ट्रंप, पनामा नहर, चीन और मच्छरों का अजीब कनेक्शन, दिलचस्प है इस ‘पानी’ की कहानी!

2017 में पनामा ने ताइवान के साथ अपने राजनयिक संबंध खत्म कर दिए और चीन से संबंध स्थापित किए. चीन ने पनामा में बड़े निवेश किए हैं, और इसके तहत पनामा के दो सबसे बड़े पोर्ट भी चीन की कंपनियों के पास हैं. यही कारण है कि अमेरिका चिंतित है.
Panama Canal

पनामा नहर

Panama Canal: पनामा नहर की कहानी न केवल अद्भुत है, बल्कि यह कई वैश्विक घटनाओं, शक्तियों, और संघर्षों को अपने भीतर समेटे हुए हैं. 16वीं सदी से लेकर आज तक इस नहर ने इतिहास में कई मोड़ देखे हैं. क्या आप जानते हैं कि इस नहर की कहानी में मच्छरों से लेकर ट्रंप तक का क्या कनेक्शन है? और क्यों पनामा नहर को लेकर अमेरिका और चीन के बीच टकराव बढ़ता जा रहा है? चलिए, इस नहर पर विस्तार से नजर डालते हैं, जो व्यापार, राजनीति और वैश्विक शक्ति के समीकरण को समझने में मदद करेगा.

पनामा नहर के निर्माण का संघर्ष

पनामा नहर का विचार 16वीं सदी में स्पेन के राजा चार्ल्स पंचम के दिमाग में आया था, लेकिन यह परियोजना कई सदियों तक केवल एक ख्वाब ही बनी रही. दो महाद्वीपों उत्तरी और दक्षिणी अमेरिका के बीच स्थित है पनामा. यह नहर हमेशा से एक रणनीतिक व्यापारिक मार्ग रहा है. 1534 में जब चार्ल्स पंचम ने इसका सर्वेक्षण शुरू किया, तो वह नहर के माध्यम से अपने साम्राज्य के व्यापार को तेज़ी से बढ़ाना चाहते थे. हालांकि, उस समय की तकनीकी सीमाओं और पर्यावरणीय समस्याओं ने इस योजना को विफल कर दिया.

फ्रांसीसी विफलता से अमेरिकी सफलता तक

1880 के दशक में फ्रांसीसी इंजीनियर फर्डिनेंड डी लेसेप्स ने पनामा में नहर बनाने का कार्य शुरू किया. लेकिन यह परियोजना मच्छरों के कारण फैलने वाली बीमारियों, जैसे मलेरिया और यलो फीवर के कारण भयंकर रूप से विफल हो गई. 25,000 से अधिक श्रमिकों की मौत हो गई और अंततः 1889 में परियोजना बंद कर दी गई.

फ्रांसीसी विफलता के बाद 1904 में अमेरिका ने पनामा को कोलंबिया से स्वतंत्र कराने में मदद की और नहर निर्माण का कार्य फिर से शुरू किया. 1914 में अमेरिकी इंजीनियरों ने तीन बड़े लॉक्स के जरिए पनामा नहर को सफलतापूर्वक पूरा किया. इस नहर ने वैश्विक व्यापार को एक नया मोड़ दिया, क्योंकि अब एशिया और यूरोप के जहाज सीधे अमेरिका पहुंच सकते थे, बिना 20,000 किलोमीटर का लंबा रास्ता तय किए.

वैश्विक व्यापार का राजमार्ग पनामा नहर

अब हर साल पनामा नहर से लगभग 15,000 पोत गुजरते हैं, जो दुनिया के विभिन्न हिस्सों में माल भेजते हैं. अनुमान है कि इस नहर से हर साल करीब 270 बिलियन डॉलर का व्यापार होता है. नहर का उपयोग न केवल कारों और तेल के व्यापार के लिए किया जाता है, बल्कि यह विभिन्न उत्पादों के लिए एक अहम मार्ग है. भारत के जहाज भी पनामा नहर से होकर अमेरिका जाते हैं.

