Jharkhand Election: कोल्हान और संथाल परगना पर BJP की नजर! जानिए क्या है सियासी प्लान

इस चुनाव में बीजेपी के लिए सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या वह कोल्हान और संथाल परगना में अपनी स्थिति मजबूत कर पाएगी. इन दोनों इलाकों में आदिवासी वोटों के अलावा जनसंख्या संतुलन और स्थानीय बनाम बाहरी मुद्दे प्रमुख हैं, जो चुनाव परिणामों को प्रभावित कर सकते हैं.
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पीएम मोदी और हेमंत सोरेन

Jharkhand Election: झारखंड विधानसभा चुनाव का माहौल गरमाया हुआ है, और सभी पार्टियां अपनी-अपनी रणनीतियां तैयार करने में जुटी हैं. भारतीय जनता पार्टी ने अपने घोषणापत्र में जो मुद्दे उठाए हैं, वे सीधे तौर पर राज्य की सियासत को प्रभावित करने वाले हैं. इस बार की जंग बीजेपी के लिए बहुत अहम है, खासकर कोल्हान और संथाल परगना में.

इस चुनाव के पहले चरण में 13 नवंबर को वोटिंग होगी, जिसमें कुल 683 उम्मीदवार मैदान में हैं. दूसरे चरण के मतदान 20 नवंबर को होंगे, और नतीजे 23 नवंबर को सामने आएंगे. झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) गठबंधन के लिए यह चुनाव मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की लोकप्रियता और उनके जनकल्याणकारी वादों पर आधारित है. वहीं, बीजेपी सरकार की कमियों को उजागर करते हुए चुनावी मैदान में है. इस बार बीजेपी ने ऑल झारखंड स्टूडेंट्स यूनियन (AJSU), झारखंड विकास मोर्चा (JVM), और जनता दल यूनाइटेड (JDU) के साथ मिलकर चुनावी गठबंधन किया है.

झारखंड के मुख्य मुद्दे

इस चुनाव में बेरोजगारी, महंगाई, कृषि संकट जैसे मुद्दे प्रमुख हैं, लेकिन बीजेपी धर्म परिवर्तन, अवैध प्रवास, और भ्रष्टाचार जैसे मुद्दों को भी जोर-शोर से उठा रही है. साथ ही, बीजेपी नेता जयराम महतो ने झारखंड में “अंदरूनी बनाम बाहरी” मुद्दे को भी तूल दिया है, जिससे स्थानीय आदिवासी और प्रवासी आबादी के बीच तनाव की स्थिति पैदा हो गई है.

पांच मुख्य चुनावी क्षेत्र

पलामू (9 सीटें)
संथाल परगना (18 सीटें)
उत्तर छोटानागपुर (40 सीटें)
दक्षिण छोटानागपुर (15 सीटें)
कोल्हान (14 सीटें)

इन क्षेत्रों में आदिवासी और अनुसूचित जाति (SC) के लिए आरक्षित सीटों की संख्या पर खास ध्यान दिया जा रहा है, क्योंकि इन वोटों पर चुनाव का खेल चल रहा है.

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बीजेपी की चुनौती

बीजेपी ने SC सीटों पर अपनी पकड़ मजबूत की है, जबकि JMM का ध्यान ST सीटों पर है. कोल्हान और संथाल परगना जैसे क्षेत्र, जहां आदिवासी जनसंख्या काफी अधिक है, बीजेपी के लिए चुनौतीपूर्ण साबित हो सकते हैं. इन इलाकों में बीजेपी को अपनी स्थिति सुधारने के लिए कुछ खास रणनीतियां अपनानी होंगी.

पलामू क्षेत्र में 9 सीटें हैं और यहां आदिवासी (18%) और SC (25%) की जनसंख्या का महत्वपूर्ण योगदान है. 2019 के चुनाव में बीजेपी ने यहां 3 सीटें जीती थीं. वहीं संथाल परगना में 18 सीटें हैं, और यहां ST की जनसंख्या लगभग 28% है. 2019 में जेएमएम ने यहां बहुमत हासिल किया था और बीजेपी को महज 5 सीटें मिलीं.

बीजेपी की रणनीति

बीजेपी की रणनीति इस बार कोल्हान और संथाल परगना पर ध्यान केंद्रित करने की है. पार्टी को उम्मीद है कि चंपई सोरेन के JMM से जुड़ने और AJSU के साथ गठबंधन से कोल्हान में लाभ होगा. वहीं, संथाल परगना में बीजेपी अपनी ताकत अवैध प्रवास और जनसंख्या संतुलन जैसे मुद्दों पर केंद्रित कर रही है. इस चुनाव में बीजेपी के लिए सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या वह कोल्हान और संथाल परगना में अपनी स्थिति मजबूत कर पाएगी. इन दोनों इलाकों में आदिवासी वोटों के अलावा जनसंख्या संतुलन और स्थानीय बनाम बाहरी मुद्दे प्रमुख हैं, जो चुनाव परिणामों को प्रभावित कर सकते हैं.

झारखंड विधानसभा चुनाव में इस बार का मुकाबला बेहद रोमांचक होने की संभावना है, और सभी पार्टियाँ अपनी पूरी ताकत झोंकने के लिए तैयार हैं.

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