Meditation: सच में कारगर, या सिर्फ़ एक ट्रेंड? जानिए क्या कहते हैं साइंटिफिक रिपोर्ट्स
प्रतीकात्मक तस्वीर
Meditation: भारत ही नहीं बल्कि दुनिया के दूसरे देशों में योग के साथ-साथ मेडिटेशन (Meditation) यानी ध्यान का प्रचलन काफ़ी बढ़ा है. इस दौड़ती-भागती और दुनिया के लिए मेडिटेशन को जानकार सबसे बड़ी राहत मान रहे हैं. मेडिटेशन की चर्चा हर तरफ है. चाहे कॉर्पोरेट ऑफिस हो, स्कूल हो या फिर स्वास्थ्य से जुड़ी कोई चर्चा, हर कोई ध्यान (Meditation) को अपनाने की सलाह देता है. हाल के कुछ सालों में कई दफ़्तरों के साइकोलॉजिस्ट ने तनाव से बचने के लिए कर्मचारियों को मेडिटेशन की सलाह दी और दफ़्तरों में ही मेडिटेशन सेंटर खोल दिए गए हैं. लेकिन क्या वाकई ध्यान इतना असरदार है या यह सिर्फ़ एक नया ट्रेंड बन गया है? वैज्ञानिक शोध और अध्ययनों की मानें तो मेडिटेशन के प्रभाव चौंकाने वाले हैं.
तनाव और चिंता में राहत का दावा: क्या कहता है विज्ञान?
जामा इंटरनल मेडिसिन (JAMA Internal Medicine) की 2014 में एक रिपोर्ट प्रकाशित हुई, जिसमें कई चौंकाने वाले दावे किए गए. इसकी स्टडी में पाया गया कि माइंडफुलनेस मेडिटेशन करने वाले लोगों में चिंता और तनाव के स्तर में जबरदस्त कमी देखी गई. स्टडी के मुताबिक, ध्यान करने से शरीर में तनाव हार्मोन कोर्टिसोल का स्तर कम होता है, जिससे मानसिक शांति मिलती है.
वहीं, हावर्ड मेडिकल स्कूल (Harvard Medical School) के एक रिसर्च में 8 हफ्तों तक ध्यान करने वाले प्रतिभागियों में डिप्रेशन के लक्षणों में 30% तक की कमी पाई गई. इस रिसर्च से यह साफ हो जाता है कि मेडिटेशन मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर करने में प्रभावी भूमिका निभा सकता है. सबसे बड़ी बात ये है कि मेडिटेशन का असर केवल मानसिक स्वास्थ्य तक ही सीमित नहीं है, बल्कि यह भावनात्मक स्थिरता को भी बढ़ाता है. दुनिया की जानी-मानी संस्था NCCIH (National Center for Complementary and Integrative Health) की एक रिपोर्ट के अनुसार, ध्यान करने से व्यक्ति में सहानुभूति (Empathy) और आत्म-जागरूकता (Self-awareness) में भी बढ़ोतरी होती है.
NCCIH की रिसर्च ने जिस बात को प्रमाणित करने की कोशिश की है, उसे हज़ारों साल पहले भारत के ऋषि एवं मनिषों ने अपने योग विधि में इसे अहम तत्व माना. हिंदू धर्म या इससे जुड़ी दूसरे धर्मों की जुड़ी तमाम शाखओं में ध्यान पर विशेष ज़ोर दिया गया है. बात बौद्ध धर्म, जैन या सिख धर्म की हो… इन्होंने भी ध्यान को परमात्मा तक पहुँचने की विधियों में अहम बताया. क्योंकि, आध्यात्मिक होने की पहली बुनियाद ही निश्छल होकर संवेदनशीलता की पराकाष्ठा हासिल करना है. इसमें विवेक और धैर्य का स्तर भी चरम पर होना चाहिए. यही वजह रही कि जितने भी सिद्ध पुरुष भारत में हुए उनकी चेतना में एक विराटता झलकी हुई मिली. विवेक, धर्य और संवेदनशीलता का स्तर उन्हें मायावी दुनिया से अलग करते दिखा.
दिमागी क्षमता और याददाश्त में बढ़ोतरी
अगर आप भूलने की समस्या से जूझ रहे हैं या फोकस करने में परेशानी हो रही है, तो ध्यान आपके लिए रामबाण साबित हो सकता है. UCLA (University of California) की एक रिपोर्ट बताती है कि मेडिटेशन करने से दिमाग में ग्रे- मैटर की मात्रा बढ़ती है, जिससे मेमोरी और एकाग्रता में सुधार होता है. स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों के अनुसार, ध्यान करने से निर्णय लेने की क्षमता और समस्या सुलझाने की शक्ति बेहतर होती है. साथ ही, Massachusetts General Hospital की एक स्टडी बताती है कि ध्यान करने से प्रीफ्रंटल कॉर्टेक्स (Prefrontal Cortex) अधिक सक्रिय हो जाता है, जो निर्णय लेने, भावनाओं को नियंत्रित करने और तार्किक सोच में मदद करता है.