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पनामा नहर में कैप्टन को क्यों छोड़ना पड़ता है अपना जहाज?

पनामा नहर की एक और दिलचस्प बात यह है कि यहां जहाजों के कप्तान को अपने जहाज का नियंत्रण छोड़ना पड़ता है. नहर में जहाजों को तीन लॉक्स के माध्यम से 85 फीट ऊंचा किया जाता है. हर एक लॉक के बाद जहाज को एक नए कप्तान निर्देशित करता है, जो नहर के विशेषज्ञ होते हैं. इस प्रक्रिया को हाथों-हाथ टगबोट से नियंत्रित किया जाता है.

चीन का पनामा नहर पर कब्जा

2017 में पनामा ने ताइवान के साथ अपने राजनयिक संबंध खत्म कर दिए और चीन से संबंध स्थापित किए. चीन ने पनामा में बड़े निवेश किए हैं, और इसके तहत पनामा के दो सबसे बड़े पोर्ट भी चीन की कंपनियों के पास हैं. यही कारण है कि अमेरिका चिंतित है. ट्रंप ने इस पर टिप्पणी करते हुए कहा था कि पनामा नहर को चीन के हाथों में नहीं जाना चाहिए.

निकारागुआ नहर

चीन ने निकारागुआ में एक और नहर बनाने की योजना बनाई है, जिससे पनामा नहर को चुनौती मिल रही है. यदि यह परियोजना पूरी होती है, तो यह न केवल पनामा नहर की स्थिति को कमजोर कर सकती है, बल्कि वैश्विक व्यापार के मार्ग को भी नया रूप दे सकती है. यही कारण है कि पनामा और अमेरिका दोनों को इस नई नहर के निर्माण पर नजर रखनी है.

मच्छरों का आतंक

पनामा नहर की कहानी में एक दिलचस्प कनेक्शन है मच्छरों और बीमारियों से. जैसा कि पहले बताया गया, फ्रांसीसी नहर निर्माण के दौरान मच्छरों के कारण मलेरिया और यलो फीवर फैल गए थे. आज भी पनामा नहर में बहुत से जहाजों के कप्तान और चालक दल मच्छरों से बचने के लिए विशेष सावधानी बरतते हैं. इस कनेक्शन को समझना बेहद रोचक है, क्योंकि यह न केवल इस नहर के निर्माण की जटिलताओं को दिखाता है, बल्कि व्यापार, राजनीति, और पर्यावरण के बीच की जटिल कड़ी को भी उजागर करता है.

पनामा नहर का भविष्य

आज पनामा नहर का महत्व और भी बढ़ गया है, क्योंकि यदि यह नहर नहीं होती, तो अमेरिका को यूरोप या एशिया से पश्चिमी अमेरिका जाने के लिए 20,000 किलोमीटर का अतिरिक्त रास्ता तय करना पड़ता. यह न केवल समय की बर्बादी होगी, बल्कि व्यापारिक लागत भी बढ़ेगी. इसलिए पनामा नहर का अस्तित्व अमेरिका के लिए बेहद महत्वपूर्ण है, और इसके नियंत्रण को लेकर अमेरिका और चीन के बीच संघर्ष अभी भी जारी है.

पनामा नहर की कहानी से आपको पता चल गया होगा कि जलमार्ग केवल परिवहन का साधन नहीं बल्कि वैश्विक राजनीति, व्यापार, और शक्ति के लिए एक महत्वपूर्ण मुद्दा बन सकता है. इतिहास से लेकर वर्तमान तक, पनामा नहर ने दुनिया के सबसे शक्तिशाली देशों के बीच तकरार और सहयोग दोनों को देखा है. अब, चीन और अमेरिका के बीच बढ़ते तनाव के बीच, यह नहर एक बार फिर से दुनिया की सबसे बड़ी राजनीतिक और आर्थिक लड़ाई का केंद्र बनती जा रही है.

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