क्या है Guillain-Barre Syndrome? जिससे महाराष्ट्र में मचा है हाहाकार, लगातार बढ़ रही मरीजों की संख्या

Guillain-Barre Syndrome: डॉक्टर्स के मुताबिक, गुलियन-बैरे सिंड्रोम एक दुर्लभ विकार (Disorder) है. जिसमें अचानक सुन्नता और मांसपेशियों में कमजोरी हो जाती है. इसके साथ ही इस बीमारी में हाथ पैरों में गंभीर कमजोरी जैसे लक्षण भी होते हैं.
Guillain-Barre Syndrome

डॉक्टर्स के मुताबिक, गुलियन-बैरे सिंड्रोम एक दुर्लभ विकार (Disorder) है

Guillain-Barre Syndrome: महाराष्ट्र में इन दिनों हाहाकार मचा हुआ है. यहां गुलियन-बैरे सिंड्रोम (Guillain-Barre Syndrome) यानी GBS नाम की बीमारी ने पूरे राज्य में डर का माहौल बना दिया है. तेजी से इस दुर्लभ बीमारी के मामले बढ़ रहे हैं. जिसका इलाज काफी महंगे है. महाराष्ट्र स्वास्थ्य विभाग ने रविवार को बताया कि गुलियन-बैरे सिंड्रोम (GBS) से पहली मौत पुणे में हुई है. महाराष्ट्र में GBS के मामले 100 के आंकड़े को पार कर चूका है. ऐसे में ये जाना बेहद जरिऋ है कि GBS क्या है और इसके बचाव के जा सकता है.

क्या है गुलियन-बैरे सिंड्रोम?

डॉक्टर्स के मुताबिक, गुलियन-बैरे सिंड्रोम एक दुर्लभ विकार (Disorder) है. जिसमें अचानक सुन्नता और मांसपेशियों में कमजोरी हो जाती है. इसके साथ ही इस बीमारी में हाथ पैरों में गंभीर कमजोरी जैसे लक्षण भी होते हैं. टाइम्स ऑफ इंडिया में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक, गुलियन-बैरे सिंड्रोम (GBS) एक दुर्लभ न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर है.

इसमें शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली गलती से परिधीय तंत्रिका तंत्र पर हमला करती है. इस स्थिति से कमज़ोरी, सुन्नता और गंभीर मामलों में पक्षाघात हो सकता है. हालांकि GBS किसी को भी प्रभावित कर सकता है, लेकिन इसका सटीक कारण अज्ञात है.

गुलियन-बैरे सिंड्रोम के लक्षण

GBS के लक्षणों को लेकर डॉक्टर्स बताते हैं कि यह एक डिसऑर्डर है. जो किसी भी इंसान में अचानक दिखाई देता है. इसके बाद यह कुछ दिनों या फिर कुछ हफ्तों में शरीर में तेजी से बढ़ जाते हैं. शुरू में इससे संक्रमित होने पर कमजोरी और झुनझुनी होती है. जो अक्सर पैरों से शुरू होती है और हाथों और चेहरे तक फैल सकती है.

इससे संक्रमित लोगों को चलने में भी कठिनाई होती है. यह आपकी गतिशीलता और संतुलन को प्रभावित करती है. यह न्यूरोपैथिक दर्द का भी कारण बनता है. जो पीठ और अंगों में देखा जाता है. अनियमित हृदय गति, रक्तचाप में उतार-चढ़ाव और गंभीर मामलों में सांस लेने में कठिनाई. गंभीर अवस्‍था में GBS कुल पक्षाघात का कारण बन सकता है, जिसके लिए संक्रमित को वेंटिलेशन की जरूरत पड़ती है.

इस डिसऑर्डर का इलाज महंगा

GBS के संक्रमण से लोग जहां डरे हुए हैं, वहीं लोग इसके मांगे इलाज से परेशान भी हैं. GBS का इलाज बहुत महंगा है, इसके एक इंजेक्शन की कीमत 20,000 रुपये है.

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क्या है इसका प्रभाव

डॉक्टरों ने कहा कि 80% प्रभावित रोगी अस्पताल से छुट्टी मिलने के छह महीने के भीतर बिना सहायता के चलने की क्षमता हासिल कर लेते हैं, लेकिन कुछ को अपने अंगों का पूरा उपयोग करने में एक साल या उससे अधिक समय लग सकता है.

फ्री में सरकार करेगी इलाज

ANI से बातचीत में पुणे नगर आयुक्त डॉ. राजेंद्र भोसले ने कहा, ‘वर्तमान में, पुणे नगर निगम क्षेत्र में लगभग 64 मरीज हैं. इनमें से 13 वेंटिलेटर पर हैं…5 मरीजों को ठीक होने के बाद छुट्टी दे दी गई है… हम GBS से प्रभावित मरीजों को मुफ्त इलाज देंगे… जो लोग गरीब हैं और इलाज का खर्च नहीं उठा सकते, उनके लिए हमारे पास एक योजना है…’

पुणे में मिला था पहला केस

टाइम्स ऑफ इंडिया एक एक रिपोर्ट के मुताबिक, 9 जनवरी को पुणे क्लस्टर के अंदर पहला मामला सामने आया था. पुणे के अस्पताल में भर्ती के भर्ती मरीज में पहला GBS मामला होने का संदेह हुआ था. परीक्षणों से अस्पताल में भर्ती मरीजों से लिए गए कुछ जैविक नमूनों में कैम्पिलोबैक्टर जेजुनी बैक्टीरिया का पता चला है. सी जेजुनी दुनिया भर में GBS के लगभग एक तिहाई मामलों का कारण बनता है और सबसे गंभीर संक्रमणों के लिए भी जिम्मेदार है

पुणे में 9 जनवरी को अस्पताल में भर्ती मरीज GBS पॉजिटिव आया था, ये पहला केस था. अब पुणे में एक्टिव केसों की संख्या 101 हो गई है. इनमें 19 मरीज 9 साल से कम उम्र के हैं. 50-80 साल की उम्र वाले 23 मरीज हैं.

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