इजरायल को ईरान से क्या दुश्मनी? जानें मुसलमान और यहूदियों के टकराव की पूरी कहानी

इजरायल और ईरान के बीच संबंध हमेशा से तनावपूर्ण रहे हैं. 1947 में जब संयुक्त राष्ट्र ने फिलिस्तीन के विभाजन की घोषणा की, ईरान उन देशों में था जिसने इसका विरोध किया. लेकिन, जब पहलवी राजवंश का शासन आया, तो ईरान ने इजरायल को मान्यता देने वाले देशों में से एक बन गया.
Israel Iran War

खामेनेई और नेतन्याहू

Israel Iran War: इजरायल ने ईरान पर एक बार फिर हवाई हमले किए, जिसमें उसने तेहरान समेत अन्य शहरों के सैन्य ठिकानों को निशाना बनाया. इससे पहले ईरान ने अक्टूबर में इजरायल पर मिसाइलें दागी थीं, अब इजरायल ने पलटवार करते हुए बदला ले लिया है. आइये यहां विस्तार से जानते हैं कि इजरायल और ईरान के बीच यह टकराव क्यों हो रहा है और इसका प्रभाव मिडिल ईस्ट पर क्या पड़ सकता है?

कब से जारी है संघर्ष?

इजरायल और ईरान के बीच संबंध हमेशा से तनावपूर्ण रहे हैं. 1947 में जब संयुक्त राष्ट्र ने फिलिस्तीन के विभाजन की घोषणा की, ईरान उन देशों में था जिसने इसका विरोध किया. लेकिन, जब पहलवी राजवंश का शासन आया, तो ईरान ने इजरायल को मान्यता देने वाले देशों में से एक बन गया. हालांकि, 1979 की इस्लामी क्रांति के बाद ईरान ने इजरायल के साथ सभी संबंध तोड़ दिए और इसे एक दुश्मन मान लिया.

फिलिस्तीन का मुद्दा

इजरायल का फिलिस्तीनियों के साथ संघर्ष उसकी स्थापना के समय से ही जारी है. जब इजरायल ने 1948 में स्वतंत्रता की घोषणा की, तब लाखों फिलिस्तीनी अपने घरों से विस्थापित हो गए. इजरायल की चिंता इस बात को लेकर है कि फिलिस्तीनियों की संख्या बढ़ने से उनका अस्तित्व खतरे में पड़ सकता है. इसलिए, इजरायल ने न केवल फिलिस्तीनियों का विरोध किया, बल्कि उन मुस्लिम देशों का भी विरोध किया जो फिलिस्तीनियों के समर्थन में खड़े होते हैं.

इजरायल और ईरान का टकराव

हाल के घटनाक्रमों में 7 अक्टूबर 2023 को जब हमास ने इजरायल पर हमले किए, तो इजरायल ने इसके जवाब में हमास के ठिकानों पर हमला किया. इस बीच, ईरान ने हमास और हिजबुल्लाह जैसे समूहों को समर्थन देकर इजरायल के खिलाफ अपने रुख को और मजबूत किया.

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वर्तमान स्थिति क्या है?

इजरायल ने ईरान पर जो हमला किया है उसे बदले की कार्रवाई के रूप में देखा जा रहा है. ईरान ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि उसे मामूली नुकसान हुआ है, लेकिन माना जा रहा है कि वह जल्द ही इजरायल से जवाबी हमला करेगा. यह स्थिति पश्चिम एशिया में अशांति को बढ़ा सकती है.

मिडिल ईस्ट पर इसका क्या प्रभाव?

इस संघर्ष का असर न केवल इजरायल और ईरान पर, बल्कि पूरे क्षेत्र पर पड़ेगा. यदि दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ता है, तो यह अन्य पड़ोसी देशों को भी प्रभावित कर सकता है. यह क्षेत्र पहले से ही कई संघर्षों से जूझ रहा है, और इस नई स्थिति से स्थिति और बिगड़ सकती है.

इजरायल और ईरान के बीच संघर्ष एक जटिल मुद्दा है, जिसमें ऐतिहासिक, राजनीतिक और धार्मिक कारण शामिल हैं. फिलिस्तीनी मुद्दा, ईरान की राजनीतिक रणनीति और इजरायल की सुरक्षा चिंताएं इस टकराव को बढ़ा रही हैं. आने वाले दिनों में यह देखना होगा कि क्या दोनों देशों के बीच स्थिति और बिगड़ती है या कोई स्थायी समाधान निकाला जा सकेगा. इस संघर्ष की जड़ें गहरी हैं, और इसके प्रभावों को समझना और भी जरूरी है, क्योंकि यह न केवल इजरायल और ईरान, बल्कि पूरे मिडिल ईस्ट को प्रभावित करेगा.

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