Lok Sabha Election: बिहार में हर पांचवां उम्मीदवार यादव, फिर भी दबदबा किसी और जाति का, जानिए किस सीट पर किसके बीच मुकाबला
Lok Sabha Election 2024: देश में लोकसभा चुनाव का दौर जारी है. 18वीं लोकसभा के लिए दो चरणों में अबतक बिहार समेत देश की 190 सीटों पर मतदान हो चुका है. बिहार में भी 9 सीटों पर मतदान खत्म हो गए हैं. बिहार में भारतीय जनता पार्टी नीत राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन और राष्ट्रीय जनता दल के नेतृत्व वाले ‘INDI’ गठबंधन के बीच कड़ा मुकाबला है. ऐसे में यह बड़ा सवाल है कि बिहार में दोनों गठबंधन के उम्मीदवारों में जाति का कितना असर है और किस दल ने किस जाति के कितने प्रत्याशियों को मैदान में उतारा है.
दोनों ही गठबंधन में यादव जाति के लोगों को प्राथमिकता
दोनों ही गठबंधन में यादव जाति के लोगों को प्राथमिकता दी गई है. बिहार में NDA और INDI गठबंधन ने 16 यादव जाति के लोगों को टिकट दिया है. इसके बाद कोइरी जाति के 11 उम्मीदवारों को प्रत्याशी घोषित किया गया है. राजपूत जाति से 7, भूमिहार जाति से 6 और चमार और दुसाध(पासवान) जाति के पांच-पांच उम्मीदवार हैं. ऐसे में सवाल यह उठता है कि क्या बिहार की राजनीति में यादवों का प्रभुत्व है.
रिलेटिव हिस्सेदारी में यादवों का प्रतिनिधित्व कम
कुल उम्मीदवारों में विभिन्न जातियों की रिलेटिव हिस्सेदारी की तुलना करें तो यादवों का प्रतिनिधित्व उतना नहीं है, जितना आंकड़े दिखा रहे हैं. उम्मीदवारों की सापेक्ष हिस्सेदारी में यादव 22 जातियों में से 13वें स्थान पर हैं, जिनके दो मुख्य गठबंधन से कम से कम एक प्रत्याशी हैं. आंकड़ों पर गौर करें तो यादव उम्मीदवारों की रिलेटिव हिस्सेदारी भूमिहार, राजपूत और कायस्थ की तुलना में कम है, लेकिन यह ब्राह्मण जाति के बराबर है. बता दें कि रिलेटिव शेयर कुल जनसंख्या को कुल उम्मीदवारों की संख्या से भाग देने पर प्राप्त होता है. आंकड़ों के मुताबिक बिहार की आबादी में 25 फीसदी की हिस्सेदारी रखने वाले जाति समूहों से दोनों गठबंधनों में से किसी ने एक भी उम्मीदवार को नहीं उतारा है.
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बिहार की राजनीति जाति के नैरेटिव पर रही है केंद्रित
बता दें कि बिहार की राजनीति अक्सर जाति के नैरेटिव पर केंद्रित रही है और बिहार भारत का पहला राज्य था, जिसने अत्यंत पिछड़ी जातियों(EBC) के लिए एक सब-कैटेगरी के साथ अन्य पिछड़ा वर्ग(OBC) रिजर्वेशन लागू किया था. इसी तरह, बिहार की राजनीति में RJD के प्रभाव ने भी OBC राजनीति में यादव बनाम गैर-यादव OBC का विभाजन पैदा कर दिया है. दूसरी ओर, RJD का मुख्य समर्थन मुस्लिम-यादव वोट बैंक की एकजुटता को माना जाता है.
7 सीटों पर एक ही जाति के उम्मीदवारों के बीच मुकाबला
आंकड़ों के मुताबिक, बिहार के 40 सीटों में से केवल सात सीटों पर एक ही जाति के उम्मीदवारों के बीच मुकाबला होने वाला है. वहीं, अगर जाति समूहों के नजरिए से देखा जाए तो समान जाति समूहों(उच्च जाति, एससी, ईबीसी, यादव, गैर-यादव ओबीसी और मुसलमान) के बीच यह मुकाबला 15 सीटों पर होगा. बिहार में केवल एक संसदीय सीट पर NDA और ‘INDI’ गठबंधन के दो मुस्लिम उम्मीदवारों के बीच लड़ाई होगी. वहीं दो सीटों पर एक-दूसरे के खिलाफ ऊंची जाति के प्रत्याशियों के बीच मुकाबला होगा. तीन सीटों पर यादव बनाम यादव की लड़ाई देखने को मिलेगी.
RJD के वोट बैंक में सेंध लगा सकते हैं पप्पू यादव
RJD ने टिकट बंटवारे में वोटबैंक के लिए कुल आठ यादव उम्मीदवार को टिकट दिया. यादव कैंडीडेट में बांका से जय प्रकाश यादव, वाल्मीकिनगर से दीपक यादव, सारण से रोहिणी आचार्य, पाटलिपुत्र से मीसा भारती, दरभंगा से ललित यादव, जहानाबाद से सुरेंद्र यादव को प्रत्याशी घोषित किया है. वहीं तीन कोइरी, तीन दलित, दो मुस्लिम, दो सवर्ण, एक कुर्मी और एक बनिया उम्मीदवार मैदान में उतारा है. वहीं पूर्णिया में लड़ाई दिलचस्प हो गई है. पप्पू यादव को RJD के पारंपरिक वोट मुसलमानों और यादवों में सेंध लगाने की संभावना के रूप में देखा जा रहा है.