स्कूल-कॉलेज के बच्चों के गाली देने पर भड़के प्रेमानंद महाराज, चेतावनी के साथ दी ये नसीहत

Premanand Ji Maharaj: भक्त ने चर्चा के समय महाराज से पूछा, 'आजकल बच्चे गंदी भाषा क्यों बोल रहे हैं, गाली क्यों देते हैं, गंदे मजाक क्यों कर रहे हैं और गलत चीजों की तरफ इतना आकर्षित क्यों हो रहे हैं?', इन प्रश्नों का उत्तर महाराज ने बहुत ही सरल और साफ शब्दों में दिया.
Premanand Maharaj

प्रेमानन्द महाराज गाली देने वाले छात्रों पर नाराज हुए

Premanand Ji Maharaj: आज के समय में सामाजिक वातावरण ऐसा हो गया है कि छोटे से लेकर बड़े बच्चों तक हर कोई गाली देकर बात करता है. आम बातचीत में भी स्कूल-कॉलेज में स्टूडेंट्स गंदी भाषा का प्रयोग करते हैं. उनके इस स्वभाव और व्यवहार से माता-पिता और परिवार के सदस्य काफी चिंतित और परेशान रहते हैं. ऐसा ही एक व्यक्ति अपने बच्चे के इस स्वभाव को लेकर काफी चिंतित था और वह वृंदावन के प्रसिद्ध संत और आध्यात्मिक गुरु प्रेमानंद महाराज के पास इस विषय को लेकर पहुंचा. उन्होंने महाराज से अपने बच्चे की इस आदत के बारे में बताते हुए इसका समाधान पूछा.

भक्त ने बच्चों को लेकर पूछा ये सवाल

भक्त ने चर्चा के समय महाराज से पूछा, ‘आजकल बच्चे गंदी भाषा क्यों बोल रहे हैं, गाली क्यों देते हैं, गंदे मजाक क्यों कर रहे हैं और गलत चीजों की तरफ इतना आकर्षित क्यों हो रहे हैं?’, इन प्रश्नों का उत्तर महाराज ने बहुत ही सरल और साफ शब्दों में दिया, जो अब सोशल मीडिया पर काफी ज्यादा वायरल हो रहा है.

‘गलत आदतें बच्चों का भविष्य बर्बाद कर देती हैं’

संत प्रेमानंद महाराज ने बच्चों के इस व्यवहार की निंदा करते हुए कहा कि गंदी भाषा और गलत आदतें बच्चों के चरित्र और भविष्य दोनों को नुकसान पहुंचा रही हैं. गंदी भाषा बोलने से बच्चे खुद ही अपने स्वभाव को खराब कर लेते हैं और धीरे-धीरे उनका व्यक्तित्व नीचे गिरने लगता है. उनका मन पढ़ाई में नहीं लगता है और वे अधर्म का रास्ता अपना लेते हैं.

आगे उन्होंने कहा, “आजकल गाली देकर बात करने का ट्रेंड बन गया है, जो कि यह बहुत ही गंदी बात है. आपस में गालियां देना, गंदी बातें करना, गंदे मज़ाक करना ये सब नहीं करना चाहिए. इससे हमारा स्वभाव बिगड़ता है और हमारी खुद की हानि होती है. हमें लगता है कि हम सिर्फ मनोरंजन के लिए ऐसा व्यवहार करते हैं, लेकिन ऐसा मनोरंजन नहीं करना चाहिए और मन को सही मार्ग पर लगाना चाहिए.”

‘छात्र जीवन अनुशासन और संयम का होता है’

प्रेमानंद महाराज ने कहा कि विद्यार्थी जीवन बेहद पवित्र और अनुशासित होना चाहिए. छात्र जीवन अनुशासन और संयम का होता है. इसमें मन और इंद्रियों पर नियंत्रण रखना, पढ़ाई पर ध्यान देना और अच्छे संस्कारों को अपनाना बहुत ज़रूरी होता है.

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प्रेमानन्द महाराज ने किया ये अनुरोध

अंत में महाराज ने वहां बैठे सभी भक्तजनों और युवाओं से अनुरोध किया कि वे खुद को गलत आदतों से दूर रखें और सम्मानजनक व्यवहार अपनाएं. उन्होंने कहा कि बच्चों से हमारी हाथ जोड़कर प्रार्थना है कि वे नशे और बुरे आचरण से दूर रहें. अपने से बड़ों और बूढ़ों का आदर और सम्मान करें. समाज में अच्छे व्यक्तित्व को स्थापित कर धर्म का मार्ग अपनाएं.

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