शारीरिक सेहत पर असर: दिल और नींद के लिए भी फायदेमंद
आज के तनाव भरी दुनिया में रिश्ते हों या फिर प्रोफेशनल ज़िंदगी. लोगों की नींद सबसे पहले ग़ायब हो रही है. अधिकांश लोग अनिद्रा (Insomnia) के शिकार हैं. और एक अदद नींद के लिए तरस रहे हैं. नींद की गोलियाँ खा रहे हैं. लेकिन, आपको जानकार यह तसल्ली होगी कि रोज़ाना 20 मिनट का मेडिटेशन आपकी इस समस्या को हल कर सकता है. JAMA Internal Medicine की एक रिपोर्ट के अनुसार, ध्यान करने वाले लोगों में अनिद्रा की समस्या 50% तक कम हो जाती है. मेडिटेशन मेलाटोनिन हार्मोन को सक्रिय करता है, जिससे गहरी और अच्छी नींद आती है. स्लीप फाउंडेशन (Sleep Foundation) की रिपोर्ट के अनुसार, ध्यान करने वाले लोगों की नींद की गुणवत्ता 60% तक बेहतर पाई गई.
स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार, ध्यान न केवल मानसिक बल्कि शारीरिक रूप से भी बेहद फायदेमंद होता है. AHA (American Heart Association) की रिपोर्ट में पाया गया कि नियमित ध्यान करने से ब्लड प्रेशर कम होता है और हृदय रोगों का खतरा घटता है. अध्ययन के अनुसार, मेडिटेशन करने वाले लोगों के सिस्टोलिक ब्लड प्रेशर में औसतन 5 mmHg तक की कमी देखी गई.
इम्यून सिस्टम को करता है मजबूत
मेडिटेशन से शरीर की सूजन (Inflammation) कम होती है और रोग प्रतिरोधक क्षमता (Immune System) में सुधार होता है. PMJ (Psychosomatic Medicine Journal) में प्रकाशित एक रिसर्च के मुताबिक, ध्यान करने वाले लोगों में टी-कोशिकाओं (T-Cells) की संख्या अधिक होती है, जिससे वे संक्रमण और बीमारियों से बेहतर तरीके से लड़ सकते हैं.
यही नहीं, मेडिटेशन शरीर के डीएनए संरचना को भी प्रभावित करता है. हावर्ड यूनिवर्सिटी (Harvard University)के वैज्ञानिकों के मुताबिक, ध्यान करने से Telomeres लंबे होते हैं, जो कोशिकाओं की उम्र बढ़ाने और बीमारियों से लड़ने में मदद करते हैं.
मेडिटेशन से कार्यक्षमता और उत्पादकता में बढ़ोतरी
अगर आप अपने ऑफिस या काम करने वाली जगह पर लगातार तनाव महसूस कर रहे हैं और आपकी उत्पादकता प्रभावित हो रही है, तो मेडिटेशन आपकी मदद कर सकता है. हावर्ड बिजनेस रिव्यू (Harvard Business Review) की एक रिपोर्ट के अनुसार, नियमित ध्यान करने वाले कर्मचारियों में ध्यान केंद्रित करने की क्षमता 35% तक बेहतर होती है और उनकी उत्पादकता में 20% तक का इजाफा होती है.
गूगल (Google), ऐप्पल (Apple) और माइक्रोसॉफ्ट (Microsoft) जैसी कंपनियां अपने कर्मचारियों को मेडिटेशन प्रोग्राम में भाग लेने के लिए प्रेरित कर रही हैं, जिससे उनकी कार्यक्षमता में सुधार हो रहा है.
क्या आपको मेडिटेशन शुरू करना चाहिए?
यदि आप तनाव, नींद की कमी या एकाग्रता (Concentration) की समस्या से जूझ रहे हैं, तो ध्यान आपके लिए लाभदायक हो सकता है. विशेषज्ञों के मुताबिक, रोज़ाना सिर्फ़ 15-20 मिनट मेडिटेशन करने से मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य में सुधार देखा जा सकता है. अगर आप मेडिटेशन शुरू करना चाहते हैं, तो शुरुआत में आप कई सारे ऐप की मदद ले सकते हैं जो ध्यान की विधियाँ सीखाते हैं. इसके अलावा अच्छा रहेगा कि आप शुरू में किसी ध्यान शिविर का हिस्सा बनें और उसे सीखें. हालाँकि, आप अपनी रुचि के अनुसार ध्यान की क्रियाओं को चुन सकते हैं. क्योंकि, ध्यान की अलग-अलग विधियाँ हैं. सही रहेगा यदि आप आसान विधि से शुरुआत करें. ताकि, बेहतरी की गुंजाइश आसान और ज़्यादा कारगर महसूस हो.