर लगभग साढ़े चार करोड़ बैरल तेल निकालते हैं. इसमें से सबसे ज़्यादा तेल निकालने वाला देश है सऊदी अरब, जो रोज़ाना एक करोड़ बैरल से ज़्यादा तेल देता है. नॉन-ओपेक देशों में रूस सबसे आगे है, वो भी लगभग एक करोड़ बैरल तेल निकालता है.
ईरान कितना तेल निकालता है?
ईरान रोज़ाना लगभग 33 लाख बैरल तेल निकालता है. भले ही ये सऊदी अरब या रूस जितना ज़्यादा न हो, लेकिन ये काफी है. सबसे बड़ी बात ये है कि ईरान एक बहुत ही खास समुद्री रास्ते पर कंट्रोल रखता है. इस रास्ते को होर्मुज स्ट्रेट कहते हैं, दुनिया का आधे से ज़्यादा तेल इसी रास्ते से बड़े-बड़े जहाजों में भरकर आता-जाता है. अगर ईरान इस रास्ते को बंद कर दे, तो सोचिए क्या होगा? पूरी दुनिया में तेल की कमी हो जाएगी और हाहाकार मच जाएगा.
क्या ओपेक प्लस ईरान को रोकेगा?
आपने देखा होगा कि इजरायल के साथ ईरान की तनातनी चल रही है. बम गोले बरसाए जा रहे हैं. अब इस युद्ध में अमेरिका की भी एंट्री हो गई है. अमेरिका और यूरोप के कई देश ईरान के खिलाफ हैं, लेकिन ईरान टस से मस नहीं होता.
अभी तक तो ऐसा कोई सीधा बयान या कदम नहीं उठाया गया है. रूस के राष्ट्रपति पुतिन ने कहा था कि ईरान-इजरायल के झगड़े से तेल महंगा हो रहा है, लेकिन उन्होंने ओपेक प्लस को कुछ करने को नहीं कहा. इराक के उप-प्रधानमंत्री ने भी कहा कि अगर युद्ध नहीं रुका तो तेल 200 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच सकता है, लेकिन उन्होंने भी ईरान के खिलाफ कुछ नहीं कहा. सऊदी अरब और यूएई जैसे बड़े खिलाड़ियों ने भी चुप्पी साध रखी है. ऐसा लगता है कि जब तक अमेरिका जैसा कोई देश ओपेक प्लस से खुलकर गुजारिश नहीं करता, तब तक ये ग्रुप शायद ईरान को रोकने की कोशिश नहीं करेगा.